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Thursday, Dec 7, 2023
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विचार

कांग्रेस चिंतन शिविर से अपेक्षाएं

सोमेश्वर सिंह

उदयपुर का चिंतन शिविर कांग्रेस पार्टी ही नहीं भारत के भविष्य की दिशा तय करेगा। आज हमारा संविधान और लोकतंत्र दोनों खतरे में है। इस चिंतन शिविर से निकलने वाले संदेश पर देश के करोड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं की उम्मीद टिकी हुई है। पार्टी को भरोसा देना होगा कि विपक्षी विकल्प के तौर पर कांगेस पार्टी आज भी प्रासंगिक है।
आज कांग्रेस पार्टी ऐतिहासिक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। गांधी नेहरू युगीन मूल्यों, सिद्धांतों, परंपराओं को ध्यान में रखते हुए इस विरासत को आगे आने वाली पीढ़ी को सौंपना है। सैद्धांतिक स्तर पर अपने अस्तित्व को बचाए रखते हुए समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ मिलकर आने वाली चुनौतियों का सामना भी करना है। उन राज्यों में जहां पार्टी कमजोर है। अपने लक्ष्य और उद्देश्य को ध्यान में रखकर संगठन को मजबूत भी करना है।
पार्टी को बुनियादी रूप से जनसंपर्क, जनसंवाद और जन संघर्ष के रास्ते पर चलना होगा। तभी कांग्रेस पार्टी आगे बढ़ेगी। मजबूत होगी। संगठन का विस्तार होगा। आम जनता का विश्वास अर्जित करने तथा जनाधार बढ़ाने का एकमात्र यही रास्ता है। कांग्रेस पार्टी के महान नेता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरु ने हमें यही रास्ता दिखाया है। इस रास्ते से पार्टी जब कभी विचलित हुई है तभी नुकसान उठाना पड़ा है।
सदन में संख्या बल का महत्व होता है। किंतु संख्या बल ही सब कुछ नहीं है। आज कांग्रेस पार्टी संख्या बल के हिसाब से सदन में कमजोर है। किंतु विचार और सिद्धांतों से शक्तिशाली। कांग्रेस की इसी ताकत से भाजपा डरती है। इसीलिए भाजपा आज कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व को नंबर एक दुश्मन मानती है। घृणास्पद दुष्प्रचार करती है। झूठ और प्रपंच फैलाती है। जिसके लिए उसके पास एक समूचा बिकाऊ मीडिया तंत्र है। इसके मुकाबले पार्टी को एक ठोस नीति बनानी होगी खासतौर से आईटी सेल को मजबूत करना होगा।
पचमढ़ी चिंतन शिविर में सांप्रदायिकता के बढ़ते खतरे तथा भाजपा के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना बनी थी। उत्तर प्रदेश, बिहार और तमिलनाडु में संगठन को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया गया था। पार्टी के सभी स्तरों पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव निर्धारित किया गया था।
इसके अलावा पारित महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया था कि पार्टी को करिश्माई नेतृत्व और संगठन के अलावा एक ऐसी विचारधारा की जरूरत है जिससे देश के युवा शामिल हो और उनमें पार्टी के प्रति विश्वास पैदा हो। पचमढ़ी चिंतन शिविर के इन महत्वपूर्ण फैसलों पर पुर्नविचार होना चाहिए।
आज देश के सामने गंभीर चुनौतियां हैं। संवैधानिक संस्थाओं के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। उग्र राष्ट्रवाद तथा कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे पर भाजपा काम कर रही है। देश की बुनियादी समस्याओं महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक संकट को दरकिनार कर दिया गया है। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और श्रीलंका में इसके दुष्परिणाम सामने आ चुके हैं।
इस वर्ष गुजरात तथा हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है। आगामी वर्ष 2023 में मध्य प्रदेश सहित अन्य सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। उसके बाद 2024 में लोकसभा का महत्वपूर्ण चुनाव होगा। मध्यप्रदेश में बिजली और पानी का गंभीर संकट है। अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक समुदाय, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बेइंतहा वृध्दि हुई है। पंचायत चुनाव में सरकार ने पिछड़े वर्ग की भागीदारी को लगभग समाप्त कर दिया है। इन मुद्दों पर पार्टी की ठोस रणनीति क्या होगी। इस पर भी विचार किया जाना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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