भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश में सरकार ने इस साल करीब 3 लाख हेक्टेयर का सिंचाई रकबा बढ़ाने के साथ ही कई अन्य बढ़ी परियोजनाओं का लक्ष्य तय किया हुआ है लेकिन जिस जल संसाधन विभाग के जिम्मे यह काम सौंपा है, उस विभाग में आला अफसरों का बेहद टोटा बना हुआ है जिसके चलते प्रभार का खेल खेला जा रहा है।
इस विभाग को लेकर सरकार की संवेदनहीनता इससे ही समझी जा सकती है की 6 माह से विभाग में कोई ईएनसी तक नहीं है। बात यहीं समाप्त नहीं होती है, बल्कि विभाग को लंबे समय से एक दर्जन मुख्य अभियंताओं की भी दरकार बनी हुई है। पद रिक्त हैं, लेकिन सरकार उन्हें भरने में रुचि नहीं ले रही है जिसकी वजह से प्रभार देकर काम चलाना पड़ रहा है। इसकी वजह से इंजिनियरों के पास काम का दबाब बना हुआ है, काम भी प्रभावित हो रहा है। उधर, विभाग ने कार्यपालन यंत्री को मुख्य अभियंता का प्रभार सौंप दिया है।
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बजट भाषण में कहा था कि मप्र में जल संसाधन विभाग के अंतर्गत करीब 23 लाख 21 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की 27 वृहद, 46 मध्यम और 288 लघु सिंचाई परियोजनाएं निमार्णाधीन हैं। इस साल जल संसाधन के बजट में 9,267 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, लेकिन ये सारे प्रोजेक्ट तब पूरे होंगे, जब विभाग में प्रमुख अभियंता के अलावा चीफ इंजीनियर के पद भरे हों। ईएनसी के पद से एमएस डाबर सेवानिवृत्त हो चुके हैं और शिरीष मिश्रा के विरुद्ध ईओडब्ल्यू में मामला दर्ज होने की वजह से सरकार उन्हें ईएनसी बनाना नहीं चाहती है। वहीं विभाग में मुख्य अभियंता भी नहीं बचे हैं, जिसके चलते कार्यपालन यंत्री एवं प्रभारी संचालक नहर दीपक सातपुते को मुख्य अभियंता बोधी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वैसे विभाग में 12 पद मुख्य अभियंता के लिए स्वीकृत हैं लेकिन इस समय एक भी मुख्य अभियंता विभाग में नहीं है।
विभाग में बीते छह माह से पदोन्नति नहीं की गई है जिसकी वजह से अधिकांश पदों पर एसडीओ को कार्यपालन यंत्री, कार्यपालन यंत्री को अधीक्षण यंत्री का और अधीक्षण यंत्री को मुख्य अभियंता का प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है। यह बात अलग है कि इस बीच विभाग के आला अफसरों ने अपने चहेते अफसरों को उपकृत करने के लिए दो उपयंत्रियों को पदोन्नत कर प्रभारी एसडीओ के पद पर जरूर पदस्थ कर दिया है। उन्हें पदोन्नति देने के लिए साल 2016 में हुई डीपीसी को आधार बनाया गया है।
डाबर को संविदा नियुक्ति देने की है तैयारी
विभागीय सूत्रों की माने तो ईएनसी के पद से 31 मार्च को रिटायर हुए एमएस डाबर को सरकार द्वारा संविदा नियुक्ति देकर प्रमुख अभियंता बनाने की तैयारी की जा रही है। यह बात अलग है कि उनके नाम पर एकराय नहीं बन पाने की वजह से मामला उच्च स्तर पर लंबित पड़ा हुआ है। संविदा नियुक्ति के लिए डाबर भी लगतार प्रयासरत बने हुए हैं।