उत्तर प्रदेश से सपा के सहयोग से राज्यसभा के लिए निर्दलीय नामांकन दाखिल किया
नई दिल्ली(देसराग)। कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी छोड़ दी है। आज यानी बुधवार को समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद सिब्बल ने इसकी औपचारिक घोषणा की। सिब्बल कांग्रेस हाईकमान खासकर राहुल गांधी पर सवाल उठा चुके हैं, ऐसे में माना जा रहा था कि कांग्रेस उन्हें शायद ही राज्यसभा भेजे। नामांकन से पहले सिब्बल सपा दफ्तर गए और फिर वे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ ही नामांकन दाखिल करने पहुंचे।
नामांकन दाखिल करने के बाद सिब्बल ने कहा कि वे 16 मई को ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। वर्तमान में सिब्बल उत्तर प्रदेश से कांग्रेस कोटे से सांसद हैं, लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास इतने विधायक ही नहीं हैं जो उन्हें फिर से राज्यसभा भेज सके। इसी कारण सिब्बल के भविष्य को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। अब समाजवादी पार्टी के टिकट पर नामांकन दाखिल कर उन्होंने सभी अटकलों पर पूर्णविराम लगा दिया है।
बता दें कि हाल के घटनाक्रमों ने सिब्बल की अहमियत बढ़ा दी थी।
पहला- चारा घोटाला में लालू यादव का केस लड़ रहे कपिल सिब्बल को राजद बिहार से राज्यसभा भेजने का मूड बना रही थी, क्योंकि कानूनी पचड़ों में फंसे लालू परिवार को सिब्बल में उम्मीद की एक किरण दिखती है।
दूसरा- झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर खनन की लीज लेने का आरोप में उनकी सदस्यता रद्द करने का केस चुनाव आयोग के पास लंबित है। कोर्ट में सोरेन की तरफ से इस केस की पैरवी कपिल सिब्बल ही कर रहे हैं।
तीसरा- सपा के कद्दावर नेता आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत दिलाने में कपिल सिब्बल ने महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसलिए जेल से निकलते ही आजम खान ने सिब्बल के शान में कई कसीदे भी पढ़े।
बता दें कि कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के नेताओं ने मार्च में पार्टी की वर्तमान स्थिति और आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के आवास बैठक की थी। उसमें कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर और कई अन्य नेता शामिल हुए थे। कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने एक साक्षात्कार में कहा था कि गांधी परिवार को कांग्रेस का नेतृत्व छोड़ देना चाहिए और किसी अन्य को मौका देना चाहिए। उनके इस बयान पर कांग्रेस की चांदनी चौक जिला इकाई ने एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने’ के लिए सिब्बल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। सिब्बल चांदनी चौक निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस के भीतर बदलाव की मांग कर रहे इस समूह पर गांधी परिवार के नेताओं ने भी हमले तेज कर दिए थे।
सिब्बल ने पूछे थे कांग्रेस के सात सवाल
पहला- ‘हम जी -23 हैं, निश्चित रूप से जी हुजूर -23 नहीं। हम मुद्दे उठाते रहेंगे।
दूसरा- ‘लोग क्यों जा रहे हैं? शायद हमें यह देखना चाहिए कि क्या यह हमारी गलती है? हमें तुरंत सीडब्ल्यूसी को बुलानी चाहिए ताकि बातचीत हो सके। हम पार्टी की विचारधारा को छोड़कर कहीं और नहीं जाएंगे। कांग्रेस की विडम्बना यह है कि जो उनके (नेतृत्व) करीब हैं, वे चले गए हैं और जो उन्हें लगता है कि उनके करीब नहीं हैं, वे अब भी वहीं हैं।
तीसरा- ‘मैं वास्तव में बहुत, बहुत परेशान हूं कि मुझे आपके पास आना है, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।
चौथा- ‘कांग्रेस में, अब कोई निर्वाचित अध्यक्ष नहीं है। हम नहीं जानते कि कौन निर्णय ले रहा है।
पांचवा- ‘मैं अपनी व्यक्तिगत क्षमता और समान विचारधारा वाले लोगों की ओर से बोल रहा हूं जिन्होंने पिछले साल पत्र लिखा था। मैं यहां भारी मन से खड़ा हूं। मैं उस पार्टी का हिस्सा हूं, जिसका गौरवशाली अतीत है, मैं नहीं कर सकता इस समय जो स्थिति है उसे देखिए।
छठा- मैं उन नेताओं से आग्रह करूंगा जो वापस आने के लिए चले गए, क्योंकि कांग्रेस पार्टी अकेली है, जो देश को बचा सकती है।
सात- पंजाब में क्या हो रहा है, जो पाकिस्तान की सीमा से सिर्फ 300 किलोमीटर दूर है, और हम उस स्थिति से अवगत हैं जो राज्य में विद्रोह और आईएसआई के संबंध में हुई है।
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