भिंड(देसराग)। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किस कदर दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है, इसका एक नमूना भिंड में देखने को मिला। जिले के भरौली थाना इलाके के सड़ा गांव के रहने वाले अहवरन शर्मा का 6 साल का मासूम नाती कार्तिक, जो कि बिना हाथ और पैरों के दिव्यांग पैदा हुआ था।
ऐसे में मां ने अपना फर्ज निभाते हुए उसकी अच्छे से देखभाल की। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नही हैं, ऐसे में मां पूजा ने सरकारी मदद के लिए गुहार लगायी। किसी दिव्यांग के लिए सरकारी मदद के लिए विकलांग प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। जिसके लिए दिव्यांग कार्तिक की मां और उसके बुजुर्ग नाना जिला अस्पताल का चक्कर काट-काटकर परेशान हो गए, लेकिन प्रमाण पत्र नहीं बन सका। कभी कागजों की कमी, कभी किसी और वजह से लगातार टाला गया। जब यह जानकारी मीडिया के सामने आई तो आनन-फानन पूरा प्रशासन सक्रिय हो गया।
मीडिया को देख एक्शन में आए कलेक्टर
लोगों से मिली समझाइश और सलाह के बाद 45 डिग्री की तपती दोपहरी में पूजा अपने दिव्यांग बेटे कार्तिक को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंची, लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी जब उनको पता लगा कि इस बार भी कलेक्टर व्यस्त हैं तो पूजा और उसके बुजुर्ग पिता हताश होकर नीचे बैठ गए, लेकिन जैसे ही कलेक्टर को मीडिया द्वारा दिव्यांग की खबर बनाए जाने की सूचना मिली तो कलेक्टर सतीश कुमार एस आनन-फानन में पहुंचे और दिव्यांग कार्तिक को लेकर तुरंत कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया।
कलेक्टर ने बताया कि जल्द मेडिकल बोर्ड से विकलांग प्रमाण पत्र, शासन की योजना में मिलने वाले मुफ्त अनाज की पर्ची और विकलांग पेंशन जिससे दिव्यांग कार्तिक का भरणपोषण हो सके, उसको लेकर मौके से अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। साथ ही आर्टिफिशियल उपकरण के बारे में कलेक्टर का कहना है कि कोई कमिटमेंट तो नहीं कर सकता हूं, लेकिन प्रयास जरूर करूंगा।
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