ग्वालियर(देसराग)। मध्य प्रदेश के करीब 4.75 लाख पेंशनर्स को राज्य पुर्नगठन की धारा 49 के जाल में इस कदर फंसाया है कि उन्हें आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। यह आरोप लगाते हुए ग्वालियर-चम्बल अंचल की वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री श्रीमती ममता मिश्रा ने शिवराज सरकार से मांग की है कि वह पेंशनर्स के जायज हक अविलम्ब प्रदान करे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के नाम पर नौकरशाहों ने मध्य प्रदेश के 4.75 लाख पेंशनर्स को गुमराह कर रखा है, जबकि हकीकत इसके उलट है।
श्रीमती मिश्रा ने कहा कि नौकरशाही के काम-काज का कितना अड़ियल रवैया है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के पेंशनर्स अनावश्यक परेशानी में पड़ गए हैं। नौकरशाहों की कारस्तानी के कारण पेंशनर्स का सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार में बैठे नौकरशाह नियमों की गलत व्याख्या करके पेंशनर्स को परेशानी में डाले हुए हैं। इस परेशानी की वजह राज्य पुनर्गठन की धारा 49 है। यह धारा छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पहले तक सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के लिए थी लेकिन पुनर्गठन के बाद भी छत्तीसगढ़ राज्य की सहमति के नाम पेंशनर्स के आर्थिक लाभ पर अडंगा लगा है। उन्होंने कहा कि 4.75 लाख से ज्यादा पेंशनर्स को सीधे तौर पर नुकसान है।
जानकारों का कहना है कि सभी राज्यों के कार्य करने का अपना तरीका होता है। राज्य संसाधनों के हिसाब से निर्णय लेते हैं। इसलिए जरूरी नहीं कि मप्र सरकार जो निर्णय ले वैसा ही निर्णय छत्तीसगढ़ सरकार भी ले।
श्रीमती ममता मिश्रा ने बताया कि न्यायालय ने पेंशनर्स के पक्ष में निर्णय देते हुए उनके बकाया 59 महीने के मंहगाई-भत्ते तुरन्त जारी करने के आदेश दिए है। इसके बावजूद सरकार के नौकरशाह पेंशनर्स और सरकार दोनों के बीच तनाव पैदा करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। अब सरकार न्यायालय की अवमानना का सामना कर रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में मप्र से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था। उस दौरान सेवानिवृत्त कर्मचारियों का मामला सामने आया। उसको लेकर धारा 49 के तहत यह प्रावधान रखा गया कि जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं, उनकी पेंशन का खर्च आबादी के हिसाब से राज्य उठाएंगे। इसके तहत छत्तीसगढ़ 26 प्रतिशत और मप्र 74 प्रतिशत खर्च को उठा रहा है, लेकिन इसके बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए यह व्यवस्था नहीं थी।
मप्र पेंशनर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी का कहना है कि नौकरशाहों ने दोनों राज्यों की सहमति का अड़ंगा लगाकर मौजूदा पेंशनर्स के मामले में भी पेंच फंसा दिया है। इस कारण पेंशनर्स को 59 माह का एरियर नहीं मिला है। 32 माह का एरियर छठे वेतनमान का और 27 माह के एरियर का भुगतान सातवें वेतनमान का भी अटका हुआ है। कोर्ट के आदेश के बावजूद यह मामला भी फाइलों में कैद है। पेंशनर्स एसोसिएशन ने मुख्य सचिव अन्य जिम्मेदारों को लीगल नोटिस भी भेजा है।
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