पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर भाजपा-कांग्रेस ले रहे श्रेय
नई दिल्ली/भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिए जाने का आदेश दिया है,हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण 50 फीसदी से ऊपर नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने 15 दिन में चुनाव की अधिसूचना जारी करने के निर्देश भी दिए। कोर्ट ने 2022 के परिसीमन की मंजूरी भी दे दी है।
हालांकि मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में पिछड़ा वर्ग को 35 फीसदी आरक्षण दिए जाने की अनुशंसा की थी। उधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सत्य की जीत हुई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सियासी दल पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर अपनी-अपनी जीत का दावा करते हुए श्रेय लेने का प्रयास कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण को लेकर बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि एक सप्ताह में आरक्षण नोटिफाई किया जाए। एडवोकेट वरुण ठाकुर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरक्षण किसी भी स्थिति में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति को मिलाकर 50 फीसदी से अधिक नहीं होगा। सरकार ने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए 12 मई की देर रात सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका यानी एप्लीकेशन फॉर मॉडिफिकेशन दाखिल की थी। इस पर 17 मई को सुनवाई हुई थी।
कितना प्रतिशत मिलेगा आरक्षण
मध्यप्रदेश में अगर मौजूदा आरक्षण की स्थिति को देखें तो अनुसूचित जाति को 16 फ़ीसदी आरक्षण, अनुसूचित जनजाति को 20 फ़ीसदी आरक्षण, सामान्य निर्धन वर्ग को 10 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान है। नगरीय और पंचायत चुनाव के परिपेक्ष्य में देखें तो अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के बाद पिछड़ा वर्ग को 14 फ़ीसदी आरक्षण का ही लाभ मिलेगा। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि आरक्षण किसी भी सूरत में 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने बदला अपना फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के बिना निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था। साथ ही मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग को 24 मई से पहले निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा था कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण की शर्तों को पूरा किए बगैर पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं दिया जा सकता। मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण को लेकर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने प्रदेश में ओबीसी आरक्षण दिए जाने के आधार संबंधी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की थी। इसमें पिछड़ा वर्ग को 35 फीसदी आरक्षण दिए जाने की अनुशंसा की गई थी।
मुख्यमंत्री बोले, सत्यमेव जयते
सुप्रीम कोर्ट के पिछड़ा वर्ग को आरक्षण पर दिए गए फैसले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, सत्यमेव जयते। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भाजपा की जीत बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जो पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिए जाने का संकल्प लिया था, उसे मध्य प्रदेश की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से पूरा किया है। उन्होंने कहा कि सामाजिक और राजनीतिक आधार पर प्रदेश में कहीं-कहीं पिछड़ा वर्ग को 30 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इससे कांग्रेस नेता कमलनाथ के पेट में दर्द और बढ़ गया होगा, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि प्रदेश के ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ मिले।
ट्रिपल टेस्ट में फेल हुई भाजपा सरकार
पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव को लेकर शिवराज सरकार की नीयत साफ होती तो सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप नहीं करना पड़ता। सरकार ट्रिपल टेस्ट में फेल हो गई है। अब वह जनता की अदालत में कैसे पास होगी। उन्होंने कहा कि यह पिछड़ा वर्ग और भारतीय संविधान की जीत है।