नई दिल्ली(देसराग)। एनआईए की विशेष अदालत ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही विशेष अदालत ने 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने मलिक को दो अपराधों-आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (यूएपीए) (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना) के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाई। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
बता दें, अदालत ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था। इससे पहले, एनआईए के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत में यासीन मलिक की सजा पर जिरह हुई। एनआईए ने यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी। यासीन के वकील फरहान के अनुसार, जब एनआईए ने यासीन मलिक के लिए सजा ए मौत की मांग की तो वह शांत हो गए थे। इस बहस के दौरान यासीन मलिक ने कोर्ट से कहा कि, मैं आपसे कोई भीख नहीं मांगूंगा, आपको जो सही लगता है आप सज़ा दीजिए पर ये जरूर देख लीजिए कि क्या कोई ऐसा सबूत है कि मैंने आतंकियों का समर्थन किया है?
10 मई को यासीन मलिक ने कबूल किया था जुर्म
गौरतलब है कि 10 मई को यासीन मलिक ने अवैध गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत लगाए गए आरोपों समेत उस पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था। इससे पहले, 16 मार्च को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए थे। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगवावादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।
यासीन मलिक समेत 12 से ज्यादा आरोपियों के खिलाफ एनआईए ने 18 जनवरी 2018 को चार्जशीट फाइल की थी। 30 मई 2017 को जम्मू-कश्मीर में आतंकी और गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए नेटवर्क चलाने के आरोप में यासीन पर केस दर्ज हुआ था। अपना जुर्म स्वीकार करने के बाद मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता। इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं। लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिन्हें मामले में भगोड़ा अपराधी बताया गया है।
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