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Tuesday, Sep 26, 2023
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विचार

इक्कीसवीं सदी के शिल्पी राजीव गांधी

सोमेश्वर सिंह
भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी को रुखसत हुए 31 साल बीत गया । 18 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान उनकी नृशंस हत्या कर दी गई थी। उनके हत्या में आत्मघाती मानव बम का इस्तेमाल किया गया। राजीव गांधी की हत्या के आरोप में अदालत में कुल 14 अभियुक्तों को मौत की सजा सुनाई थी। बाद में अपीलीय न्यायालय ने 10 अभियुक्तों के मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया तथा अन्य चार अभियुक्त पेराविलन, मुरुगन, संथन तथा नलिनी के मौत की सजा बरकरार रखी। किंतु इनके दया याचिका पर केंद्र सरकार द्वारा विलंब के कारण सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2014 में इनके फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।
राजीव गांधी के पुण्यतिथि के ठीक 3 दिन पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पैराविलन को रिहा कर दिया। रिहाई की वजह राज्यपाल द्वारा मामले के फैसले में देरी थी। संभवत इसी आधार पर अन्य 3 अभियुक्त भी रिहा हो जाएं। पेराविलन के रिहाई की खुशी में तमिलनाडु के डीएमके नेताओं ने जश्न मनाया। इससे बड़ा क्रूर मजाक और क्या होगा की देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारे को जेल से रिहा होने के बाद महिमामंडित किया जाए। जिस गांधी के देश में महात्मा गांधी के हत्यारे की पूजा की जाए वहां तो ऐसा होना ही था।
राजीव गांधी के हत्या की साजिश तथा उनके सुरक्षा में खामी की जांच के लिए दो आयोगों का गठन किया गया था। कितनी सरकारें आयी और गई, कितने प्रधानमंत्री भी आए गए, लेकिन उनकी हत्या के 30 साल बाद भी आज तक आयोग के जांच निष्कर्ष का खुलासा नहीं किया गया। आखिर क्यों! कांग्रेस में इकलौते नेता स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी थे जो प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से लेकर मनमोहन सिंह तक राजीव गांधी के हत्या की साजिश तथा सुरक्षा में खामी के मामले को उठाते रहे। लेकिन उनकी मौत के बाद पूरे मामले में पटाक्षेप कर दिया गया। आज नहीं तो कल, कभी ना कभी आगे आने वाली पीढ़ियां हमसे सवाल करेंगी और हम निरुत्तर होंगे। शायद इतिहास इस अक्षम्य अपराध के लिए हमें माफ नहीं करेगा।
वह दृश्य मुझे आज भी याद है। जब दूरदर्शन में श्रीमती इंदिरा गांधी के अंत्येष्टि का सीधा प्रसारण किया जा रहा था। मुखाग्नि देने के बाद राजीव गांधी निर्लिप्त भाव से चिता की उठ रही आग की लपटों और धुए को देख रहे थे। चिंतित मुद्रा में शायद वे भारत का भविष्य देख रहे थे। दिल्ली में सिख विरोधी दंगा फैल चुका था। राजीव गांधी प्रधानमंत्री की शपथ ले चुके थे। वे देर रात बिना किसी को बताए स्वयं कार ड्राइव करके दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाकों का दौरा किया। दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही का आदेश दिया। पीड़ित सिख परिवारों के सुरक्षा का इंतजाम कराया।
महात्मा गांधी ने भारत को ना जोड़ा होता। सभी जाति, धर्म, समुदाय के लोगों को एक सूत्र में ना पिरोया होता तो अंग्रेज कभी भारत नहीं छोड़ते। कांग्रेस का भारत के जोड़ने का ही इतिहास और परंपरा है। इसी का निर्वाह करते हुए 3-3 गांधी शहीद हो गए। सही मायने में राजीव गांधी 21वीं सदी के भारत के निर्माता थे। देश के मीडिया और विपक्षी दलों ने उनके साथ न्याय नहीं किया राजीव गांधी का सही मूल्यांकन भी नहीं हुआ। इंदिरा गांधी के साथ भी यही हुआ था। उन्हें भी मोम की गुड़िया कहा गया बाद में वही फौलाद बन गई। राजीव गांधी को बड़े मीडिया घरानों ने मिस्टर क्लीन की संज्ञा दी और जब स्वार्थ पूरा नहीं हुआ तो राजीव गांधी को सदी का सबसे करप्ट नेता कहा गया।
राजीव गांधी को उनके योगदान के लिए सदैव याद किया जाएगा उन्होंने 21वीं सदी के मजबूत भारत की नीव रखी। देश में पहली बार युवा शक्ति के महत्व को समझा सत्ता में भागीदारी के लिए मताधिकार की आयु 18 वर्ष निर्धारित की। त्रिस्तरीय पंचायती राज की आधारशिला रखी। सूचना और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अनेक बड़े काम किए। दूरसंचार और कंप्यूटर क्षेत्र में भारत ने सूचना क्रांति कर दी। दुनिया के कुल सॉफ्ट वेयर इंजीनियरों में एक चौथाई संख्या भारतीयों की है। जो दुनिया भर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। आजादी के बाद पहली मर्तबा भारत में राजीव गांधी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई। जवाहर नवोदय विद्यालय उन्हीं के परिकल्पना का परिणाम है। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में शांति की स्थापना की दिशा में उन्होंने बहुत काम किया। मिजोरम को मुख्य राष्ट्रीय धारा से जोड़ा।
भारत की जनता ने जितना असीम प्यार नेहरू गांधी परिवार को किया है। शायद ऐसी नजीर दूसरे किसी राजनेता के परिवार में देखने को नहीं मिलेगी। दुर्भाग्य से इस प्यार के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी ने इस परिवार के खिलाफ उतनी ही नफरत फैलाई। श्रीमती सोनिया गांधी को विदेशी महिला कहते रहे। उनके बेटे राहुल गांधी बेटी प्रियंका गांधी को हाइब्रिड कहा। चारित्रिक हनन किया। सोनिया गांधी ने भी साबित कर दिया है कि वे इसी भारत में सुहागन हुई, यही विधवा हुई और अंत भी इसी माटी में होगा। इसीलिए उन्होंने कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में बोलते हुए कहा था- कांग्रेस ने हमें सब कुछ दिया है, अब कर्ज उतारने का समय आ गया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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