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Wednesday, Dec 6, 2023
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सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर लगाई रोक

अंतिम फैसला आने तक कोई नया केस नहीं होगा दर्ज

नई दिल्ली(देसराग)। सुप्रीम कोर्ट ने अंग्रेजी राज के 152 साल पुराने राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि इस मामले में पुनर्विचार याचिका पर अंतिम फैसला आने तक देश के किसी भी राज्य में राजद्रोह का कोई नया केस दर्ज नहीं होगा। इस मामले में अब अगली सुनवाई जुलाई में होगी।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राजद्रोह कानून की समीक्षा होने तक सरकारें 124 ए के तहत कोई मामला दर्ज ना करें और ना ही किसी तरह की जांच करें। देश की जनता की आवाज को दबाने के लिए 1870 के राजद्रोह कानून की धारा 124 ए पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है। दरअसल हाल के सालों में इस कानून का जितना दुरुपयोग हुआ है उतना आजाद भारत में कभी नहीं हुआ।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जिन लोगों के खिलाफ राजद्रोह के मामले दर्ज हैं, वे राहत के लिए कोर्ट में जाकर अपील कर सकते हैं। अंतरिम आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा जरूरी है।
सरकार की दलील
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि फिलहाल इस कानून पर रोक ना लगाई जाए। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि केंद्र ने जो मसौदा तैयार किया है उसके मुताबिक बगैर पुलिस अधीक्षक की अनुमति के राजद्रोह का केस दर्ज नहीं होगा और पुलिस राजद्रोह के प्रावधानों के तहत एफ आई आर दर्ज करने के समर्थन में पर्याप्त कारण भी बताएगी। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से दलील देते हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से मांग की कि राजद्रोह कानून पर तत्काल रोक लगाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि देश में 13 लोग इस मामले में जेल में बंद हैं।

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