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Saturday, Apr 1, 2023
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त्राहिमाम-त्राहिमाम…भीषण गर्मी में गांव ही नहीं शहरों के भी सूखे कंठ

देसराग डेस्क
मध्यप्रदेश में पड़ रही रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के साथ ही जल संकट की समस्या गहराती जा रही है। नदियां, तालाब, कुएं, बांधों के पेट तेजी से खाली हो रहे हैं, वहीं जमीनी जल स्तर भी गिरने लगा है। इस कारण गांव ही नहीं शहर में भी पानी की समस्या बढ़ती जा ही है। आलम यह है कि प्रदेश के कुल 413 स्थानीय नगरीय निकायों में से 90 में गंभीर जल संकट है।
इन निकायों में टैंकरों से पानी की सप्लाई की जा रही है, लेकिन एक-दो दिन छोड़कर। 70 से अधिक निकाय ऐसे हैं, जिनमें एक दिन छोड़कर और 20 निकायों में दो दिन छोड़कर लोगों को जलापूर्ति की जा रही है। छिंदवाड़ा जिले के डोंगर परासिया में तीन दिन बाद लोगों को पानी नसीब हो पा रहा है। प्रदेश के नगरीय निकाय क्षेत्रों में जल संकट का आलम यह है कि जलापूर्ति बरकरार रखने के लिए एक दर्जन से अधिक शहरों ने 19 करोड़ रुपए की डिमांड की है, जिसमें से 9 करोड़ रुपए इंदौर नगर निगम ने मांगे हैं। इंदौर नगर निगम वर्तमान में शहर के कई क्षेत्रों में टैंकर से जलापूर्ति कर रहा है। ऐसे ही तीन करोड़ रुपए कटनी नगर निगम ने मांगे हैं। यहां दो दिन छोड़कर जलापूर्ति की जा रही है।
एक-दो दिन छोड़कर पानी की सप्लाई
प्रदेश के कई नगरीय निकायों में पानी की समस्या इस कदर है कि एक-दो दिन छोड़कर पानी की सप्लाई की जा रही है। उज्जैन, भोपाल, जबलपुर संभाग के नगरीय निकायों में पानी की सबसे ज्यादा समस्या है। इन संभागों के 21-21 और जबलपुर के 11 निकायों में एक-दो दिन छोड़कर पानी की सप्लाई की जा रही है। सप्लाई का प्रेशर भी काफी कम होता है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को होती है जो दूसरी- तीसरी मंजिल पर रहते हैं। कटनी में तो अलग तरह की समस्या है। यहां जलस्रोत नहीं हैं, जिनसे पानी लेकर शहर तक सप्लाई की जा सके। इसके लिए बरगी नहर से पानी लेने का प्रस्ताव है, लेकिन इसका निर्माण वर्ष 2023 तक होना है, इससे वहां पानी की पर्याप्त उपलब्धता के लिए लोगों को दो साल तक और इंतजार करना होगा।
वहीं छिंदवाड़ा के डोंगर परासिया में तीन दिन बाद सप्लाई की जा रही है। यहां जलापूर्ति के लिए एक तालाब बनाया जा रहा था। दो वर्ष पहले अति बारिश के चलते डेम बह गया। अभी तक इस शहर में पानी की सप्लाई के लिए सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की है। विंध्य के निकायों की स्थिति बेहतर है। इस क्षेत्र के शहरों में लोगों को रोज पानी मिलता है। इसकी मुख्य वजह अच्छी बारिश और जल स्रोत मजबूत होना है। रीवा और शहडोल के अधिकांश निकायों में बाणसागर का पानी सप्लाई किया जाता है। हालांकि दूरस्थ गांव में संकट भी है।
नवगठित निकायों में सबसे अधिक समस्या
प्रदेश में पानी की ज्यादा समस्या नव गठित निकायों में है। ये निकाय पहले पंचायत थे, जिनमें तीन फीसदी तक पानी की सप्लाई बोर और टैंकरों से की जाती थी। इसके अलावा पानी की समस्या होने पर लोग कुएं और हैंडपंप की भी मदद लेते हैं। यहां पानी स्टोर के लिए टंकियों की क्षमता कम है, अब नगरीय निकाय बनने के बाद रोज के हिसाब से पानी की सप्लाई की जानी है, लेकिन यहां न तो पानी के स्रोत हैं और न ही टंकियां हैं। पानी सप्लाई के लिए नेटवर्क भी तैयार नहीं है। इसलिए निकायों को घर-घर पानी पहुंचाने में दोगुना मेहनत करनी पड़ रही है।
165 बड़े बांधों में से 65 सूखे
गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ ही प्रदेश में जल संकट गहराने की आशंका तीव्र होती जा रही है। हालत यह है कि यहां के 165 बड़े जलाशयों में से 65 बांध लगभग सूख चुके हैं और 39 जलाशयों में उनकी क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी शेष बचा है। भूमिगत जलस्तर कम होने से हैंडपंप और ट्यूबवैल भी पूरी क्षमता से पानी खींच नहीं पा रहे हैं। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल की कम वर्षा के चलते कुछ बांधों में पानी कम हो गया है। प्रदेश में जल संकट की स्थिति बन गई है।

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