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Monday, Sep 25, 2023
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राजनीति

जातिगत समीकरणों को साधने कमलनाथ खंगाल रहे समाजों की कुंडली

भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश में साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत तय करने के लिए अब कांग्रेस ने जातिगत समीकरण साधने की योजना बनाई है। इसके तहत कांग्रेस अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग जाति के सम्मेलन करने की रणनीति पर अमल करने जा रही है। इन सम्मेलनों के माध्यम से कांग्रेस अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों को कांग्रेस के पक्ष में लाने का प्रयास करेगी। उधर पार्टी ने अब कांग्रेस विधायकों को पड़ोस की भाजपा विधायक वाली सीट का जिम्मा देने का भी फैसला कर लिया है।
दरअसल, हाल ही में पार्टी के विभिन्न मोर्चा-प्रकोष्ठ की बैठक में यह बात उठी थी की पिछड़ा वर्ग के नाम पर कुछ जातियों के लोगों को ही महत्व दिया जाता है जिसकी वजह से अन्य जातियों के लोगों को महत्व नहीं मिल पाता है।
बैठक में कहा गया था कि पिछड़ा वर्ग का दायरा व्यापक है। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी लगभग 52 फीसदी के आसपास है। यह वर्ग सूबे की कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में हैं। यही वजह है कि इन दिनों प्रदेश में बीते कई माह से भाजपा और कांग्रेस के बीच इस वर्ग को साधने के लिए आरक्षण का श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। इसकी वजह से ही पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के मामले में कांग्रेस व भाजपा समर्थन में मिलकर खड़े हुए हैं। इस मामले में तो शिवराज सरकार ने तो अलग से पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग तक का ही गठन कर डाला है। इस मामले में कांग्रेस भी पिछड़ा वर्ग को साधने में कोई कमी नहीं करना चाहती है।
यही वजह है इस वर्ग से जुड़े विभिन्न सामाजिक संगठनों के दो सम्मेलन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ की मौजूदगी में किए जा चुके हैं। इसमें कुशवाहा समाज का सम्मेलन भी शामिल है। इसी तर्ज पर कांग्रेस ने अलग-अलग जाति के सम्मेलन करने की योजना तैयार की है। इसके अलावा कांग्रेस ने हर जाति के प्रभाव को देखते हुए उन्हें पार्टी संगठन में उचित प्रतिनिधित्व देने की भी रणनीति बनाई है। इन सम्मेलनों के आयोजन के लिए स्थान व तारीख तय करने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। पार्टी द्वारा इसी तरह से अलग अलग इलाकों में अनुसूचित जाति वर्ग के सम्मेलन करने की भी तैयारी की जा रही है।
कम मतों से हारी सीटों पर खास नजर
कांग्रेस ने मौजूदा पार्टी की सीटों के अलावा कम मतों के अंतर से हारी सीटों पर खास फोकस करने का फैसला किया है। पार्टी का मानना है कि अगर इन सीटों पर अभी से फोकस कर मेहनत की जाए तो अगले चुनाव में यह सीटें पार्टी के खाते में आसानी से आ सकती हैं। इन सीटों पर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का जिम्मा पड़ोसी सीट के कांग्रेस विधायक की रहेगी। बहरहाल इस तरह की नौ सीटें हैं, जिनमें कांग्रेस प्रत्याशी को 1300 से कम मतों से हार का सामना करना पड़ा था। सूत्रों के अनुसार बैठक में 18 माह का रोडमैप बनेगा। इसी आधार पर जिम्मेदारी दी जाएगी। उधर बिजली संकट मसले पर कांग्रेस सरकार की घेराबंदी करने जा रही है। इसके लिए तहसील स्तर तक सब स्टेशनों पर एक साथ एक ही समय में प्रदर्शन की योजना बनाई गई है। इसके लिए प्रदेश से जिला अध्यक्षों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
पड़ोसी सीट का जिम्मा भी सम्हालेंगे कांग्रेस विधायक
अगले साल विधानसभा चुनाव में अधिक सीटें जीतने के लिए कांग्रेस संगठन ने अब रणनीति के तहत अपने कांग्रेस विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र के साथ ही पड़ोस की भाजपा विधायक वाली सीट पर भी फोकस करने को कहा है। इसके लिए संगठन द्वारा खाका तैयार किया जा रहा है। होमवर्क पूरा होते ही विधायकों को अलग -अलग सीट की जिम्मेदारी प्रदान कर दी जाएगी। इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं सहित अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठकें कर चर्चा कर चुके हैं। इसके लिए संगठन द्वारा अलगे माह पार्टी विधायकों की बैठक भी प्रस्तावित है। डॉ. गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष पद संभालने के बाद यह विधायक दल की पहली बैठक होगी। इस बैठक के लिए नेता प्रतिपक्ष कार्यालय से विधायकों को सूचना भेजने का काम शुरू किया जा चुका है। माना जा रहा है कि बैठक में सरकार की सदन में घेराबंदी के साथ ही चुनावी रणनीति पर भी मंथन किया जाएगा।
कांग्रेस बना रही है आरक्षण को मुद्दा
भले ही प्रदेश में शिव सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया जा चुका है, लेकिन अब भी इस वर्ग के अभ्यार्थी विभिन्न परीक्षाओं में बढ़े हुए आरक्षण को हासिल करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकारी शिक्षक भर्ती की बात हो या फिर राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा इनमें तय किए गए आरक्षण को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। उधर, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक बार फिर अंतरिम आदेश देकर मप्र लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा-2020 में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 की जगह 14 फीसदी ही आरक्षण देने को कहा है। अब इस मामले को लेकर कांग्रेस मुद्दा बना रही है। इस मामले में पूर्व सीएम कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि हमारी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया था। लेकिन शिवराज सरकार के नाकारापन, कमजोर पैरवी व ठीक ढंग से पक्ष नहीं रखने के कारण इस वर्ग को इस बढ़े हुए आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है, उनका हक छिनता जा रहा है। अब मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा में भी ओबीसी वर्ग को बढ़े हुए आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। हमारी सरकार इस वर्ग को बढ़े हुए आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध, संकल्पित थी। लेकिन शिवराज सरकार नहीं चाहती है कि ओबीसी को उनका हक मिले, इसकी वास्तविकता रोज सामने आ रही है।

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