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Wednesday, Sep 27, 2023
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छात्रसंघ चुनाव: छात्रों से हर साल की जा रही डेढ़ करोड़ की वसूली

भोपाल(देसराग)। सरकार और उसके महकमे महंगाई के इस दौर में भी छात्रों व बेरोजगारों की जेब काटने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। भारी भरकम फीस के साथ ही उनसे छात्रसंघ चुनाव के नाम पर भी हर साल करीब डेढ़ करोड़ रुपए की वसूली कर ली जाती है। खास बात यह है कि इस मद में तब लगातार वसूली की जा रही है, जबकि सूबे में बीते पांच सालों से छात्रसंघ के चुनाव ही नहीं कराए गए हैं और आगे भी उम्मीद नहीं दिख रही है।
कालेजों के अलावा व्यापम ने भी 10 साल में परीक्षा फीस के रुप में एक हजार करोड़ रुपये वसूल डाले। अगर छात्र संघ चुनाव की बात करें तो सूबे में 530 महाविद्यालयों में प्रति वर्ष लगभग 14 लाख विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। इनमें से प्रत्येक से 10 रुपये की राशि छात्रसंघ चुनाव के नाम पर वसूल ली जाती है। इस हिसाब से हर हर साल एक करोड़ 40 लाख रुपए की वसूली की जाती है। अगर बीते पांच सालों की इस राशि को जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा सात करोड़ रुपए का हो जाता है। यह आंकड़ा तो सिर्फ शासकीय महाविद्याालयों का है। इसके अलावा प्रदेश में 771 निजी कालेज भी हैं। इनमें भी विद्यार्थियों से छात्रसंघ चुनाव के नाम पर राशि ली जाती है।
अगर छात्रसंघ चुनाव को देखें तो प्रदेश में 2017 के बाद से चुनाव ही नहीं हुए हैं, लेकिन विद्यार्थियों से राशि हर साल ली जा रही है। यह बात अलग है कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी शैक्षणिक कैलेंडर में छात्रसंघ चुनाव का भी उल्लेख रहता है। इसके बाद भी चुनाव नहीं कराए जाते हैं। इस मामले में विभागीय अधिकारी सरकार का सहारा लेकर पल्ला झाड़ लेते हैं। विभाग का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव के लिए ली गई राशि कालेजों में शासकीय निधि में जमा होती है।
छात्र संघ चुनाव जरुरी
प्रोफेसरों का मानना है कि हर साल छात्र संघ चुनाव जरूर कराए जाने चाहिए। महाविद्यालयों में जो छात्र संघ नेता होते हैं, वह विद्यार्थियों की समस्याओं को उठाने में मदद करते हैं। इससे छात्रों में संगठन के साथ ही संघर्ष क्षमता भी विकसित होती है। शिक्षा के बाद राजनीति क्षेत्र में जाने का भी रास्ता छात्रसंघ चुनावों से ही खुलता है।
परीक्षा के नाम पर कमाई
प्रदेश में व्यापमं पीईबी परीक्षाओं के जरिए बेरोजगारों से करोड़ों रुपये कमा रहा है। हर साल व्यापमं को 45 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा होता है, जबकि उसका खर्च 41 करोड़ रुपये ही है। बीते एक दशक में आयोजित परीक्षाओं में फीस के जरिए व्यापमं ने 1,046 करोड़ रुपए वसूले हैं। इसमें उसे पांच सौ करोड़ से ज्यादा का मुनाफा हुआ है। यह जानकारी खुद सरकार की ओर से विधानसभा में दी जा चुकी है। उत्तर में बताया गया था की पीईबी के पांच अलग-अलग बैंक खातों में 404 करोड़ से अधिक की राशि जमा है। 2017 में व्यापमं ने 15 परीक्षाएं लीं, जिनमें 36 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। व्यापमं ने सबसे ज्यादा फीस पटवारी, पुलिस, जेल प्रहरी, शिक्षक भर्ती की परीक्षा के नाम पर वसूली। इस मामले में सरकार द्वारा विधानसभा में व्यापमं की कमाई के जो आंकड़े पेश किए गए थे। उसके अनुसार यदि परीक्षा फीस में 50 फीसदी कटौती की जाती है फिर भी व्यापमं फायदे में रहेगा, क्योंकि व्यापमं सभी तरह की परीक्षाएं निजी एजेंसियों के जरिए आयोजित कराता है, जिसके एवज में हर साल करोड़ों रुपए का भुगतान होता है। पिछले 10 साल की फीस वसूली के अनुसार व्यापमं हर साल 45 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा कमा रहा है, जबकि हर साल औसत खर्च 41 करोड़ है।

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