भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश के नौकरशाहों ने मनमाने तरीके से नियमों को ताक पर रखकर कैडर रिव्यू के प्रस्ताव केन्द्र को भेजे हैं, फलस्वरुप डीओपीटी ने इन प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इनमें अखिल भारतीय सेवा के तीनों सेवाओं के नौकरशाहों के प्रस्ताव शामिल हैं। इसके बाद भी प्रदेश के आला नौकरशाहों से लेकर सरकार तक अपने रवैया में बदलाव करने को तैयार नही है।
दरअसल बीते कई सालों से आला नौकरशाहों द्वारा सरकार की सहमति लेकर अपने हितों को ध्यान में रखकर कैडर रिव्यू के प्रस्ताव भेजे जा रहे थे, जिसकी वजह से प्रदेश के कर्मचारियों को पूरा पिरामिड ही बिगड़ चुका है। अब नौकरशाहों द्वारा तैयार किया गया मनमाना कैडर रिव्यू का प्रस्ताव उन्हें ही भारी पड़ता नजर आने लगा है। इसकी वजह है,उनके द्वारा केन्द्र को भेजे गए प्रस्तावों को फाइलों में कैद कर दिया जाना। प्रदेश से भारतीय वन सेवा के कैडर रिव्यू का प्रस्ताव एक साल से पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में पड़ा हुआ है तो भारतीय पुलिस सेवा कैडर रिव्यू के प्रस्ताव को भी आठ माह से स्वीकृति का इंतजार है, जबकि भारतीय प्रशासनिक सेवा कैडर रिव्यू के प्रस्ताव को भेजे भी पांच माह से अधिक का समय हो चुका है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के कैडर रिव्यू के प्रस्ताव पर तो कैबिनेट सेकेट्ररी द्वारा आपत्ति तक लगा दी गई है। इसकी वजह है उनके द्वारा सीनियर कैडर पोस्ट 5 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ाने के निर्देश डीओपीटी द्वारा दिए गए थे, जिसकी वजह से यह मामला पूरी तरह से उलझ चुका है। उनके निर्देशों की वजह से प्रदेश में सचिव, डीआईजी और सीसीएफ स्तर के ही पदों में वृद्धि हो सकेगी।
अगर भारतीय प्रशासनिक सेवा की बात की जाए तो प्रदेश के कैडर में 439 पद स्वीकृत हैं। इनमें से सीनियर कैडर पोस्ट में 237 पद हैं। प्रदेश से कैडर रिव्यू का जो प्रस्ताव भेजा गया था, उसमें केंद्र की सख्ती की वजह से मुख्य सचिव वेतनमान के पद वृद्वि का प्रस्ताव जरुर नहीं भेजा गया था , लेकिन प्रमुख सचिव के पद 31 से बढ़ाकर 36 और सचिव के पद 15 की जगह 25 करने का प्रस्ताव दिया गया था, जिस पर डीओपीटी ने आपत्ति लगा दी है। डीओपीटी 5 फीसदी पदों के हिसाब से मप्र को केवल 12 नए पद देने को तैयार है, जबकि सरकार कलेक्टर के एक पद सहित संचालक कृषि, संचालक उद्यानिकी के अलावा विभिन्न निगम-मंडल और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में अतिरिक्त आयुक्त और विभागाध्यक्ष के पद बढ़ाने की तैयारी कर रही थी। इसकी वजह से ही सरकार ने करीब एक दर्जन से ज्यादा सचिव स्तर के पदों पर अपर सचिव स्तर के अधिकारियों को पदस्थ किया हुआ है लेकिन अब सरकार की इस मंशा पर पानी फिरना तय है।
पीसीसीएफ के पद वृद्धि को नहीं तैयार
प्रदेश में भारतीय वन सेवा संवर्ग के लिए 296 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 180 पद सीनियर कैडर पोस्ट हैं। फिलहाल पीसीसीएफ के 5 पदों के विरुद्ध नॉन कैडर पोस्ट पर 14 अधिकारी पदस्थ हैं। उधर विभाग द्वारा 1986 बैच के चार नौकरशाहों को पदोन्नति देने के लिए पीसीसीएफ के कैडर रिव्यू में 7 पद की मांग की थी, जिस पर रोक लगाए जाने की वजह से विभाग ने कैबिनेट से भारतीय वन सेवा के चार पद एक साल के लिए बढ़वा लिए है। अब इनके पद कम कर सीएफ और डीएफओ के पद बढ़ाए जाएंगे। जिसके चलते इनका कैडर रिव्यू भी एक साल से अटका हुआ है। प्रदेश में हालात यह हैं की मूल पदों की जगह उनसे उच्च स्तर के अधिकारी पदस्थ हैं। इनमें भारतीय वन सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी शामिल हैं।
प्रदेश में हालात ऐसे बन गए है की अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों का पिरामिड पूरी तरह से उलटा हो गया है। इसकी वजह है उच्च स्तर के पदों में लगातार वृद्धि कर मैदानी पदों में कमी किया जाना। पूर्व में पहले पद रिक्त होने पर पदोन्नत किया जाता था, लेकिन अब सेवा के 30 साल होने पर एसीएस या 14 साल होने पर सचिव बना दिया जाता है।
आईपीएस कैडर रिव्यू प्रस्ताव पर कई बार आपत्ति
मप्र भारतीय पुलिस सेवा संवर्ग में कुल 296 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से सीनियर कैडर पोस्ट में 186 पद स्वीकृत हैं। पुलिस मुख्यालय ने इसी साल पांच माह पहले 14 प्रतिशत पद बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था, जिस पर कैबिनेट सेकेट्ररी की आपत्ति लगी तो फिर प्रस्ताव को संशोधित कर 12 प्रतिशत पद बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस पर भी असहमति जताई तो तीसरी बार में उसे 7 प्रतिशत किया गया, लेकिन उस पर भी केन्द्र ने मंजूरी देने से इंकार कर दिया तो चौथी बार में तय सीमा के तहत 5 प्रतिशत पद बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है। नए प्रस्ताव की वजह से मैदानी स्तर पर डीआईजी और एसपी के पदों में ही वृद्धि हो सकेगी। इसकी वजह से डीआईजी के मौजूदा 13 पदों की संख्या बढ़कर करीब 24 हो सकते हैं।
30 मई को होगी नए डीजीपी के चयन के लिए बैठक
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मप्र के डीजीपी का चयन करने के लिए 30 मई को चयन समिति की बैठक बुलाई गई है। यह बात अलग है की राज्य सरकार द्वारा इस पद पर वरिष्ठता के हिसाब से सुधीर सक्सेना को नियुक्त किया जा चुका है। हालांकि प्रक्रिया के तहत प्रदेश सरकार द्वारा डीजीपी पद के लिए तीन अधिकारियों के नाम चयन समिति के पास भेजे हैं। बैठक में भाग लेने सीएम इकबाल सिंह बैंस और एसीएस गृह राजेश राजौरा दिल्ली जाएंगे।