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Thursday, Dec 7, 2023
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‘माई के लाल’ की तर्ज पर भाजपा को भारी न पड़ जाए पिछड़ा आरक्षण की दीवानगी?

ग्वालियर(देसराग)। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर सियासत गरमा गई है। पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर प्रदेश का पॉलिटिकल पारा भी चढ़ा है। कांग्रेस सहित पिछड़ा वर्ग संगठन भाजपा सरकार के खिलाफ मुखर हैं तो वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ दिलाने सम्बन्धी आदेश को लेकर मॉडिफिकेशन याचिका दायर करने के लिए कानूनविदों से मुलाकात कर रहे हैं। इन सबके बीच पिछड़ा वर्ग महासभा इस मामले को लेकर खुलकर मैदान में आ गई है। वह कह रही है कि 2018 में “माई के लाल” वाला बयान भाजपा सरकार को भारी पड़ा था, अब वही स्थिति पिछड़ा वर्ग के साथ पैदा हो रही है।
प्रदेश व्यापी आंदोलन का ऐलान
कांग्रेस और भाजपा के बीच पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर चल रही सियासी रस्साकशी पर पिछड़ा वर्ग संगठन लामबंद हो गए हैं। वह दोनों ही दलों की पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर मंशा पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं। साथ ही पिछड़ा वर्ग महासभा भाजपा पर सुप्रीम कोर्ट में पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर सही ढंग से पैरवी न करने के आरोप लगाते हुए अब खुद का वकील सुप्रीम कोर्ट में खड़ा करने की बात कर रही है। महासभा पिछड़ा वर्ग आरक्षण की मांग को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन करने की तैयारी में जुट गई है। इसके साथ ही ग्वालियर में पिछड़ा वर्ग महासभा ने बड़ी बैठक बुलाई है। इस बैठक में गांव से लेकर राजधानी तक बड़ा विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी शुरू की जाएगी।
प्रदेश में गरमायी सियासत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्य प्रदेश की सियासत में पिछड़ा वर्ग आरक्षण का मुद्दा जोर-शोर से गरमा गया है। भाजपा जहां इस मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में है और पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर उल्टा कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर रही है। भाजपा कांग्रेस पर पिछड़ा वर्ग के साथ कुठारघात किए जाने के आरोप लगाते हुए खुद को पिछड़ा वर्ग का हितैषी बताते हुए अपनी पीठ थपथपा रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा दावा कर रही है कि किसी भी कीमत पर पिछड़ा वर्ग को उसका हक और अधिकार दिलाने में शिवराज सरकार पीछे नहीं हटेगी। वहीं कांग्रेस पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर भाजपा सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश कर रही है। कांग्रेस पिछड़ा वर्ग आरक्षण को संवैधानिक व्यवस्था बताते हुए भाजपा के खिलाफ मुखर है।
कुल मिलाकर प्रदेश में एक बार फिर पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर सियासी संग्राम सड़क से लेकर सियासी गलियारों में शुरू हो गया है। सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या ग्वालियर चंबल संभाग में 2018 के विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिया गया माई के लाल बयान की तरह पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का मामला भी भाजपा के लिए खतरे की घंटी न बन जाए। साल 2018 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा माई के लाल के बयान के बाद ग्वालियर-चंबल अंचल में सवर्ण वोट शिवराज सरकार के खिलाफ हो गया था। नतीजा यह निकला कि 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल से भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। अब भाजपा को डर है कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण का मामला भी आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा पर भारी न पड़ जाए।

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