देसराग डेस्क
मप्र सरकार ने कई सपंत्तियों को एक बार फिर बेचने की तैयारी कर ली गई है। देखरेख के अभाव में इन पर भू-माफिया की नजर लगी हुई है। इन बेशकीमती संपत्तियों पर अतिक्रमण होने का डर भी बना हुआ है। फिलहाल सरकार को इनसे दोहरा नुकसान हो रहा है। सरकार इनके बेचने से मिलने वाली राशि से विकास के काम कराने जा रही है।
मौजूदा समय में वैसे भी सरकार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल सरकार द्वारा अब तक 31 संपत्तियों को 646 करोड़ रुपए में बेचा जा चुका है। अब सरकार द्वारा करीब पौने चार लाख वर्गमीटर में फैली कई तरह की सांपत्तियों को बेचने की तैयारी है। इनमें सबसे अधिक संपत्ति बस डिपो की हैं। बेची जा रही एक संपत्ति तो मुबंई में है। यह 2,295 वर्गमीटर में फैली प्रिंसेस बिल्डिंग है। मुबंई की सम्पत्ति के लिए तो सरकार द्वारा टेंडर भी किया जा चुका है। सरकार द्वारा जमीन 30 साल के लीज पर दी जा रही है।
अब तक ये संपत्तियां बेचीं
मप्र सरकार ने अभी तक पोरसा बस डिपो, बीनागंज बस डिपो, पचामा प्लांट, रीवा में स्थित बिल्डिंग, ग्वालियर, सनखेड़ी स्थित साख सहकारी समिति की भूमि, ग्वालियर में आवासीय भूखंड, मंदसौर में पुराना जिपं कार्यालय, इटारसी में पीडब्ल्यूडी का रेस्ट हाउस, डबरा बस डिपो, जबलपुर, बालाघाट, मुरैना डिपो, ब्यावरा बस डिपो, नरसिंहपुर का बस डिपो, बैरागढ़ में स्थित सेंट्रल प्रेस भवन, इंदौर के पिपल्याहाना, उज्जैन के नागझिरी में स्थिति प्लांट एवं मशीनरी, कैलारस में प्लांट एवं मशीनरी, तराना बस डिपो, रतलाम की मिड-टाउन कॉलोनी आदि 31 संपत्तियों को बेचा है।
280 सरकारी संपत्तियों को बेचने की योजना
मध्य प्रदेश सरकार की कई संपत्तियां ऐसी हैं, जो अनुपयोगी हैं और उन पर अवैध कब्जे का खतरा बना हुआ है। ऐसे में सरकार ने उन्हें बेचने का फैसला किया है। इसके तहत मध्य प्रदेश सरकार ने ऐसी मृतप्राय सरकारी संपत्तियों में से 10 को बीते साल ही बेच दिया गया था। जिसके एवज में सरकार को करीब 82 करोड़ रुपए मिले थे। सरकार इसी तरह की कुल 280 सरकारी संपत्तियों को बेचने की योजना बनाई है।
इन संपत्तियों को बेचने की तैयारी
सरकार द्वारा अब जिन संपत्तियों को बेचने की तैयारी की जा रही है , वह करीब -करीब 3 लाख 87 हजार 686 वर्गमीटर में फैली हुई हें। इन संपत्तियों को और उनकी जमीनों को नीलामी के जरिए बेचा जा रहा है। इनमें अलीराजपुर के 4 पार्सल डिपो, दमोह में नजूल की भूमि, पार्ट-2, पिपल्याहाना इंदौर की भूमि, राऊ में नजूल की भूमि, खरगोन का डीएलडीबी भूमि, बालाघाट में रिवेन्यू लैंड, गुना की नजूल भूमि, सिंगरौली में कृषक कल्याण की भूमि, अमरवाड़ा बस डिपो, कॉस्मो आनंदा ग्वालियर, टीकमगढ़ बस डिपो, पन्ना का बस डिपो, मुरैना का बस डिपो, गायत्री नगर कटनी-1 ,गायत्री नगर कटनी-2,गायत्री नगर ब्लॉक-3 आदि शामिल हैं।
दो साल पहले नियम में किया था संशोधन
प्रदेश सरकार ने 26 सितंबर 2020 में मध्य प्रदेश शासन आवंटन नियम में संशोधन किया था। इस संशोधन का उद्देश्य सरकार के लिए राजस्व अर्जित करना है। इसके तहत सरकार पुराने भवन और पुरानी संपत्तियों को बेचकर राजस्व जुटाएगी। उस समय प्रदेश के कई जिलों में सरकारी संपत्तियों को चिन्हित कर उनकी ब्रिक्री के टेंडर भी मंगाए गए थे। इनमें से कुछ संपत्तियों को बेचा भी जा चुका है। पहली बार 42 संपत्तियों की बिक्री हुई थी। कुछ माह पहले सरकार ने भोपाल में 100 करोड़ रुपए जुटाने के लिए 42 सरकारी प्रॉपर्टी की नीलामी की थी। इसमें ईडब्ल्यूएस के फ्लैट्स, मालवीय नगर स्थित पंजीयन भवन की पुरानी बिल्डिंग समेत अन्य प्रॉपर्टी शामिल थीं।
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