कमलनाथ ने पद छोड़ा तो आलाकमान ने कर दी नियुक्ति
भोपाल(देसराग)। विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस में बदलाव का दौर शुरू हो गया। अलबत्ता सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए ग्वालियर-चम्बल अंचल को फतह करने के लिए कांग्रेस ने अपना पहला दांव खेल दिया है। इसकी शुरुआत कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से हुई है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी ने उनके इस्तीफे को मंजूर कर लिया।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उनके इस्तीफे को मंजूर किए जाने बाबत पत्र भी जारी किया है। नेता प्रतिपक्ष का पद अब सात बार के विधायक और पार्टी के कद्दावर नेता डॉक्टर गोविंद सिंह को मिला है। लम्बे समय से डॉक्टर गोविंद सिंह इस पद के स्वाभाविक दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस की अन्दरूनी गुटबाजी के चलते उनकी नियुक्ति टलती रही। परन्तु बीती सोमवार को कमलनाथ के आवास पर डिनर के बहाने इकट्ठा हुए क्षत्रपों ने इस बावत अंतिम फैसला लिया था, इसके बाद से ही उनके नाम को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन उन्हें मौका अब जाकर मिला। पार्टी में इस बदलाव को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि पार्टी अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष जैसे दोनों के पद पर लंबे समय तक कमलनाथ के बने रहने से पार्टी में असंतोष पनप रहा था।
साल 2018 मैं कांग्रेस पार्टी में कमलनाथ दिग्विजय सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में लड़ा था और उसे सत्ता का सुख भोगने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला। क्योंकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह गुट ने सिंधिया को आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया। लगातार उपेक्षा का शिकार हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया बगावत पर उतर आए और उन्होंने भाजपा से हाथ मिला कर कांग्रेस की सरकार गिरा दी। देर से ही सही कांग्रेस को चुनाव से पहले ही सही लेकिन कांग्रेस नेतृत्व को सुध आई और डॉक्टर गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष का पद दिया गया।