भोपाल(देसराग)। मध्यप्रदेश में आगामी नगरीय निकाय चुनाव से संबंधित बड़ी खबर सामने आई है। प्रदेश में इस बार केवल नगर निगमों में ही प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होगा। मतलब राज्य में 16 नगर निगमों के महापौर सीधे जनता द्वारा चुने जाएंगे, जबकि नगर परिषद और नगरपालिका अध्यक्षों का चुनाव पार्षद ही करेंगे। अब यह तय हो गया कि नगर निगम के महापौर को जनता चुनेगी, जबकि नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष को पार्षद चुनेंगे। राज्य सरकार द्वारा भेजे गए अध्यादेश को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है।
आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल से मुलाकात भी की। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि इसका गजट नोटिफिकेशन करने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। इधर लगभग सभी जिलों में आरक्षण की प्रक्रिया को भी पूरा कर लिया गया है।
नाथ सरकार ने किया था अध्यादेश मे संशोधन
2019 में जब कमलनाथ सरकार बनी थी तो उसने मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन किया था। जिसमें महापौर, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों के प्रत्यक्ष निर्वाचन को खत्म कर दिया था। जिसमें इन पदों पर निर्वाचित पार्षद द्वारा ही महापौर , नगर निगम और जनपद अध्यक्ष का चुनाव चुने हुए पार्षदों से कराने का ही नियम था। जिसमें संशोधन के लिए सरकार ने अध्यादेश राजभवन की मंजूरी के लिए भेजा है।
सभी बड़े जिलों में पूरी हुई आरक्षण प्रक्रिया
नगरीय निकाय, नगर निगम और जनपद में आरक्षण प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिला और पुरुष महापौर कहां कहां होंगे, यह भी निर्धारण कर लिया गया है। मध्य प्रदेश की जिन 16 नगर निगमों में चुने वाले महापौर के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हुई है। उनमें नगर निगम रीवा, जबलपुर, इंदौर, सिंगरौली सामान्य वर्ग पुरुष के लिए अनारक्षित रखी गई हैं। नगर निगम सागर, कटनी, देवास, ग्वालियर को सामान्य वर्ग महिला के लिए आरक्षित किया गया है। नगर निगम भोपालए सतना, खंडवा, रतलाम पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की है, जबकि नगर निगम उज्जैन, छिंदवाड़ा, मुरैना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं।
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