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Wednesday, Sep 27, 2023
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विचार

शिवराज का अनोखा राष्ट्रवाद

सोमेश्वर सिंह
भरी जवानी में एक नौजवान फौज में भर्ती होता है। बारिश, सर्दी, लू में भी देश के सीमा की रक्षा करता है। उनमें से कुछ देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हैं। कुछ शहीद हो जाते हैं। तिरंगे में लपेटकर उनकी पार्थिव देह गांव लाई जाती है। सैन्य सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की जाती है। मंत्री,मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, सरकारी अफसर कंधा देते हैं। घड़ियाली आंसू बहाते हैं। बढ़-चढ़कर सम्मान निधि की घोषणा कर देते हैं। शहीद की स्मृति में तोरड़द्वार बनवा देते हैं। फिर कभी दोबारा लौट कर यह नहीं देखते कि उस शहीद फौजी का परिवार किस हालत में है। कागजी तौर पर शहीद परिवार के लिए कई तरह की सुविधाएं हैं। परंतु जमीन पर अंडा बटे सन्नाटा।
अनुबंध के मुताबिक जब फौजी सेवावधि पूरी करके रिटायर होता है, ग्रेच्युटी, बीमा, भविष्य निधि कि कुछेक राशि लेकर वापस घर आ जाता है। परिवार में उसे कई शुभचिंतक, सलाहकार मिल जाते हैं। सरमन बेटे की तरह बूढ़े मां बाप को चारों धाम कराने या फिर भागवत कथा सुनाने की सलाह देते हैं। कुछ इसी तरह की सलाह पर रिटायर्ड फौजी 2-4 भैंस पालकर डेयरी फार्म खोल लेगा। या कोई सेकंड हैंड जीप खरीदकर टैक्सी चलाएगा। 1-2 कमरे का पक्का मकान बना लेगा। या फिर खेती लायक जमीन का छोटा-मोटा टुकड़ा ही खरीद लेगा। कहावत है -“आई कौड़िया आई बुध्दि, गई कौड़िया गई बुद्धि”। उसके ठन ठन गोपाल होते ही सभी शुभचिंतक और सलाहकार गायब हो जाते हैं।
अधिकांश रिटायर्ड फौजी के पास भविष्य की कोई रूपरेखा नहीं होती। भरी जवानी में फौजी बन गया। जवानी के ढलान पर घर लौटा। बच्चे अभी पढ़ रहे हैं। उनके उच्च शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं। बेटी सयानी होने को है। उसके विवाह की भी कोई तैयारी नहीं। पेंशन के अलावा आमदनी का कोई दूसरा जरिया है नहीं। इसीलिए 1965 तथा 1971में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद सरकार ने इस पर गौर किया। रिटायर्ड फौजी के आर्थिक, सामाजिक स्थिति को देखते हुए योजनाएं बनायी। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण रिटायर्ड भूतपूर्व सैनिकों को सिविल सेवा में आरक्षण देना था। संभवत देश में मध्य प्रदेश इकलौता राज्य है जिसके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनवरी 2022 में भूतपूर्व सैनिकों को नौकरी में आरक्षण की सुविधा समाप्त कर दी।
मध्यप्रदेश में भूतपूर्व सैनिकों को सिविल सेवा में आरक्षण दिए जाने के संबंध में मध्य प्रदेश के भूतपूर्व सैनिक राज्य की सिविल सेवाओं तथा पदों तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी में रिक्तियों का आरक्षण नियम 1985, में संशोधन दिनांक 24 फरवरी 1987 तथा मध्य प्रदेश पुलिस कार्यपालिका अराजपत्रित सेवा भर्ती नियम 1997 संशोधन दिनांक 15 मार्च 2013 जो माननीय राज्यपाल के हस्ताक्षर से मध्य प्रदेश के राजपत्र में प्रकाशित हुआ था। अद्यतन तिथि पर भी प्रभावशील है।
भूतपूर्व सैनिकों का सिविल सेवा में आरक्षण समाप्त करना ही क्या भारतीय जनता पार्टी तथा प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान का राष्ट्रवाद है? रिटायर्ड फौजी रिटायर होने के बाद पारिवारिक जिम्मेदारी के निर्वहन के लिए कुछ कमाने की इच्छा रखते हैं ।जवानी के प्रारंभिक वर्ष तो पहले ही राष्ट्र की सेवा में लगा देते हैं। और रिटायरमेंट के बाद भी खुद को सक्रिय रखने के लिए या यूं कहें दूसरे रूप में राष्ट्र की सेवा जारी रखने के लिए नौकरियों की तलाश करते हैं।मध्य प्रदेश सरकार ने सिविल सेवा में भूतपूर्व सैनिकों का आरक्षण समाप्त करके उनके तथा उनके परिवार के साथ घोर अन्याय किया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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