भोपाल(देसराग)। सोमवार रात सिवनी जिले के कुरई पुलिस थाने की बादल पार पुलिस चौकी के अंर्तगत गांव सिमरिया में दो आदिवासियों की पीट पीट कर हत्या कर दी गई। छह नामजद हत्यारों के साथ दस अज्ञात हत्यारों की रिपोर्ट भी पुलिस थाने में दर्ज है। मगर राजनीतिक दबाव में पुलिस मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है, क्योंकि उनका संबंध सत्ताधारी पार्टी से जुड़े संगठनों से है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि इस हमले में घायल एक अन्य आदिवासी बृजेश ने पुलिस थाने में घटना की पूरी जानकारी देते हुए कहा है कि बजरंग दल से संबंधित शेर सिंह राठौर, अजय साहू, वेदांत चौहान, दीपक अवधिया, बसंत रघुवंशी और रघुनंदन रघुवंशी दस-बारह अन्य लोगों के साथ उसके घर के पीछे आदिवासी धानसा और सम्पत के साथ मारपीट कर रहे थे और उन पर गाय काटने का आरोप लगा रहे थे। घटना स्थल पर पहुंचते ही बृजेश की भी पिटाई की गई, जिससे उसके हाथ में चोट आई। बाद में पुलिस के आने परर तीनों को कुरई के सरकारी अस्पताल में लाया गया, जहां सुबह 5.30 बजे धानसा और उसके आधे घंटे बाद सम्पत की मौत हो गई।
माकपा नेता ने कहा है कि बजरंग दल के इस आतंक और हत्यारी मुहिम के खिलाफ आदिवासी समुदाय एकजुट होकर विरोध कर रहा है, मगर इसके बाद भी पुलिस मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है।
जसविंदर सिंह ने संघ परिवार की इस हत्यारी मुहिम की निंदा करते हुए कहा है कि वह भले ही अल्पसंख्यक समुदाय और विशेषकर मुसलमानों को अपना दुश्मन मानते हो, मगर जब संघ परिवार अपनी मनुवादी सोच पर अमल करता है तो दलित और आदिवासी ही सबसे पहले उनके निशाने पर आते हैं। इसीलिए सिवनी में दो आदिवासियों की पीट पीट कर हत्या कर दी गई और एक दिन पहले गुना में एक दलित बुजुर्ग की चिता को श्मसान के चबूतरे से उठा दिया गया। शिवराज सरकार इस मनुवादी सोच वाली ताकतों को संरक्षण दे रही है।
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