जिला प्रशासन ने इन गांवों को विवाद रहित घोषित किया है
मुरैना(देसराग)। चंबल को लोग बीहड़, डकैतों के अलावा छोटी-छोटी बातों पर लाठी, फरसों से लेकर बंदूकें चल जाने जैसी हिंसात्मक घटनाओं के लिये ज्यादा जानते है। लेकिन इसी मुरैना जिले में 9 गांव ऐसे है, जो विवाद रहित है। अगर किसी में लड़ाई, झगड़े हो जाते हैं तो थाने या कचहरी जाने के बजाय ग्रामीण पंचायत बुलाकर हर विवाद सुलझा लेते है।
मुरैना जिले में 478 ग्राम पंचायते है, जिनमें कुल 815 गांव (जनगणना 2011 के अनुसार) है। इन गांवों में से 775 गांव आबादी घोषित है, जबकि 40 गांव निर्वासित होकर कहीं और बस चुके है। अधिकांश गांवों में किसी न किसी बात पर आपस में विवाद होना और फिर शिकायत लेकर थाने से लेकर न्यायालय तक जाना आम बात है, लेकिन बमूर बसई, गादरा, बक्सीपुरा, गड़ाजर, सिकरौड़ी, महटोली, शेरपुर, गलेंन्द्र और इंद्रुखी गांव ऐसे है, जहां कोई आपसी विवाद हो जाये तो गांवो में समरसता का भाव ऐसा है कि ग्रामीण अपने विवाद में पुलिस को भी नहीं लाते।
हर विवाद मिल बैठकर सुलझाये जाते है। इन 9 गांवों में बीते एक से डेढ़ साल से कोई विवाद थाने में नहीं पहुंचा। इसी आधार पर जिला प्रशासन इन गांवों को समरस गांव (विवाद रहित गांव) चयनित कर चुका है। इसके पहले चरण में मुरैना जनपद के बमूर बसई गांव को तो विधिवत तौर पर समरस गांव घोषित भी किया जा चुका है।
सरकारी समस्या भी पंचायत में हल
सरकारी मसलों के विवाद भी लोग आपस में बैठकर सुलझा देते है। उदाहरण के तौर पर बमूर बसई गांव में आंगनवाड़ी के लिए जगह आवंटित हो चुकी थी, लेकिन इस जमीन पर कुछ ग्रामीणों का कब्जा था। जनपद की ओर से मामला थाने तक पहुंचने की तैयारी में था। लेकिन गांव के बारे में जानकारी जुटाने के बाद एसडीएम मुरैना शिवलाल शाक्य ग्रामीणों के बीच पहुंचे और आंगनवाड़ी की जगह की समस्या रखी। इसके बाद ग्रामीणों ने पंचायत बुलाई और जिन दो लोगों का जमीन पर कब्जा था उन्होंने खुद ही अतिक्रमण हटा लिया। ग्राम पंचायत यहां आंगनवाड़ी का निर्माण शुरू करवा चुकी है।
जिला पंचायत मुरैना के सीईओ रोशन कुमार सिंह ने बताया कि जिलेभर में 9 गांव ऐसे हैं जहां कोई विवाद थाने या कचहरी नहीं पहुंचा। ग्रामीण खुद ही अपने स्तर पर पंचायत बैठाकर विवाद निपटा लेते है। ग्रामीणों के विवाद के कारण कोई सरकारी काम बाधित है तो वह भी यह ग्रामीण मिल बैठकर निपटा लेते है। अभी बमूरबसई गांव विधिवत समसरस गांव घोषित हो चुका है। गादरा, बक्सीपुरा, गड़ाजर, सिकरौड़ी, महटोली, शेरपुर, गलेंद्र और इंद्रुखी गांव को भी समरस गांव घोषित किया जाना है।
बमूर बसई पंचायत के सरपंच बृजेश कुमारी ने बताया कि गादरा गांव में कभी किसी में लड़ाई हो भी जाती है तो गांव के लोग आपस में मिल-जुलकर सुलझा लेते है। गांव के बुजुर्गों का फैसला सभी मानते है। आंगनवाड़ी की जमीन भी पंचायत के फैसले के बाद खाली हो गई थी। हमारे इस गांव से कोई थाने में शिकायत लेकर नहीं जाता है।