भोपाल(देसराग)। मध्यप्रदेश में मिशन 2023 में जुटी भाजपा और कांग्रेस ने जल्द होने जा रहे नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इन चुनावों को सेमीफाइनल के रूप में दोनों दल देख रहे हैं। खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस इन चुनावों को जीतने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के फार्मूले पर चल रही हैं। दोनों ही दल जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं। दोनों को भितरघात का डर सता रहा है। इसलिए चुनाव लड़ने के दावेदारों से कसमें खिलवाई जा रही हैं।
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने पूरा दमखम लगा रखा है। चूंकि अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। इसलिए दोनों ही दल स्थानीय निकाय चुनावों को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। जिताऊ चेहरे दोनों दलों की प्राथमिकता में सबसे ऊपर हैं। लेकिन यह भी देखा जा रहा है कि दावेदार पार्टी के प्रति वफादार कितना है। चुनाव जीतने के बाद प्रत्याशी कहीं दगा न दे जाए, इसीलिए दोनों ही दल दावेदारों से नर्मदा जल और गंगाजल लेकर कसमें खिलवा रहे हैं। अगर कामयाबी मिली तो यह परिपाटी आगे भी जारी रहेगी। बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह ने उम्मीदवारों से ऐसी ही कसमें खिलवाई थीं। नतीजा, कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो गई थी।
क्यों खिला रहे हैं कसम
साल 2003 में जब पहली बार दिग्विजय सिंह के 10 साल के शासन को उखाड़ फैंकने के लिए भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री सुश्री उमा भारती ने मिस्टर बंटाधार का नारा दिया और दिग्विजय सिंह की सरकार का पतन हुआ, तब से आज तक भाजपा हर चुनाव में मतदाताओं के बीच दिग्विजय सिंह के शासन की याद दिलाने वाले किस्से सुनाती आ रही है। यही वजह है कि भाजपा दिग्विजय सिंह पर मिस्टर बंटाधार के नाम से तंज कसती है। अब वही भाजपा दिग्विजय सिंह के फार्मूले पर आगे बढ़ रही है। भाजपा और कांग्रेस ने जिताऊ चेहरों पर दांव आजमाना शुरू कर दिए हैं। स्थानीय चुनाव में जीत की रणनीति के तहत कसमें खिलाई जा रही हैं। पार्टियां जिला पंचायत और जनपद अध्यक्ष के लिए चिह्नित व्यक्तियों से वादा करवाने और पक्की डील करने में जुटे हैं। पक्की डील फेल ना हो, इसके लिए नर्मदा जल या फिर गंगाजल का सहारा लेकर वादा न तोड़ने की कसम भी दिलाई जा रही है। कसम खिलाने का मकसद यह है कि पार्टिया निश्चिंत होकर प्रत्याशी को जिताने में जुट जाएं।
कांग्रेस भरवा रही शपथ पत्र
स्थानीय चुनाव को लेकर कांग्रेस ने शपथ पत्र तैयार किया है। एक निश्चित फॉर्मेट जिताऊ प्रत्याशियों को भरना होगा। इसमें पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित रहने और साथ ही ऐसे स्थान पर धूम्रपान और ऐसी किसी गतिविधि को ना करने का वादा करना पड़ता है, जोकि पार्टी या व्यक्ति की छवि खराब करे, साथ ही उसकी निष्ठा पार्टी के प्रति बनी रहे। इसके लिए नर्मदा जल या फिर गंगाजल की कसम भी खिलाई जा रही है। आदिवासियों को भरोसे में लेने के लिए उनके देवताओं के सामने शपथ दिलाई जाती है। दोनों ही पार्टियां आदिवासी के साथ अन्य जातियों के देवी-देवताओं के सामने बैठक कर वादा दिलाते हैं कि आपको पार्टी के प्रति समर्पित रहना है।
पिछड़ा वर्ग पर दोनों दलों की नजर
भाजपा और कांग्रेस 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग को टिकट देने का वादा कर चुकी है। मैदानी चुनाव और स्थानीय स्तर पर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। संचालन समितियों को स्पष्ट निर्देश है कि स्थानीय नेतृत्व से चर्चा के बाद ही कोई फैसला लिया जाए। चुनावी नतीजों के बाद प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है। जोर-जबरदस्ती और प्रलोभन का खेल खुलकर ना हो। इसके इंतजाम हो रहे हैं। जनपद जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में जिन लोगों पर भाजपा अपना दांव लगाएगी, उनसे पहले ही शपथ ले ली जाएगी कि जीतने के बाद वे पाला नहीं बदलेंगे। प्रलोभन में आकर निष्ठा नहीं बदलेंगे। इसके लिए स्थानीय स्तर पर हाथ में नर्मदा या गंगाजल लेकर कसम दिलाने की बात भी शामिल है। डील पक्की होने के बाद पार्टी के स्थानीय नेता उसे चुनाव जिताने के अभियान में जुट जाएंगे।
दिग्विजय सिंह के मास्टर प्लान की धूम
2018 के विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा निर्णायक रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 192 दिनों की नर्मदा परिक्रमा के दौरान तकरीबन 3400 किलोमीटर की यात्रा और करीब 110 विधानसभा क्षेत्र से गुजरे और वहां के पुराने कांग्रेस के नेताओं और जनता को जोड़ा गया। 60 फीसदी संभाग उस यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह ने कवर किए, नतीजा ये रहा कि कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं और कमलनाथ की सरकार बनवा दी थी।
इनके अपने-अपने दावे
पार्टी के कार्यकर्ता निष्ठावान और पार्टी के प्रति समर्पित हैं। गंगाजल और नर्मदा की सौगंध जो कांग्रेस को अपने लोगो को खिलानी पड़ रही है, क्योंकि कांग्रेस की नाव में छेद हो चुका है और अब बहुत से लोग भाग रहे हैं।
रजनीश अग्रवाल,
प्रदेश मंत्री, भाजपा
भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है और वह हमेशा नेताओं को पैसे और प्रलोभन देकर खरीदने का काम करते हैं। जैसा कि भाजपा ने कांग्रेस के मंत्रियों को करोड़ों मे खरीदा। हमारे यहां शपथ पत्र दिया जाता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि हम किसी से कसम खिलवा रहे हैं।
भूपेन्द्र गुप्ता, प्रवक्ता,
मध्यप्रदेश कांग्रेस