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Thursday, Dec 7, 2023
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पंचायत चुनाव पर हुई ‘सुप्रीम सुनवाई’, शीर्ष अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला; 10 मई को आएगा

नई दिल्ली/भोपाल(देसराग)। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिए जाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय में सरकार का पक्ष रखा। मेहता ने न्यायालय को भरोसा दिलाया है कि पंचायत चुनाव से संबंधित न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक ट्रिपल टेस्ट की कार्रवाई एक हफ्ते में पूरी कर ली जाएगी। इससे पहले गुरूवार को मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने ओबीसी की जनसंख्या से संबंधित अपनी सिफारिशें राज्य सरकार को सौंप दी थी। उन्हें भी न्यायालय में पेश किया गया।
मध्य प्रदेश में 48 फीसदी पिछड़ा वर्ग आबादी
सरकार ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय में पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सिफारिशें और रिपोर्ट भी पेश की। इन सिफारिशों के पहले प्रतिवेदन में आयोग ने दावा किया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मतदाताओं की संख्या प्रदेश में संख्या 48 फीसदी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं को घटाने पर अन्य पिछड़ा वर्ग का मतदाता प्रतिशत 79 फीसदी है।
न्यायालय ने लगाई थी फटकार
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश में पिछले 2 साल से 23 हजार पंचायत सीटें खाली होने पर हैरानी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि हैरानी की बात है कि मध्यप्रदेश में बिना किसी रिप्रेजेंटेटिव के 23000 पंचायत पद खाली हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए कि मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा डाटा अगर कंप्लीट नहीं होगा तो वहां भी महाराष्ट्र के आधार पर चुनाव होगा। सर्वोच्च न्यायालय की नाराजगी और दस्तावेज तलब करने की बात पर सरकार ने ओबीसी आरक्षण से संबंधित डेटा तैयार कराया है।
ट्रिपल टेस्ट का किया गया पालन
आयोग का दावा है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक जो सर्वे किया गया है उसमें ट्रिपल टेस्ट का पालन किया गया है। आयोग ने अनुसंधान,शोध और विश्लेषण के साथ ही ग्राम, जनपद और जिलों में भ्रमण कर अपनी 6 सिफारिशें सरकार को सौंपी हैं। सर्वोच्च न्यायालय में गुरुवार को पंचायत चुनाव कराने संबंधी याचिका पर सुनवाई हुई इस दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। जिसमें त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के सभी स्तरों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कम से कम 35 फीसदी स्थान आरक्षित करें। राज्य सरकार सभी नगरीय निकाय चुनाव के सभी स्तरों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कम से कम 35 फीसदी स्थान आरक्षित करे। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण किए जाने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए राज्य सरकार की ओर से भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए। राज्य सरकार द्वारा जनसंख्या के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग बाहुल्य जिला और ब्लॉक को ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ बहुल क्षेत्र घोषित किया जाए और उन क्षेत्रों में विकास की योजना लागू की जाएं।
अन्य अहम सुझाव भी शामिल
मध्य प्रदेश राज्य की पिछड़ा वर्ग की सूची में जो जातियां केंद्र की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में सम्मिलित नहीं है उन जातियों को केंद्र की सूची में जोड़े जाने का प्रस्ताव मध्य प्रदेश सरकार केंद्र सरकार को भेजे। इसके अलावा केंद्र की पिछड़ा वर्ग की सूची में जो जातियां मध्य प्रदेश राज्य की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में सम्मिलित नहीं है, मध्य प्रदेश सरकार और जातियों को राज्य की सूची में भी जोड़े। पिछड़ा वर्ग आयोग को 853 सुझाव मिले। आयोग को जिलों से भ्रमण के दौरान कई सामाजिक संगठनों ने अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन भी सौंपे।
कांग्रेस ने उठाए आंकड़े पर सवाल
कांग्रेस नेता अरुण यादव ने सरकार के आंकड़े पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश में 48 फीसदी नहीं, बल्कि 56 फीसदी से ज्यादा पिछड़ा वर्ग की आबादी है। ऐसे में इस आबादी के आधार पर ही आरक्षण दिया जाना चाहिए। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय के सामने सरकार जो आंकड़े पेश कर रही है, उससे लगता है कि सरकार की मंशा पिछड़ा वर्ग को धोखा देने की है। सरकार के आंकड़े ठीक नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय देगा परमीशन?
शिवराज सरकार स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग उम्मीदवारों के लिए 27 फीसदी सीटें आरक्षित करने का ऐलान किया है। मौजूदा स्थिति में 15 फीसदी सीटें अनुसूचित जाति और 20 फीसदी अनुसूचित जनजाति सीटें आरक्षित हैं। सर्वोच्च न्यायालय के नियम के मुताबिक कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता है। इस हिसाब से पिछड़ा वर्ग के लिए 15 फीसदी सीटें आरक्षित हो सकती हैं। इससे ऊपर आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारों को सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति लेना होगी। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ही तय करेगा कि सिफारिशें सर्वोच्च न्यायालय की अनुशंसा के मुताबिक हैं या नहीं। इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होगी।

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