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Tuesday, Sep 26, 2023
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परिवहन आयुक्त के खिलाफ शिकायत का मामला अब ठंडे बस्ते में

किसने लिखी इस पूरे मामले की पटकथा!
ग्वालियर(देसराग)। मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री और परिवहन विभाग के आयुक्त के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार की शिकायतों के मामले में क्राइम ब्रांच ने जिस तरह हड़बड़ी दिखाई उससे तो यही लग रहा है कि इस मामले की पूरी पटकथा क्राइम ब्रांच ने लिखी है या फिर क्राइम ब्रांच इस पूरे मामले में मोहरा बनी हुई है। बगैर किसी ठोस आधार और बगैर कोई जांच किए पुलिस ने परिवहन आयुक्त के निज सहायक सत्य प्रकाश को झूठी शिकायतें करने का आरोपी बनाया है उससे तो यही लगता है।
इस पूरे मामले में पुलिस की कहानी में जिस तरह एक के बाद एक झोल आ रहे हैं वह यही साबित करते हैं कि सब कुछ मैनेज हुआ है। एक पत्रकार जिसके खिलाफ मानहानि का प्रकरण विचाराधीन है वह क्राइम ब्रांच में शिकायत करता है कि उसके नाम का इस्तेमाल कर किसी ने परिवहन मंत्री और परिवहन आयुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें की हैं, क्राइम ब्रांच हरकत में आती है और पहले अज्ञात में और फिर बाद में परिवहन आयुक्त मुकेश जैन के निज सहायक सत्य प्रकाश को आरोपी बना देती है। इधर पुलिस की क्राइम ब्रांच निजी सचिव सत्य प्रकाश कि ड्राइवर अजय सालुंके को भी गिरफ्तार कर लेती है, सालुंके पर आरोप है कि उसने ग्वालियर रेलवे स्टेशन के पोस्ट ऑफिस के स्पीड पोस्ट सेंटर से इन शिकायती पत्रों को पोस्ट किया है।
पुलिस का दावा है कि भ्रष्टाचार संबंधी 9 शिकायतों के लिफाफे स्पीड पोस्ट सेंटर से पीएमओ, मुख्यमंत्री कार्यालय तथा सीबीआई को भेजे गए। इस बीच इसी महीने यानी 11 अप्रैल को क्राइम ब्रांच ने अजय साल उम्र की को पकड़ा और 6 घंटों तक पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच थाने में बैठाए रखा। अजय सालुंके कि पकड़े जाने के बाद क्राइम ब्रांच ने दावा किया कि अजय सालुंके ने अपने साहब यानी सत्य प्रकाश के कहने पर शिकायती पत्रों के लिफाफे डाकघर से पोस्ट किए। क्राइम ब्रांच द्वारा की गई पूछताछ के बाद अजय सालुंके ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को एक हलफनामा देकर अपनी सफाई पेश की है। हलफनामे के मुताबिक उसने यह पत्र एक पत्रकार गुरशरण सिंह के कहने पर डाकघर में पोस्ट किए थे।
सालुंके का कहना है कि वह पत्रकार गुरशरण सिंह को इसलिए जानता है क्योंकि वह उसके साहब यानि सत्य प्रकाश के परिचित हैं। एक अन्य पत्रकार जिसका पहले जिक्र हो चुका है, वह धर्मवीर भदोरिया है और उसके विरुद्ध परिवहन आयुक्त के निजी सहायक सत्य प्रकाश ने मानहानि का मुकदमा दायर किया है। सत्य प्रकाश के खिलाफ अनर्गल और सम्मानजनक खबरें छापने के मामले में निजी सचिव ने धर्मवीर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। यह प्रकरण अभी विचाराधीन है।
क्राइम ब्रांच ने इस मामले में निज सहायक सत्य प्रकाश के खिलाफ धारा 465 और धारा 469 के तहत मामला पंजीबद्ध किया है। यह दोनों ही धाराएं झूठी शिकायतों की मामलों की है लेकिन 469 इसलिए जोड़ी गई ताकि प्राथमिकी दर्ज हो सके। इस मामले के सामने आने के बाद पुलिस जिस तरह दावे कर रही थी, यह दावे धीरे धीरे हवा होते जा रहे हैं क्योंकि सच्चाई यह है कि क्राइम ब्रांच के पास इस मामले में कोई ठोस सबूत भी नहीं है। यही वजह है कि क्राइम ब्रांच ने पूछताछ के बाद सत्य प्रकाश को घर जाने की अनुमति दे दी।
इस मामले को तूल देने में क्राइम ब्रांच ने इतनी जल्दबाजी दिखाई और उसने इस बात की भी जांच नहीं की कि शिकायतें झूठी हैं अथवा सच्ची। शिकायत करने वाला और करवाने वाला कौन है। इस बीच निज सचिव सत्य प्रकाश के ड्राइवर अजय सालुंके ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि क्राइम ब्रांच ने पूछताछ के दौरान उससे कोरे कागजों पर हस्ताक्षर भी कराए और यह बयान देने के लिए बाध्य किया कि उसने परिवहन आयुक्त के निज सहायक कि कहने पर इन शिकायती पत्रों को पोस्ट ऑफिस से पोस्ट किया था। बहरहाल पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत और ऐसी जानकारी नहीं है जिससे इस मामले को मजबूती मिल सके लिहाजा उसने भी अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिए हैं।

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