धार(देसराग)। कोरोना महामारी ने लाखों घरों के चिराग बुझा दिए, तो करोड़ों को अनाथ कर दिया। किसी के मां-बाप छीन लिए, तो किसी बुजुर्ग की बुढ़ापे की लाठी छीन ली। ऐसा ही एक वाक्या धार में आया था, जहां बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी के बेटे की कोरोना महामारी से मौत हो गई थी। वह अपने पीछे 9 साल की बेटी और पत्नी को छोड़ गए। अपने बेटे की मौत के बाद बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी ने अपनी बहू और पोती का दर्द समझा और उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपनी बहू को बेटी मानकर उसकी दूसरी शादी कराई और पिता के तौर पर कन्यादान किया।
कोरोना महामारी ने धार के युगप्रकाश तिवारी के बेटे प्रियंक तिवारी को छीन लिया प्रियंक की मौत के बाद जहां उनकी पत्नी और 9 साल की बेटी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। प्रियंका के सास-ससुर अपनी बहू और पोती पर आए संकट को समझ रहे थे और पहाड़ सी जिंदगी कैसे कटेगी, यह उनके सामने बड़ा सवाल था। उन्होंने अपनी पोती और बहू के दुख को समझा और एक बड़ा फैसला लिया।
उन्होंने अपनी बहू को बेटी मानते हुए उसके लिए नए जीवन साथी की तलाश शुरू कर दी। काफी मशक्कत के बाद नागपुर में उन्होंने अपनी बहू की शादी तय की और अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर बहू को बेटी मानते हुए कन्यादान किया और नागपुर में शादी संपन्न हुई।
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