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Thursday, Dec 7, 2023
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सरकार की मंशा पर निर्भर रहेगी जांच, बढ़ेंगें हौसले!

भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश में बीते दो माह में करीब दो दर्जन अधिकारी लोकायुक्त और मध्य प्रदेश राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो यानि ईओडब्ल्यू के हाथों रिश्वत लेते या फिर आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों में पकड़े जा चुके हैं। इसके बाद भी सरकार उन्हें लगातार सुरक्षा कवच देने में पीछे नहीं है।
खास बात यह है कि बीते एक हफ्ते में लगभग हर रोज कोई न कोई अफसर जांच एजेंसियों द्वारा रिश्वत लेते धरे गए हैं। इसके बाद भी सरकार द्वारा प्रदेश में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में धारा 17-ए जोड़ने की अधिूसचना जारी कर दी गई है। यह धारा अब भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई पर सुरक्षा कवच बन गया है। इसके लागू होने से अब एजेंसियां जांच सीधे नहीं कर सकेंगी बल्कि इसके लिए पहले उन्हें सरकार से अनुमति लेनी होगी। इसकी वजह से अधीनस्थ अफसरों की जांच को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। इसके पहले सरकार चतुर्थ श्रेणी से लेकर द्वितीय श्रेणी स्तर तक के अफसरों को भी इसी धारा का सुरक्षा कवच प्रदान कर चुकी है, जिसमें संबधित विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य किया गया था। इससे मामलों की जांच में देरी होना तो तय ही है,साथ ही रसूखदर अफसरों व कर्मचरियों पर भी कार्रवाई होना मुश्किल माना जा रहा है। इसकी वजह है संबंधित विभागीय अफसर जांच एजेंसियों से सहमत नहीं होंगे। ऐसे में भ्रष्टाचार पर नकेल कैसे कस पाएगी। यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। उधर इस मामले में अब कांग्रेस पूरी तरह से हमलावर हो गई है।
एक सैकड़ा अफसरों पर चल रही है जांच
प्रदेश में यह नियम ऐसे समय लागू किया गया है जबकि करीब एक सैकड़ा अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के खिलाफ दोनों जांच एजेंसियों यानि की लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में जांच चल रही हैं। इनमें से लोकायुक्त में ही अकेले 35 और ईओडब्ल्यू में 28 आईएएस के खिलाफ शिकायतें हैं इसी तरह से 20 आईपीएस और 39 आईएफएस के खिलाफ भी शिकायतें हैं। इनमें से कुछ रिटायर्ड हो चुके हैं तो कुछ निलंबित भी चल रहे हैं।
हाल ही में अफसरों पर हुई कार्रवाई
सिंगरौली के देवसर जनपद पंचायत के सीईओ को रीवा लोकायुक्त की टीम ने 5000 की रिश्वत लेते पकड़ा। लोकायुक्त ने विदिशा जिला पंचायत कार्यालय के लेखाधिकारी मनोज राय को एक रोजगार सहायक से बहाली के लिए 15 हजार रिश्वत लेते दबोचा। दमोह में लोकायुक्त ने दोहद तहसील परिसर में एक्साइज इंस्पेक्टर मनीराम गोंड को 5 हजार की घूस लेते पकड़ा। वह जमीन के सीमांकन के लिए घूस मांग रहा था। इसी तरह से हाल ही में दो जिला स्वास्थ्य अधिकारी से लेकर कई विभागों के जिला प्रमुख भी रिश्वत लेते धरे गए हैं।
इन विभागों से ज्यादा शिकायतें
जांच एजेंसियों को राजस्व पंचायत और पुलिस विभाग की ज्यादा शिकायतें मिलती हैं। लोकायुक्त ने हाल ही में घूसखोरी में पटवारी, डॉक्टर, इंजीनियर नायब तहसीलदार, रेंजर, सीईओ और अन्य विभागों के अफसरों को भी पकड़ा है।

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