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Monday, Oct 2, 2023
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राजनीति

तो मिशन 2023 में स्वयंसेवक सम्हालेंगे भाजपा का मैदानी मोर्चा

भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश में साल 2023 में होने वाले विधानसभा के चुनाव को लेकर अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी तेजी से सक्रिय नजर आना शुरू हो गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के बीच लगातार जारी बैठकों के बाद अब तक जो बात सामने आयी है उसके मुताबिक यह लगभग तय कर लिया गया है कि अगले विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश में भाजपा के मैदानी चुनावी मोर्चा पर स्वयंसेवक तैनात किए जाएंगे।
इसके अलावा भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच लगातार जारी रहने वाली समन्वय बैठकों में कई अन्य तरह के फैसले भी लिए जाना हैं। उधर दो दिवसीय भोपाल प्रवास पर आए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के साथ प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की चली लंबी बैठक के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुलाकात पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। इसके पूर्व हाल ही में दिल्ली और भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के बीच मप्र को लेकर समन्वय बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में सरकार व संगठन के कई कदमों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी की बात सामने आ चुकी है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की चुनावी तैयारियों व सरकार के खिलाफ एंटी इनकमवेंसी की संभावना को देखते हुए ही अब तय किया गया है कि संघ के सभी सहयोगी व अनुषांगिक संगठन इस बार चुनावी मैदान में मोर्चा सम्हालते हुए भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त करने में मदद करेंगे।
दरअसल यह पूरी कवायद वर्ष 2018 में आए चुनाव परिणामों की वजह से की जा रही है। यह बात अलग है कि तब भी संघ के स्व्यंसेवकों ने भाजपा की मदद की थी, लेकिन उस समय पूरी ताकत के साथ मैदानी मोर्चा नहीं सम्हाला था, जैसा की अब सम्हालने की तैयारी है। बीते चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से कम सीटें मिली थीं, जिसकी वजह से भाजपा को 15 माह तक विपक्ष में बैठना पड़ा था।
इससे सबक लेते हुए ही इस बार अभी से इस तरह का निर्णय कर लिया गया है। यही वजह है कि अभी से प्रदेश में समन्वय की कवायद तेज कर दी गई है। खासतौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठनों के साथ बेहतर तालमेल, संवाद और संपर्क का सिलसिला ज्यादा सघन किया जाने लगा है। बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से प्रदेश के नेताओं का ध्यान इस मुद्दे पर आकृष्ट करते हुए नाराजगी व्यक्त की गई थी। बीते सप्ताह दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सर कार्यवाह अरुण कुमार की मौजूदगी में संपन्न कोर कमेटी की बैठक में इस बात को गंभीरता से रेखांकित किया गया कि प्रदेश की आदिवासी एवं दलित बहुल सीटों पर विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सत्ता-संगठन को जो फीडबैक मिला है, उसमें निचले स्तर तक सतत संपर्क के साथ सरकार की योजनाओं की ब्रांडिंग पर जोर दिए जाने का मशविरा दिया गया है। मप्र विधानसभा की 230 सीटों में से अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 47 और अनुसूचित जाति के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं। इस तरह 82 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन कुल 100 से अधिक सीटों पर ये दोनों वर्ग निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
पूर्व की गलतियों से लिया सबक
चुनाव में मद्देनजर बीते चुनाव में हुई गलतियों से सबक लेकर भाजपा उनसे पूरी तरह से बचना चाहती है। दरअसल बीते विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजों ने भाजपा को सबसे ज्यादा अनुसूचित जनजाति वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग की सीटों के परिणामों से नुकसान हुआ था। भाजपा को 2013 की तुलना में केवल अनुसूचित जनजाति वर्ग बहुल क्षेत्रों की करीब डेढ़ दर्जन सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। इसी तरह अनुसूचित जाति वर्ग की भी कुछ सीटें भी भाजपा हार गई थी। यही कारण रहा कि उसे विपक्ष में बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हालांकि 15 महीने बाद राजनीतिक उथल-पुथल के बाद कमलनाथ सरकार गिर गई और भाजपा पुन: सत्ता में लौट आई। लेकिन संगठन ने पिछली गलतियों और कमियों को दुरुस्त करने के लिए अभी से काम शुरू कर दिया है।
यह अनुषांगिक संगठन होंगे सक्रिय
दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन के रुप में वनवासी कल्याण आश्रम, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, सहकार भारती, संस्कार भारती, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, स्वदेशी जागरण मंच, विद्या भारती और आरोग्य भारती अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं। इनका अपना नेटवर्क व प्रभाव भी है। इन संस्थाओं में बड़े पैमाने पर लोग काम करते हैं। इन सभी संगठनों के साथ भाजपा अब समन्वय करने का काम करेगी।

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