देसराग डेस्क
बच्चों को किसी प्रदेश और देश का भविष्य कहा जाता है, लेकिन मप्र में यह भविष्य सुरक्षित नहीं है। प्रदेश में बच्चों खासकर लड़कियों के अपहरण के मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं। यहां से हर रोज करीब 23 लड़कियां लापता हो रही हैं। जनवरी 2021 से फरवरी 2022 के बीच (14 माह) में एससीआरबी (स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ) के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर यह तथ्य सामने आया कि इस दौरान प्रदेश से 10 हजार 66 बेटियों का अपहरण हुआ।
हैरानी की बात यह है कि इंदौर-भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने के बाद भी बेटियों के अपहरण की वारदातों में कोई कमी नहीं आई है। स्वच्छता में नंबर एक इंदौर बेटियों की सुरक्षा में पीछे है। यहां बेटियों के अपहरण की सर्वाधिक घटनाएं हुईं। प्रदेश के चार बड़े शहरों की तुलना करें तो दूसरे नंबर पर राजधानी भोपाल है। ग्वालियर में करीब 28 प्रतिशत तक अपहरण की वारदातें बढ़ी हैं।
अंजान से दोस्ती पड़ रही भारी
18 वर्ष से कम उम्र की किशोरियों का अपहरण सबसे अधिक हुआ। इसमें इंटरनेट मीडिया भी बड़ी वजह निकलकर सामने आई है। पुलिस अफसरों की मानें तो इंटरनेट मीडिया पर अंजान से दोस्ती भारी पड़ रही है। बहला-फुसलाकर ले जाने के मामले भी अधिक हैं। कई मामलों में तो करीबी ही अपहरण करने वाले निकले। पुलिस आयुक्त इंदौर हरिनारायण चारी मिश्रा का कहना है कि प्रदेश में महिलाओं व बच्चियों के अपहरण की सबसे ज्यादा वारदात इंदौर में हुई हैं, यह सही है। हमने ऑपरेशन मुस्कान और अन्य अभियान चलाकर बरामदगी भी सबसे अधिक की है। हमने ऐसे स्थान भी चिह्नित किए हैं जहां से सबसे ज्यादा अपहरण की घटना हुई। अपहरण की घटना अधिक होने की वजह इंदौर की जनसंख्या अधिक होना है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा इंटरनेट मीडिया पर दोस्ती, अंजान से दोस्ती के बाद बहला- फुसलाकर ले जाने के भी कई मामले हैं। ग्वालियर एसपी अमित सांघी का कहना है कि ग्वालियर में महिला, बच्चियों के अपहरण की वारदातें बढ़ी हैं, इसमें बड़ी वजह इंटरनेट मीडिया है। कई मामले ऐसे हैं, जिनमें इंटरनेट मीडिया पर दोस्ती हुई, फिर आरोपी किशोरियों को बहला-फुसलाकर ले गए। कई मामलों में दुष्कर्म भी हुए। हम इसे लेकर जागरूकता अभियान चलाएंगे, बरामदगी के लिए टीमें भी लगाई हैं।