भोपाल(देसराग)। राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भले ही निकाय चुनावों की तैयारियां तेज कर दी है, लेकिन अब तक नगरीय निकायों के मुखिया यानि की महापौर, नगर पालिका और नगर पंचायतों के अध्यक्षों का निर्वाचन प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष प्रणाली से होगा, यह तय नहीं हो पाने से उलझन बरकरार है।
इस उलझन की वजह भी सरकार बनी है। दरअसल सरकार पहले कमलनाथ सरकार के समय लिया गया निर्णय बदलते हुए चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय लेते हुए अध्यादेश लाई थी लेकिन तय समय सीमा में उसे विधानसभा से पास नहीं कराया गया, लिहाजा वह अध्यादेश अप्रभावी हो चुका है। इसकी वजह से प्रदेश में निकाय चुनाव कांग्रेस की कमलनाथ सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराना मजबूरी बनी हुई थी, लेकिन इस बीच एक बार फिर सरकार ने प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का एलान कर दिया था, लेकिन उसके लिए जरुरी अध्यादेश अब तक नहीं लाया गया है।
इस बीच अध्यादेश को लेकर जिस तरह की खबरें आ रही हैं उसकी वजह से अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कोर्ट ने परिसीमन 2022 के आधार पर चुनाव कराने की मंजूरी दी है। इससे प्रदेश में नए गठित 35 नगरीय निकायों में भी चुनाव कराए जा सकेंगे। पिछली बार तीन चरणों में निकाय चुनाव कराए गए थे, लेकिन इस बार कोर्ट के आदेश से दो चरणों में चुनाव होंगे, जबकि पंचायत चुनाव तीन चरणों में। बताया जा रहा है कि महापौर और अध्यक्ष के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने के मामले में राज्य अध्यादेश लाने का दावा तो कर रही है, लेकिन यह अध्यादेश राजभवन तक नहीं पहुंचा है।
बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा अध्यादेश लागू करने से पहले इसके राजनीतिक और प्रशासनिक पहलुओं पर अध्ययन किया जा रहा है, जिसकी वजह से यह प्रस्ताव अब भी मुख्यमंत्री सचिवालय में ही पेंडिंग है। उधर, निकाय चुनावों की तारीखों का मामला भी अध्यादेश की वजह से अटका हुआ है। संभावना है कि 20 मई के बाद नगरीय निकाय के चुनावों की तारीखों का ऐलान होगा। इसी के साथ आदर्श आचार चुनाव संहिता लग जाएगी। उधर, मंत्री भूपेंद्र सिंह के मुताबिक चूंकि महापौर या अध्यक्ष जनता का होता है इसलिए सीधे चुनाव होना चाहिए। इसके अध्यादेश के लिए आयुक्त को सूचित कर दिया गया है। शिवराज सरकार अध्यादेश लाकर कमलनाथ सरकार के पुराने फैसले को पलट देगी। कमलनाथ सरकार के समय महापौर और अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता के जरिए न कराकर पार्षदों के माध्यम से होता था। मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग की अभी तक की चुनावी प्रक्रिया में कमलनाथ सरकार का अप्रत्यक्ष प्रणाली ही चल रहा था। प्रदेश के दो निकायों में अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव हुए। नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि महापौर या नगरपालिका का अध्यक्ष पूरे शहर का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए जनता से निर्वाचित होना चाहिए।
नहीं हो सकेगी खरीद फरोख्त
प्रत्यक्ष प्रणाली में पार्षदों की जोड़तोड़, खरीद फरोख्त की गुंजाइश नहीं रहती है। निष्पक्षता से चुनाव होने पर जनता को अपना महापौर-अध्यक्ष चुनने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि पुराने नियम को बदलने के लिए एक अध्यादेश ला रहे हैं। आयुक्त को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है। वर्ष 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर महापौर, नगर पालिका एवं नगर परिषद अध्यक्षों के सीधे निर्वाचन को खत्म कर दिया था। यानी इन पदों पर निर्वाचन पार्षदों से कराने का नियम लागू हो गया था, जो आज भी प्रभावी है।
35 नए निकायों में पहली बार होंगे चुनाव
भैंसोदा मंडी, बकहो, मानपुर, डोला, डूमरकछार, मोहना, बनगवां राजगनर, बांदरी, मालथौन, बिलहरा, सुरखी, रन्नौद, रौन, मालनपुर, डभौरा, सिराली, घोड़ाडोंगरी, शाहपुर (बैतूल), केवलारी, ठीकरी, पोहरी, मंगरौनी, मधुसूदनगढ़, पिपरई, गुन्नौर, निवाली बुजुर्ग, बरोदियाकलां, कर्रापुर, पुनासा, न्यू रामनगर, बरगवां (सिंगरौली), सरई, देवरी (रायसेन) तथा बरगवां (अमलाई) नगर परिषद में पहली बार चुनाव कराए जाएंगे। यह नए निकाय गठित हुए हैं।
कांग्रेस स्थानीय स्तर पर करेगी नामों का चयन
कांग्रेस द्वारा उम्मीदवारों का चयन स्थानीय स्तर पर किया जाएगा। इसमें संबंधित जिला अध्यक्ष (शहर एवं ग्रामीण), महिला कांग्रेस अध्यक्ष, सेवादल अध्यक्ष, युवक कांग्रेस अध्यक्ष और एनएसयूआई अध्यक्ष सदस्य के रूप में शामिल होंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा मनोनीत प्रभारी और सह प्रभारी भी इस समिति में शामिल रहेंगे। इसके साथ ही वर्तमान सांसद, विधायक और पिछले चुनाव के सांसद और विधायक प्रत्याशी, नेता प्रतिपक्ष आदि भी इस कमेटी में शामिल रहेंगे। स्थानीय स्तर पर ही उम्मीदवारों का चयन होगा। गठित कमेटियां एक एक नाम का अनुमोदन कर प्रदेश हाईकमान को भेजेंगी।
भाजपा विधायकों पर लगा सकती है दांव
भाजपा शहरी क्षेत्रों में मजबूत रही है। 2014-15 में प्रदेश के सभी 16 नगर निगम में भाजपा ने जीत हासिल की थी। चुनाव संचालन समिति के प्रभारी उमाशंकर गुप्ता के मुताबिक इस बार भी पार्टी क्लीन स्वीप के इरादे से चुनाव में उतरने की तैयारी मे है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे शहरों में विधायकों को भी मेयर टिकट देने पर मंथन किया जा चुका है। वहीं कुछ जिलों में नगर पालिका के अध्यक्ष पदों के लिए पार्टी जिलाध्यक्षों को भी टिकट दे सकती है।
निकाय चुनावों की स्थिति
पद 2015 2022
महापौर 16 14
अध्यक्ष 273 340
पार्षद 5,387 7,506
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