विधानसभा की कार्यवाही को बताया था ‘बकवास’
भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश में 15 साल का सत्ता का वनवास काट कर बमुश्किल सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री की आसंदी और सरकार के पतन के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी गंवाकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री की विधायकी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अलबत्ता विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि उन्हें कमलनाथ के खिलाफ भाजपा की ओर से दो शिकायतें मिली हैं, जिन्हें संज्ञान में ले लिया गया है। शिकायतों की जांच के बाद जल्द ही फैसला लिया जाएगा।
तो यह हंगामा क्यों है भाई?
मध्य प्रदेश की सियासत इन दिनों कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के विवादित बयान के कारण गरमाई हुई है। भाजपा हमलावर है और उसके कई नेता कमलनाथ को घेर रहे हैं। वहीं कांग्रेस के नेता ही कमलनाथ के साथ खड़े नजर नहीं आ रहे हैं। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही एक साल से ज्यादा समय के बाद होने वाले हों, मगर सियासी दांव-पेंच तेज हो चले हैं।
दरअसल संसदीय परम्पराओं के ज्ञाता कहे जाने वाले पूर्व केन्द्रीय संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ की विधायकी पर खतरा मंडराने की वजह भी संसदीय मार्यदाओं का उल्लंघन ही बना है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने एक साक्षात्कार में कहा था कि वह विधानसभा में सदन की कार्यवाही में भाजपा की बकवास सुनने नहीं जाते हैं, क्योंकि उन्हें दो घंटे तक लोगों से रोजाना मिलना होता है। कमलनाथ की इस टिप्पणी पर भाजपा ने हमले करते हुए उनके बर्ताव को विधानसभा की अवमानना बताया है और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को शिकायत दी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद विष्णुदत्त शर्मा के अलावा भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने विधानसभा अध्यक्ष से मांग की है कि कमलनाथ की विधानसभा सदस्यता को तत्काल समाप्त किया जाए।
नाथ पर कमलदल का वार
इस शब्द को भाजपा ने हाथों हाथ लपक लिया और कमलनाथ पर हमले शुरू कर दिए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को ही कार्रवाई के लिए पत्र लिख दिया। गिरीश गौतम ने कमलनाथ के बयान का परीक्षण और विधि विशेषज्ञों से राय की बात कही है। भाजपा की ओर से गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी कमलनाथ पर तंज कसे हैं। वहीं यशपाल सिसोदिया ने भी इस मामले पर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। उन पर कठोरतम कार्रवाई की मांग की है। इतना ही नहीं कमलनाथ के बयान को भाजपा विशेषाधिकार हनन का मुद्दा बनाने वाली है। एक तरफ जहां विवादित बयान पर भाजपा का कांग्रेस और कमलनाथ पर चौतरफा हमला हो रहा है। वहीं कांग्रेस की ओर से कोई भी प्रमुख नेता सामने नहीं आया है। इसे कांग्रेस के बीच जारी खींचतान से जोड़कर देखा जा रहा है। कुल मिलाकर इस मामले में कमलनाथ अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं।
क्या मानते हैं विधानसभा अध्यक्ष
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधायक की शिकायतों पर संज्ञान ले लिया गया है। शिकायतों की जांच की जा रही है। कमलनाथ के बयान के वीडियो और अन्य साक्ष्यों को जुटाया जा रहा है। विधानसभा के बाहर का बयान होने की परिस्थितियों में क्या कार्रवाई हो सकती है, इसका भी परीक्षण कराया जा रहा है।
क्यों गई नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी?
दरअसल मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया कमलनाथ को नेता प्रतिपक्ष की आसंदी से हाथ अपने उस बयान जिसमें उन्होंने विधानसभा में सदन की कार्यवाही को बकवास बताया था, को लेकर कांग्रेस आलाकमान के समक्ष पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा गरम लोहे पर चोट करने के सही समय की वजह से गंवानी पड़ी। कमलनाथ के बयान को लेकर मध्य प्रदेश की सियासत में उबाल आया हुआ है। भाजपा प्रदेश मुखिया विष्णुदत्त शर्मा सहित पार्टी के सभी नेता कमलनाथ पर हमलावर है। ऐसे में उनकी विधायकी पर भी संकट मंडरा रहा है। जिसे भांप कर दिग्विजय सिंह ने सोनियां गांधी के साथ अपनी मुलाकात में मध्य प्रदेश की सियासत की ऐसी पिक्चर प्रस्तुत की कि सोनिया गांधी ने तुरंत कमलनाथ से नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ देने को कहा और दिग्विजय सिंह की पंसद डाक्टर गोविन्द सिंह को नया नेता प्रतिपक्ष नियुक्त कर दिया गया।
अध्यक्षी पर भी खतरा
हालांकि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव वेणुगोपाल ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में कमलनाथ के योगदान की सराहना की है, लेकिन उनकी वजह से प्रदेश में कांग्रेस की हो रही फजीहत को लेकर आलाकमान की नाराजगी भी जाहिर कर दी है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि कमलनाथ ने पार्टी के एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के तहत विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से त्यागपत्र देने की पेशकश की थी। मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इधर मध्य प्रदेश कांग्रेस में साल 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन का नेतृत्व युवा हाथों में दिए जाने की सुगबुगाहट चल पड़ी है और यदि इस सुगबुगाहट को पंख लगाने में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कामयाब रहे तो यह संभावना भी बलवती हो रही है कि कमलनाथ के हाथ से मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया की आसंदी भी फिसल सकती है।
पटवारी का स्पीकर पर हमला
पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने ट्वीट के माध्यम से विधानसभा अध्यक्ष गौतम से क्षमा मांगते हुए मीडिया के साथ संवैधानिक गतिविधियों को साझा किए जाने को पद की गरिमा के अनुकूल नहीं बताया है। पटवारी ने स्पीकर पद को सत्तापक्ष का नहीं, निष्पक्ष बताया है।
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