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Thursday, Dec 7, 2023
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मध्य प्रदेश में बढ़ा टाइगर का कुनबा

2022 में बाघों की गिनती 700 के पार होने की उम्मीद
भोपाल(देसराग)। देश और दुनिया में बाघों के आशियाने के रूप में मशहूर मध्यप्रदेश में एक दौर ऐसा आया था कि बाघों की संख्या तेजी से कम हो गई थी। 2009 में पन्ना बाघ अभयारण्य तो बाघ विहीन हो गया था। बाघों की तेजी से कम हो रही संख्या को देखते हुए बाघ पुनर्स्थापना योजना की शुरुआत की गई और तय किया गया था कि एक दशक में बाघों की संख्या दोगुनी करनी है।
योजना के तहत प्रदेश के तमाम बाघ अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यान और अन्य अभयारण्यों में बाघों को बचाने के लिए प्रयास किए गए। बाघ अभयारण्यों में जहां बाघों का कुनबा बढ़ गया तो नौरादेही अभयारण्यों जैसे बाघों के नए आशियाने तैयार हुए हैं। हालांकि 2022 में हुई बाघों की गणना के परिणाम अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। उम्मीद की जा रही है कि मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 700 तक पहुंच सकती है।
बाघ विहीन हो गया था पन्ना बाघ अभयारण्य
मध्यप्रदेश की बाघों को लेकर देश और दुनिया में अलग पहचान है। मध्य प्रदेश को लंबे समय तक टाइगर स्टेट का दर्जा भी हासिल रहा है। मध्यप्रदेश के टाइगर स्टेट के दर्जे के इतिहास पर जाएं तो 2006 में मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 300 थी, लेकिन शिकार, आपसी संघर्ष और बीमारियों की वजह से ये संख्या 2010 में घटकर 257 रह गई थी। 2009 में पन्ना बाघ अभयारण्य तो बाघ विहीन हो गया था। 2010 में जब पूरे देश में बाघों की गणना की गई तो देश भर में सिर्फ 1706 बाघ पाए गए थे। मध्यप्रदेश में सिर्फ 257 बाघ रह गए थे और मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा छिन गया था।
बाघ पुनर्स्थापना योजना से बदली तस्वीर
2010 में जब मध्यप्रदेश में सिर्फ 257 बार रह गए तो बाघ पुनर्स्थापना योजना की शुरुआत की गई। आगामी 10 वर्षों में बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया। 2010 की गणना में पूरे देश भर में बाघों की संख्या 1706 थी और 2020 तक संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत रखा गया। 2018 में जब बाघों की गणना हुई तो देशभर में बाघों की संख्या दोगुनी तो नहीं हुई। काफी सकारात्मक परिणाम सामने आए और बाघों की संख्या 2967 हो गई। मध्यप्रदेश में जरूर बाघों की संख्या दोगुनी हो गई। 2018 की गणना में मध्यप्रदेश में भी बाघों की संख्या 257 (2010) से दोगुनी होकर 526 पहुंच गई।
लेकिन खतरा अभी भी बरकरार
बाघ पुनर्स्थापना योजना के परिणाम काफी सकारात्मक आए हैं और मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 2010 में 257 से दोगुनी होकर 2018 में 526 पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ 10 वर्षों में 254 बाघों की मौत के मामले भी सामने आए। बाघों की मौत के प्रमुख तीन कारण बताए जा रहे हैं। इनमें शिकार, आपसी संघर्ष और बीमारी प्रमुख है। 2012 से लेकर 2020 तक 8 वर्षों में 202 बाघों की मौत हुई है। 2021 से अब तक 52 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है।
संख्या 700 तक पहुंचने की उम्मीद
2018 के बाद 2020 में हर 2 साल में होने वाली बाघों की गणना नहीं की गई थी। 2018 के बाद बाघों की गणना 2022 में की गई है। इन 4 सालों में बाघों की संख्या बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक 2018 में दर्ज की गई 526 बाघों की संख्या 2022 में 700 तक पहुंच सकती है। हाल ही में 10 अप्रैल को बाघों की गणना के लिए लगाए गए कैमरे हटाए गए हैं। जल्द ही केंद्र सरकार राज्यवार बाघों की संख्या की घोषणा करेंगी।
तैयार हो रहे हैं बाघों के नए आशियाने
फिलहाल मध्यप्रदेश में बाघ अभयारण्यों की संख्या 6 है। 10 नेशनल पार्क हैं और 25 वन्य जीव अभयारण्य हैं। बाघ अभयारण्य के अलावा बाघ पुनर्स्थापना योजना के अंतर्गत प्रदेश के अभयारण्यों में बाघों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के सबसे बड़े नौरादेही और रातापानी अभयारण्यों में बाघों को बसाने की शुरुआत की गई है। 2018 में बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत नौरादेही अभयारण्य में कान्हा किसली से बाघिन राधा और बांधवगढ़ से बाघ किशन को नौरादेही अभयारण्य में लाया गया। नौरादेही में इन दोनों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया और इसका परिणाम ये हुआ कि मई 2019 में बाघिन राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया। इसके बाद नवंबर 2021 में दो शावकों को जन्म दिया। इस तरह है नौरादेही अभयारण्य में बाघों की संख्या 7 पहुंच गई। पिछले दिनों एक और बाघ ने नौरादेही अभयारण्य में अपना बसेरा बनाया है। इसके बाद 29 अप्रैल को नौरादेही अभयारण्य में राधा बाघिन से जन्मी बाघिन एन-112 दो शावकों के साथ कैमरे में कैद की गई है। इस तरह नौरादेही अभयारण्य में 4 सालों में बाघों की संख्या 2 से 10 तक पहुंच गई है।
टाइगर रिजर्व बनाने भेजा गया प्रस्ताव
नौरादेही अभयारण्य के एसडीओ एसआर मलिक बताते हैं कि नौरादेही में तेजी से बाघों का कुनबा बढ़ने के बाद बाघ अभयारण्य बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। हाल ही में हुई स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री ने सैद्धांतिक सहमति जताई है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर प्रस्ताव केंद्र सरकार भेजे जाने की बात कही है।
क्या कहते हैं वाइल्डलाइफ विशेषज्ञ
वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ अजय दुबे का कहना है कि नौरादेही में बाघों को बचाने के काफी सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व से कॉरिडोर बनाने वाले नौरादेही अभयारण्य में पिछले 4 सालों में बाघों की संख्या 2 से 10 तक पहुंच गई है, जो खुशी की बात है। जहां तक नौरादेही अभयारण्य को बाघ अभयारण्य बनाने की बात है। नौरादेही अभयारण्य में अतिक्रमण और विस्थापन एक बड़ी समस्या है। करोड़ों खर्च होने के बाद आज भी अभयारण्य में 40 से 50 गांव हैं, जो विस्थापित नहीं हो सके हैं। इसके अलावा नौरादेही अभयारण्य प्रदेश का सबसे बड़ा अभयारण्य है और इधर ही सबसे ज्यादा लकड़ी तस्कर सक्रिय रहते हैं। इन स्थितियों में बाघों के लिए खतरा कायम है।

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