बगैर आरक्षण के पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रार
ग्वालियर(देसराग)। सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश जिसमें उसने मध्यप्रदेश में बगैर आरक्षण के पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव कराने का निर्णय दिया है, मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर अन्य पिछड़ा वर्ग का मुद्दा गरमा गया है। शीर्ष न्यायालय के आदेश के बाद कांग्रेस शिवराज सरकार पर हमलावर है और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का एजेंडा लागू कर रहे हैं।
डॉ. गोविंद सिंह एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा में पारित उस संकल्प को पूरा क्यों नहीं कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव आरक्षण के बगैर नहीं कराए जाएंगे। शिवराज सरकार ने इस मामले में शीर्ष कोर्ट में मजबूती के साथ इस पक्ष को क्यों नहीं रखा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सच तो यह है कि शिवराज सरकार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एजेंडे को लागू कर रही है क्योंकि मोहन भागवत कुछ समय पहले कह चुके हैं कि अब देश में आरक्षण की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार के रवैया से साफ हो गया है कि कांग्रेस ही अन्य पिछड़ा वर्ग की सच्ची हितैषी है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं लेकिन इन तीनों ने कभी भी अन्य पिछड़ा वर्ग के हित में कोई कदम नहीं उठाया। इसके विपरीत पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने पिछड़ा वर्ग के लिए महाजन आयोग का गठन किया। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस वर्ग के लिए 14 फ़ीसदी आरक्षण लागू किया, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बढ़ाकर 21 फ़ीसदी कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विधानसभा में आरक्षण के बिना चुनाव कराने की घोषणा करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बताएं कि न्यायालय में उनकी सरकार क्यों मजबूती से अन्य पिछड़ा वर्ग के हित में अपना पक्ष नहीं रख सकी। बहरहाल शीर्ष न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेस इस मुद्दे पर भाजपा और शिवराज सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।