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Saturday, Dec 2, 2023
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राज्य

दो माह की कमाई एक ही झटके में गंवाई, डेढ़ अरब रुपए का नुकसान

भोपाल(देसराग)। केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के किए गए फैसले से जहां आम आदमी को बड़ी राहत मिला है, वहीं प्रदेश भर के पेट्रोल पम्प संचालकों को इसकी वजह से करीब डेढ़ अरब रुपए का नुकसान एक झटके में उठाना पड़ा है।
दरअसल मार्च में उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद लगभग हर दूसरे दिन पेट्रोल और डीजल के दामों में थोड़ी-थोड़ी वृद्धि की जाती रही, जिसकी वजह से पेट्रोल पंप संचालकों को जमकर कमाई हुई थी, लेकिन बीते शनिवार शाम को अचानक केन्द्र सरकार द्वारा की गई उत्पाद शुल्क में कमी की वजह से पूरे दो माह में की गई कमाई को गंवाना पड़ गया है। मध्यप्रदेश में करीब 4900 पेट्रोल पंपों को यह नुकसान उठाना पड़ा। पंप संचालकों के पास बफर स्टॉक है, जिसे तेल कंपनियों से खरीदते समय शुक्रवार-शनिवार को बढ़ी हुई कीमत का भुगतान किया। कीमत कम होने के फलस्वरूप पंप संचालकों को इस स्टॉक को कम दरों पर बेचना पड़ा।
गौरतलब है कि पेट्रोल पंप संचालक बफर स्टॉक के रूप में कम से कम दस हजार लीटर ईंधन रखते हैं। रविवार को अवकाश रहने की वजह से डीलर एक-दो दिन पहले तेल का बफर स्टॉक कर लेते हैं। इस बार कीमतें कम होने से बफर स्टॉक से नुकसान हुआ है। कीमतें बढ़ती हैं तो डीलरों को इसका फायदा भी पहुंचता है। इस मामले में एमपी फेडरेशन आफ पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के एक पदाधिकारी का कहना है कि वितरकों का प्रति लीटर मुनाफा तो तय है। इसलिए बढ़े दामों पर पेट्रोल खरीदने में भी लाभ फिक्स ही मिलता है, लेकिन दाम घटने पर तो नुकसान होना तय ही रहता है।
उधर, एक अन्य पदाधिकारी का कहना है की दीपावली पर हमें दस रुपए प्रति लीटर की अचानक चपत झेलनी पड़ी थी। हमें पेट्रोल पर महज 3.20 रुपए तो डीजल पर 2.19 रु की आमदनी है। अभी हुए नुकसान से एक वर्ष की कमाई तो जीरो हो गई है।
दीपावली से पहले भी लगा था बड़ा झटका
दीपावली से पहले पेट्रोल के दाम 106 रुपये और डीजल के दाम 97 रुपये के आसपास चल रहे थे। इस दौरान पेट्रोल पंप संचालकों ने कंपनियों से स्टॉक के लिए बड़ी मात्रा में पेट्रोल-डीजल की खरीदी की थी। दीपावली के बाद सरकार ने डीजल पर 12 रुपये और पेट्रोल पर छह रुपये की कटौती अचानक कर दी थी। इससे जनता को तो फायदा मिला, लेकिन पंप संचालक फंस गए थे। पेट्रोल पंप संचालक कंपनियों को एडवांस भुगतान कर पेट्रोल-डीजल की खरीद करते हैं। दाम गिरने के बाद कंपनियों से बात करने पर भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी। आल इंडिया पेट्रोल पंप एसोसिएशन के सचिव गोपाल माहेश्वरी ने बताया कि अब पेट्रोल और डीजल के दाम कम होने से पूरे भारत में 65000 पेट्रोल पंप संचालकों को लगभग 2000 करोड रुपए का नुकसान हुआ है।
दाम बढ़ने पर नहीं होता अधिक लाभ
माहेश्वरी का कहना है की जब पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते हैं तो उस समय पंप संचालकों को थोड़ा फायदा जरूर होता है लेकिन उतना फायदा नहीं होता है जितना दाम कम होने पर नुकसान भुगतना पड़ता है। पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने पर बढ़ी हुई कीमतों पर इनकम टैक्स और वैट देना पड़ता है जबकि टैक्स चुका कर खरीदे गए पेट्रोल और डीजल का जब सरकार टैक्स कम कर देती है तो उतने घाटे में आम उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल मुहैया कराना पड़ता है।
मप्र पेट्रोलियम एसोशिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है कि मध्य प्रदेश के 4900 डीलर्स को लगभग 147 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। एसोसिएशन के सदस्य इस मामले में ज्ञापन सौंपेंगे। ज्ञापन में मुख्य रूप से रिएंबर्स दिए जाने की मांग की जाएगी। मप्र हिंदुस्तान पेट्रोलियम के क्षेत्रीय प्रबंधक अमित गाड़ोदिया बताते हैं कि डिपो से पेट्रोल-डीजल बाहर निकलने के बाद उसकी जिम्मेदारी वितरक या खरीदने वाले की हो जाती है। मूल्य परिवर्तन की स्थिति में लाभ-हानि वितरक का भार वितरक को ही वहन करना है।

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