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Thursday, Dec 7, 2023
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भाजपा की अभेद्य गढ़ वाली सीटों पर कांग्रेस पहले ही उतार देगी प्रत्याशी

भोपाल(देसराग)। असमय ही सत्ता से सड़क पर आने वाली कांग्रेस अब पूरी तरह से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। इस बार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ चुनावी बड़ी जीत की तैयारियों में कोई कमी नहीं रखना चाहते हैं। इसके लिए कई स्तर पर रणनीति बनाई जा रही है। पार्टी ने अभी से उन सीटों पर फोकस करने की तैयारी शुरू कर दी है, जहां पर लागातार कई चुनावों से हार का सामना करना पड़ रहा है।
इनमें भी खासतौर पर वह सीटें हैं, जहां पर लगातार तीन बार से हार का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा पार्टी ने प्रदेश की सभी सीटों की सोशल मेपिंग कराना भी तय कर लिया है। इसकी जिम्मेदारी भी पृथक से पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव को दे दी गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने वरिष्ठ नेताओं के साथ मंथन करने के बाद तय किया है कि लगातार हारने वाली 70 सीटों पर छह माह पहले ही प्रत्याशी तय कर दिए जाएं , जिससे की उन्हें जनता के बीच जाने और अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका मिल सके।
कमलनाथ का मानना है कि भाजपा का गढ़ बन चुकी इन सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए प्रत्याशी को पर्याप्त समय मिलना चाहिए। इन सीटों पर पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों को बतौर पर्यवेक्षक बनाकर जिम्मेदारी दी जाएगी, जो पूरी तरह से प्रभार वाली सीटों पर पूरा समय देंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ द्वारा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से हर सीट का आंकलन कराने के बाद कुल 70 ऐसी सीटों की सूची तैयार कराई है जहां पर तमाम प्रयासों के बाद भी पार्टी को सफलता नहीं मिल सकी है।
इन सीटों पर पार्टी का जातिगत समीकरण और युवा चेहरा भी काम नहीं आया है। इसमें सागर की रेहली विधानसभा सीट प्रमुखता से शामिल है। इस सीट पर भाजपा के गोपाल भार्गव लगातार आठ बार से जीत रहे हैं। पार्टी यहां पर पूर्व में ब्रजबिहारी पटेरिया, जीवन पटेल और कमलेश साहू को प्रत्याशी बना चुकी है।
इसी तरह से बालाघाट में गौरीशंकर बिसेन,रीवा में राजेंद्र शुक्ला, सीधी में केदारनाथ शुक्ला, नरयावली में डा.प्रदीप लारिया, मानपुर में मीना सिंह, भोजपुर में सुरेंद्र पटवा, सागर में शैलेंद्र जैन, हरसूद में विजय शाह, सोहागुपर में विजयपाल सिंह, धार में नीना विक्रम वर्मा, इंदौर दो में रमेश मेंदोला, इंदौर चार में मालिनी गौड़, इंदौर पांच में महेंद्र हार्डिया और मंदसौर सीट पर यशपाल सिंह सिसोदिया की भी कांग्रेस को काट नहीं मिल पा रही है। यही वजह है कि कांग्रेस ने देरी की पुरानी पंपरम्परा से हटकर प्रदेश में इस बार अभी से न केवल राजनैतिक मामलों की समिति का गठन कर दिया है बल्कि चुनावी घोषणा पत्र समिति का भी गठन कर दिया है। खास बात यह है की इन समितियों ने अभी से बैठकें कर चिंतन मनन का काम भी शुरू कर दिया है।
इन सीटों का किया चयन
कांग्रेस द्वारा समय से कई माह पहले प्रत्याशी चयन के लिए जिन सीटोंं का चयन किया है उनमें इंदौर दो, इंदौर चार, इंदौर पांच, महू, दतिया, शिवपुरी, गुना, ग्वालियर ग्रामीण, रेहली, नरयावली, सागर, बीना, चांदला, बिजावर, पथरिया, हटा, रामपुरबघेलान, सिरमौर, सेमरिया, त्यौंथर, रीवा, सीधी, सिंगरौली, देवसर, धौहनी, जयसिंहनगर, जैतपुर, बांधवगढ़, मानपुर, मुड़वारा, जबलपुर केंट, पनागर, सिहोरा, परसवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, आमला, टिमरनी, सिवनी मालवा, होशंगाबाद, सोहागपुर, पिपरिया,भोजपुर,कुरवाई, शमशाबाद, बैरसिया, नरेला, हुजूर, गोविंदपुरा, बुधनी, आष्टा, सीहोर, सारंगपुर, सुसनेर, शुजालपुर, देवास, खातेगांव, बागली, हरसूद, खंडवा, पंधाना, बुरहानपुर, धार, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, रतलाम सिटी,मंदसौर, मल्हारगढ़,नीमच, जावद आदि शामिल है।
भाजपा के यूपी प्लान पर अमल करेगी कांग्रेस
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को सभी विधानसभा सीटों की सामाजिक और जातिगत समीकरणों की मैपिंग करने का जिम्मा सौंपा है। आगामी विधानसभा चुनाव में उनके अनुभव का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए उन्हें यह अहम जिम्मा सौंपा गया है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार कमलनाथ प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों का सर्वे करीब चार महीने पहले करा चुके हैं। अब उन्होंने अरुण यादव से कहा है कि वे भी सभी सीटों का सामाजिक और जातिगत आधार पर अध्ययन कर एक रिपोर्ट तैयार करें, जिसमें यह बताएं कि उस सीट के सभी समाजों और जातियों की आबादी के साथ ही उनके मुखियाओं का झुकाव किस राजनीतिक दल की ओर है। दरअसल उत्तरप्रदेश में अमित शाह ने भाजपा के लिए इसी तरह से जमीन तैयार की थी, उसी तरह यहां भी मैपिंग की जाए। हर विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार के ऐसे निर्दलीय उम्मीदवारों को टटोला जाए, जिन्हें अच्छे-खासे वोट मिले थे। विभिन्न जातियों के महापुरुषों और प्रमुख हस्तियों से जुड़ाव के लिए कार्यक्रम बनाए जाएं।

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