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Tuesday, Sep 26, 2023
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राजनीति

कमलनाथ के दौरे से फिर गर्माई चंबल की कांग्रेस सियासत

ग्वालियर(देसराग)। मध्य प्रदेश कांग्रेस में चल रही बदलाव की बयार के बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की बिना कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के ग्वालियर की यात्रा ने सुसप्तावस्था में पड़ी कांग्रेस में जान फूंकने का काम किया तो भाजपा में भी खलबली मचा दी है। अपनी ग्वालियर यात्रा के दौरान प्रदेश कांग्रेस मुखिया कमलनाथ पूरी तरह से चुनावी मोड में नजर आए। पहलीबार ऐसा देखा गया कि उन्होंने बड़े से बड़े और छोटे से छोटे पार्टी कार्यकर्ता का हालचाल जाना और उनके घर जाकर मुलाकात कर संगठन की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मेला परिसर में विधायक रविंद्र सिंह तोमर के सुपुत्र के विवाह समारोह में शामिल हुए, तो पार्टी के प्रदेश महासचिव साहबसिंह गुर्जर की भतीजी को आशीर्वाद देने ग्राम ओहदपुर स्थित उनके निवास भी पहुंचे। हालांकि ग्वालियर में नाथ का कोई औपचारिक राजनीतिक कार्यक्रम निर्धारित नहीं था लेकिन सियासत के मंजे हुए खिलाड़ी कमलनाथ की नजर साल 2023 के चुनावी महासंग्राम पर टिकी हुई है और यही वजह है कि वह किसी न किसी बहाने ग्वालियर-चम्बल के दौरे कर रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कमलनाथ आने वाले चुनाव तक लगातार इसी तरह दौरा करते रहेंगे। पार्टी का दावा है कि नाथ जहां भी जा रहे हैं, उन्हें भारी जनसमर्थन मिल रहा है बड़ी संख्या वह लोग जो किसी न किसी वजह से कांग्रेस छोड़ गए थे अब कांग्रेस में वापसी कर रहे हैं।
प्रदेश की सियासत में ग्वालियर-चंबल अंचल की बेहद अहमियत है। यह वह इलाका है जिसकी बूते साल 2018 में 15 साल का सत्ता का वनवास काटने के बाद कांग्रेस सरकार की वापसी हुई थी हालांकि यह बात अलहदा है कि कांग्रेस में बड़े क्षत्रपों के बीच वर्चस्व की लड़ाई के चलते उनकी सरकार का 18 महीने में ही पतन हो गया। इस अंचल में ग्वालियर और चंबल संभाग में कुल 8 जिले भिण्ड, मुरैना, श्योपुर, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना और अशोक नगर हैं, जिनमें विधानसभा की 34 सीटें आती हैं। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा ने 20 सीटें जीती थीं। हालांकि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा और तबके कांग्रेस क्षत्रप ज्योतिरादित्य सिंधिया के दम पर कांग्रेस ने यहां 34 में से 26 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं भाजपा को साल 2013 के मुकाबले 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था और भाजपा साल 2018 में 7 सीटों पर सिमट गई थी।
यह किसी से छिपा नहीं है कि ग्वालियर-चंबल अंचल केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के दबदबे वाला इलाका माना जाता है। यही वजह रही कि साल 2020 सिंधिया के कांग्रेस को अलविदा कहने और भाजपा में शामिल होने के बाद उनके समर्थक 22 विधायकों सहित कुल 26 विधायकों के कांग्रेस छोड़ने और दो विधायकों के निधन से रिक्त हुई 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में 16 सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की ही थीं, उपचुनाव में सिंधिया की साख भी दांव पर थी, उपचुनाव में भाजपा ने जीत हासिल कर एक बार फिर से ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस को पटखनी दी थी और सिंधिया ने अपनी ताकत दिखाई थी। यही वजह है कि 2023 के चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल के नतीजों पर सभी की निगाहें टिकी होंगी।
अजय, अरुण और जयवर्धन भी आए
सिर्फ कमलनाथ ही नहीं, बल्कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व प्रदेश कांग्रेस मुखिया अरुण यादव व पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह भी आज ग्वालियर में ही थे। ये चारों नेता एक साथ ही प्लेन से भोपाल से आए और एक साथ ही वापस भोपाल रवाना हुए। चार दिग्गज नेताओं की उपस्थिति के चलते ग्वालियर की कांग्रेस सियासत में गर्माहट रही। यहां यह बताना भी जरुरी है कि अरुण यादव और जयवर्धनसिंह भी बीते एक महीने में ग्वालियर की चार बार यात्रा कर चुके हैं।
विधायक पाठक का किया इंतजार
विधायक प्रवीण पाठक के लिए कमलनाथ ने करीब दस मिनट तक इंतजार किया। दरअसल, विधायक रविंद्र सिंह भिडोसा के यहाँ शादी में भाग लेने के बाद कमलनाथ पण्डाल के दूसरे गेट से बाहर निकल गए, उस वक्त विधायक प्रवीण पाठक जयवर्धन के साथ कार्यक्रम में ही थे। कमलनाथ तब तक बाहर कार में ही बैठे रहे, उन्होंने मौजूद नेताओं से कहा प्रवीण पाठक को आ जाने दें तभी चलेंगे। इससे पहले प्रवीण पाठक ही एयरपोर्ट से कमलनाथ की वाहन के सारथी बनकर कार्यक्रम स्थल तक उनके साथ आए।
लक्ष्य सिंधिया पर
कमलनाथ की ग्वालियर-चम्बल अंचल की यात्राओं में हर बार नई बात देखने को मिल रही है। उनकी पिछली यात्राएं जहां कांग्रेस र्काकर्ताओं में जान फूंकने को लेकर रही, वहीं इस यात्रा में फोकस कांग्रेस से सिंधिया के जाने के बाद कांग्रेस में ही शेष रह गए सिंधिया समर्थकों का भरोसा जीतने पर रहा। इस दौरान कमलनाथ जिले के बड़े कांग्रेस नेता और कट्टर सिंधिया समर्थक रहे कल्याण सिंह कंसाना और केदार सिंह कंसाना के आवास पर भी गए और उन्हें भरोसा दिलाया कि उनके मान-सम्मान की पूरी चिंता कांग्रेस करेगी।

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