विवेक श्रीवास्तव
ग्वालियर (देसराग)। जिस तरह की खबरें सामने आ रही हैं उससे तो यही तय माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और प्रदेश के परिवहन आयुक्त मुकेश जैन पर गाज गिरना अब लगभग तय हो चुका है। दरअसल यह पटकथा परिवहन आयुक्त के निज सहायक सत्य प्रकाश के नाम पर की गई परिवहन मंत्री और परिवहन आयुक्त के कथित भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद लिखी गई। सूत्र बताते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बेहद गंभीरता से लिया है। इसी के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को साफ-साफ कह दिया गया है कि यह सब नहीं चलेगा।
खबर तो यह भी है कि मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद के परिवहन आयुक्त मुकेश जैन को हटाए जाने पर सिंधिया ने भी अपनी सहमति दे दी है। पिछले दिनों दिल्ली में हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों और चुनिंदा भाजपा नेताओं की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संघ के पदाधिकारियों की नाराजगी भी भ्रष्टाचार के इस मामले सहित अन्य मामलों को लेकर झेलनी पड़ी। भाजपा मिशन 2023 में जुटी हुई है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नहीं चाहता है कि बेलगाम नौकरशाही और मंत्रियों का भ्रष्टाचार चुनाव में भाजपा के लिए मुसीबत ना बन जाए। यही वजह है कि संघ इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। दिल्ली में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हिंदुत्व की धार को और तेज करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
गोविंद सिंह राजपूत सिंधिया समर्थक उन मंत्रियों में शुमार हैं, जो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। सिंधिया के कहने पर ही गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन विभाग जैसा मलाईदार महकमा दिया गया। फिलहाल उनके पास राजस्व और परिवहन विभाग हैं। पार्टी में बने ताजा हालात के बाद यह माना जा रहा है कि गोविंद सिंह राजपूत से यह परिवहन विभाग छीना जा सकता है। कमलनाथ सरकार में भी गोविंद सिंह राजपूत के पास राजस्व और परिवहन विभाग था और उन्होंने अपने मंत्री पद का इस्तेमाल कर ग्वालियर में अरबों रुपए की जमीनों को सिंधिया ट्रस्ट के नाम कराने में अपने पद का दुरुपयोग भी किया। जानकारों का कहना है कि जमीन घोटाले से जुड़े इन मामलों को लेकर कमलनाथ और सिंधिया में दरार भी बढ़ी।
शिवराज सरकार में मंत्री बनने के बाद गोविंद सिंह राजपूत को राजस्व के साथ-साथ परिवहन विभाग भी इनाम में मिला। मध्य प्रदेश का परिवहन विभाग प्रदेश के उन कमाऊ विभागों में है,जहां काली कमाई एक सिस्टम के तहत नीचे से ऊपर तक पहुंचती है। यह सिस्टम कांग्रेस के समय से ही चला आ रहा है। व्यापमं की हाल ही में हुई परीक्षा के पर्चा लीक कांड में भी गोविंद सिंह राजपूत के बेटे के कॉलेज का भी नाम आ चुका है।
क्राइम ब्रांच की कार्रवाई ठंडे बस्ते में
प्रदेश के परिवहन मंत्री और परिवहन आयुक्त के कथित भ्रष्टाचार की शिकायतों के मामले में ग्वालियर के क्राइम ब्रांच थाने ने जिस तत्परता से अपने कदम बढ़ाए थे, उसी तेजी से उसने अपने कदम वापस खींच लिए हैं। जानकार क्राइम ब्रांच की इस पलटी मारने की कार्रवाई को भी दिल्ली बैठक के बाद बने घटनाक्रम से जोड़कर देख रहे हैं। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में परिवहन आयुक्त के निजी सहायक को आरोपी बनाया है।
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