सोमेश्वर सिंह
मध्य प्रदेश के सिवनी जिला के गांव सिमरिया में कल एक दुखद घटना हुई। जब दंगाइयों ने गौ हत्या के आरोप में मांब लीचिंग करके दो आदिवासियों की पीट-पीटकर निर्मम हत्या कर दी। गंभीर रूप से आहत तीसरे आदिवासी का उपचार चल रहा है। घटना के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कांग्रेस के स्थानीय विधायक का आरोप है की घटना में बजरंग दल तथा राम सेना के कार्यकर्ता शामिल थे। दूसरी तरफ भाजपा का कहना है कि हमलावर बजरंग दल के कार्यकर्ता नहीं थे, बल्कि राम सेना संगठन के कार्यकर्ता हैं। उनसे हमारा कोई लेना-देना नहीं। स्थानीय पुलिस प्रशासन का कहना है कि हमलावर किसी संगठन से हैं या नहीं अभी कुछ नहीं कहा जा सकता मामले की जांच की जा रही है। जब्त शुदा कथित गौ मांस को एफएसएल जांच के लिए भेजा गया है। गौ मांस होने का परीक्षण परिणाम आने से पहले गौ रक्षकों को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार आखिर किसने दिया है।
अच्छा हुआ की कथित गौ हत्या के आरोपी मुसलमान नहीं आदिवासी परिवार से थे। नहीं तो भाजपा को बैठे-बैठाये संप्रदायिकता को हवा देने का एक मुद्दा और मिल जाता है। आदिवासी वैसे भी अपने आप को हिंदू नहीं मानते। वह गोड़ी धर्म को मानते हैं और उनका इष्ट बड़ादेव है। इस घटना से यह साबित हो गया है की कथित कट्टर हिंदूवादी संगठन भी आदिवासी समुदाय को हिंदू नहीं मानते। यदि यह दोनों बातें एक दूसरे के पूरक है तो फिर हिंदू राष्ट्र कैसे बनेगा। मोहन भागवत के अखंड भारत का क्या होगा। इस घटना से एक बार फिर पृथक गोंडवाना राज्य की मांग उठने लगेगी।
हिंदूवादी संगठन हिंदुस्तान की आजादी के पहले से ही नारा लगाने लगे थे “गौ हमारी माता है देश धर्म का नाता है” ने ही गोवध को धार्मिक मामला बना दिया। लेकिन गाय की रक्षा हिंसात्मक तरीके से संभव नहीं है। इसीलिए महात्मा गांधी कहा करते थे कि गौ रक्षा के लिए अपनी जान दे दूंगा पर अपने भाई की जान नहीं लूंगा। वह हिंदुओं को कुरान पढ़ने तथा मुसलमानों को भगवत गीता पढ़ने की भी सलाह देते थे। उनका मानना था कि किसी भी सभ्य समाज का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाता है कि वह अपने अल्पसंख्यकों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करती है। उनका कहना था कि धर्म मनुष्य को ईश्वर से और मनुष्य को मनुष्य से जोड़ता है। गांधी जी ने पूरी जिंदगी देश में सांप्रदायिक एकता करने में गुजार दी और अंत में उसी सांप्रदायिकता के हाथों मारे गए। आज भी कट्टरवादी हिंदू संगठन सांप्रदायिक एकता के पक्षधर संगठन, दल तथा व्यक्तियों को राष्ट्र विरोधी कहते हैं।
सवाल यह नहीं है कि उन्मादी भीड़ बजरंग दल की थी या राम सेना की। सवाल तो यह है कि कट्टर हिंदुत्व के नाम पर जो लोग नफरत फैला रहे हैं। भाजपा, संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल के नेता खुलेआम हेट स्पीच दे रहे हैं। आखिर उनका मकसद क्या है। सरकार ऐसे व्यक्तियों पर पाबंदी क्यों नहीं लगाती। उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती। लोगों के दिल दिमाग में स्लो प्वाइजन की तरह नफरत और हिंसा फैलाई जा रही है। यह उसी का परिणाम है। शांति और सद्भाव से ही देश आगे बढ़ेगा। नफरत और हिंसा से देश पीछे जाएगा। प्रदेश और देश की भाजपा सरकार आखिर देश को कहां ले जाना चाहती है।
जब लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकारें ही कानून और संविधान को धता बता कर, सस्ती लोकप्रियता के लिए गैर कानूनी काम करने लगे। तब अवांछनीय असामाजिक तत्वों, अपराधियों, दंगाइयों का मनोबल तो बढ़ेगा ही। घटना के 48 घंटे बाद भी क्या अभी तक किसी दंगाई के घर पर बुलडोजर चला। सरकार ने पीड़ित आदिवासी परिवार को आर्थिक मदद तथा एक सदस्य को डेली वेजेस मजदूरी की नौकरी देकर मामले पर डैमेज कंट्रोल करना चाहती है। भाजपा सहित अन्य कट्टर हिंदूवादी संगठनों के जहरीली सांप्रदायिक विचारधारा से ही ऐसे दंगाई प्रेरित हो रहे हैं।
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