मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह से खास बातचीत
प्रदीप भटनागर
ग्वालियर(देसराग)। मध्य प्रदेश में विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद पहली बार ग्वालियर पहुंचे डाक्टर गोविन्द सिंह के साथ खास बातचीत में अपनी बेवाक राय रखी और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर जमकर गरजे। बकौल डाक्टर गोविन्द सिंह लोग कह रहे हैं कि अंचल में सिंधिया चुनौती हैं, पर ऐसा नहीं है। सिंधिया चुनौती नहीं हैं। अगर वो चुनौती होते तो अपने ही प्रतिनिधि से एक लाख से ज्यादा वोट से नहीं हारते। अब कोई “महाराज और श्रीमंत” नहीं है। आजादी के बाद ही प्रजातंत्र व बुद्धिजीवी लोगों ने सिंधिया राज्यवंश का समापन तय कर दिया था। वो तो कुछ श्रीमंतवादी सोच के चाटुकार लोग राजशाही की सनातनकालीन परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिंधिया ने भाजपा को भारतीय ज्योतिरादित्य पार्टी बना दिया है। यही वजह है कि उन्होंने अपने लोगों के साथ सौदा करके सब अच्छे-अच्छे पद दिला दिए हैं और भाजपा में जो मूल कार्यकर्ता थे उन्हें दरकिनार कर दिया। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश।
सवाल: मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार लगातार 2023 के चुनावों को देखते हुए आदिवासी वोट बैंक साधने की कोशिश कर रही है, कांग्रेस क्या करेगी?
जवाब: पश्चिम बंगाल में जिस तरह भाजपा ने लगातार एक समुदाय के लोगों को साधने का काम किया। हिंदू धर्म के नाम पर वोट लेने का काम किया फिर भी वहां उनकी बुरी तरह दुर्गति हुई, अब आदिवासी भाई और अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति दोनों भाइयों ने यह समझ लिया कि भारतीय जनता पार्टी चालबाज सियासी दल है जो केवल और केवल उनके वोट बैंक पर डाका डालने के लिए किसी शिकारी के तरह जाल बिछा रही है। 25 से 30 फीसदी पद बैकलॉग में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति वर्ग के खाली पड़े हुए उन में भर्तियां क्यों नहीं की। पिछले 7 साल से प्रदेश में पदोन्नति नहीं हुई। मैंने पदोन्नति के लिए जो रास्ता निकाला था, क्रमोन्नति करके सब को लाभ दिलाने का शिवराज सरकार ने उसे षड्यंत्र करके रोक दिया। इसलिए जनता के टैक्स का पैसा इन लोगों ने सम्मेलन के नाम पर दुरुपयोग कर करोड़ों रुपया खर्चों के नाम पर बर्बाद करने का काम करते हैं। जय आदिवासी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भाइयों के मुद्दे समस्याओं को लेकर कार्य करना चाहिए था, वह पैसा सम्मेलनों के नाम पर उड़ा दिया जाता है।
सवाल: मध्यप्रदेश में विधान सभा में दूसरी बार चंबल अंचल के किसी नेता को नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है, तो क्या ग्वालियर-चम्बल की सियासत में कांग्रेस ने सिंधिया के विकल्प के रुप में यह फैसला लिया है?
जवाब: सवाल इस बात का है कि मैं कांग्रेस का एक छोटा सा कार्यकर्ता हूं लेकिन सिंधिया इतने बड़े नेता होते तो जिसे सांसद प्रतिनिधि बनाया गया, उसी से डेढ़ लाख वोटों से नहीं हारते। मैं ना तो उन्हें चुनौती मानता हूं और ना ही कांग्रेस को उनसे फर्क पड़ता है। मैं तो यह मानता हूं कि कांग्रेस पाक साफ हो गई। जो नेता कांग्रेस में रहते हुए भी उसके हिसाब से टिकट न मिले तो चुनाव हराने का प्रयास करता हो, चंबल अंचल के 8 जिलों में अपने बिना ब्लॉक अध्यक्ष ना बनने दे, ऐसा कचरा कमलनाथ ने कांग्रेस पार्टी से साफ कर दिया इसके लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं।
सवाल: कांग्रेस पार्टी ने आपको नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को ग्वालियर-चम्बल का प्रभारी बनाया है। इसके पीछे क्या कारण है?
जवाब: कहां राजा दिग्विजय सिंह जी और कहां सिंधिया कोई मेल ही नहीं है। दिग्विजय सिंह राष्ट्रीय नेता हैं, वह किसी एक संभाग के नेता नहीं है ना ही उन्हें किसी ने ऐसा कहा है। वह खुद प्रदेश भर में घूम-घूम कर संगठन के पदाधिकारियों को एक साथ बैठाकर भाईचारा डेवलप करा रहे हैं। वह एक-दूसरे के साथ बैठकर रणनीति बना रहे हैं। कल भोपाल में भी 4 घंटे के अंदर सभी भोपाल के नेताओं को बैठाकर मीटिंग की है। वह हर संभाग में जाकर यह काम कर रहे हैं। अकेले ग्वालियर में ही नहीं दिग्विजय सिंह पूरे प्रदेश में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर जहां-जहां जुल्म ढाए गए हैं वहां-वहां उनको संकलित कर एक जुटकर पूरी ताकत से गांव-गांव में घूमकर जनआंदोलन खड़ा करने का काम कर रहे हैं, उन पर सिर्फ ग्वालियर-चम्बल संभाग की जिम्मेदारी नहीं है, वह राष्ट्रीय नेता हैं, उनके ऊपर पूरे देश की कांग्रेस पार्टी की जिम्मेदारी है।
सवाल: उत्तरप्रदेश में जिस तरह लाउडस्पीकर उतारने को लेकर के विवाद चल रहा है, मध्य प्रदेश में भी लाउडस्पीकर पर एक विवाद उठता दिखाई दे रहा है। मस्जिदों में अजान को देखते हुए मंदिरों में हनुमान चालीसा लाउडस्पीकर पर बजाने का मामला इंदौर में देखने को मिला है?
जवाब: सवाल इस बात का है कि यदि किसी मजहब में लाउडस्पीकर चलाकर अपनी बात कहने की प्रथा है और अगर दूसरे लोगों, आम जनता को उससे समस्या हो रही है तो वह अपने लाउड स्पीकर की आवाज थोड़ी धीमी करें। यह मैं उन से अनुरोध करता हूं। लेकिन आजादी के बाद से मस्जिद में यह लाउडस्पीकर बज रहे थे तब किसी को तकलीफ नहीं हुई लेकिन जैसे ही चुनाव आए तो बहु संख्यक हिंदू लोगों को भड़का कर चुनाव जीतने की बाजी खेल रहे हैं। जिस तरह उत्तर प्रदेश में राम मंदिर के नाम पर भाजपा ने चुनाव जीता, वही पूरे देश में करने का प्रयास कर रहे हैं।
सवाल: समय-समय पर देखा गया है कि कांग्रेस में संगठन में अक्सर गुटबाजी देखी जाती है। ऐसे में किस तरह कांग्रेस को एकजुट करेंगे। 2023 की क्या रणनीति है?
जवाब: सवाल इस बात का है कि क्या आप को भाजपा की गुटबाजी दिखाई नहीं देती। जब से सिंधिया भाजपा में शामिल हुए हैं, तब से ही भाजपा में अंदरूनी कलह चल रही है। कई ऐसे नेता जिन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी को खड़ा करने के लिए समर्पित कर दिया, वह दुखी होकर मुझसे कहते हैं कि इनसे तो आप ही अच्छे थे। सिंधिया ने अपने लोगों के साथ सौदा करके सब अच्छे-अच्छे पद अपने लोगों को दिला दिए हैं और जो भाजपा का मूल कार्यकर्ता है, उन सभी को दरकिनार कर दिया गया। कांग्रेस पार्टी में कोई भी गुटबाजी नहीं है। गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का फैसला सभी ने मिलकर लिया है और आगामी विधानसभा चुनाव 2023 कमलनाथ के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। इस बात में भी एकजुटता के साथ कोई दो राय नहीं है।