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Monday, Oct 2, 2023
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अपेक्स बैंक में उड़ाई जा रहीं नियमों व निर्देशों की धज्जियां!

भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश राज्य सहकारी बैंक यानि की अपेक्स बैंक में अपनों को उपकृत करने के लिए जमकर नियमों व निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। हद तो यह हो गई की बैंक में जिन नौ अयोग्यों को डिप्टी मैनेजर बना दिया गया है उस मामले में अब तक तमाम आला जगहों से मिले निर्देशों तक पर बैंक प्रबंधन पालन करने को तैयार नही है, लिहाजा इस मामले की शिकायत अब मुख्यमंत्री से की गई है।
दरअसल इस मामले में हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी की ओर से अवैध नियुक्तियों को लेकर यह निर्देश दिए गए थे। इनमें खास बात यह है की बैंक प्रबंधन ने चार ऐसे डिप्टी मैनेजरों की नियुक्ति कर दी जो इन सीधी भर्ती के पदों के लिए तय न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता ही नहीं रखते हैं। खास बात यह है कि अपेक्स बैंक स्टाफ कमेटी की प्रोसीडिंग 1 नवंबर 2010 के संकल्प क्रमांक 21 में भी स्पष्ट रूप से स्वीकारा गया था कि इनकी नियुक्ति प्रक्रिया दूषित है। अब इस मामले में संघ के सहयोगी संगठन सहकार भारती के भोपाल संगठन प्रमुख आनंद ब्यौहार द्वारा इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, मंत्री और मुख्य सचिव से भी की गई है।
उनका कहना है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय मंसुख लाल सराफ वर्सेस अरुण कुमार तिवारी के परिपालन में मध्य प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी ने प्रदेश के सभी विभाग और कार्यालयों को 1 जून 2017 को निर्देश दिया था कि उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में अनियमित या अवैध रूप से नियुक्त कर्मचारियों को हटाने की कार्यवाही की जाए।
हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने भी यथावत रखा था। इसके बावजूद अपेक्स बैंक के तत्कालीन प्रबंध संचालक आरएस गर्ग एवं बैंक की स्टाफ कमेटी व इस दरम्यान पदस्थ प्रबंध संचालकों ने इस आदेश का पालन करना भी उचित नहीं समझा है। गौरतलब है की उस समय विज्ञापन के आधार पर करीब 300 उम्मीदवारों ने आवेदन प्रस्तुत किए थे। इसमें से तय योग्यतानुसार नौ आवेदक नौकरी के पात्र थे। जिनमें इसके बाद भी अयोग्य उम्मीदवारों को नियुक्तियां प्रदान कर दी गईं। इस मामले में शिकायतकर्ता का कहना है कि यह अवैध नियुक्तियां कांग्रेस शासनकाल के दौरान की गई थी और चारों नेताओं के रिश्तेदार करीबी हैं।
इस तरह से लगाया गया चूना
बैंक प्रबंधन को पूरा मामला पता होने के बाद भी 6 सितंबर 2013 को बैंक कमेटी में संकल्प पारित कर इन्हें पुरानी तिथि से कन्फर्म करते हुए लगभग 70 लाख रुपए का एरियर्स भुगतान करने का निर्णय कर दिया गया था। अब इन अयोग्य अफसरों को एक-एक लाख रुपए प्रति माह वेतन दिया जा रहा है, जिसकी वजह से बैंक को अब तक करीब दो करोड़ से अधिक की चपत लग चुकी है। खास बात यह है कि इस मामले में पूर्व एमडी आरएस गर्ग भी शामिल हैं। वे अभी एक अन्य आपराधिक षड्यंत्र में जमानत पर हैं।
इस तरह की अयोग्यता
अपेक्स बैंक द्वारा जारी भर्ती विज्ञापन में डिप्टी मैनेजर पद पर सीधी भर्ती के लिए जो आवेदन आमंत्रित किए गए थे। न्यूनतम योग्यता एमबीए के साथ प्रथम श्रेणी में ग्रेजुएट अथवा द्वितीय श्रेणी में पोस्ट ग्रेजुएट होना अनिवार्य था। वरुण यादव एमएससी हैं लेकिन एमबीए नहीं। समीर सक्सेना एमबीए हैं लेकिन पोस्ट ग्रेजुएट नहीं हैं। बीएमएस भिलाई एमबीए हैं लेकिन पोस्ट ग्रेजुएट नहीं हैं और विवेक मालिक एमबीए हैं लेकिन पोस्ट ग्रेजुएट नहीं है।

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