जबलपुर(देसराग)। कोविड-19 के बाद सबसे बड़ी समस्या दिल के रोगों की उभरकर आई है। महामारी ने युवाओं के हार्ट को कमजोर कर दिया है। कोविड-19 के बाद दिल के रोगियों में 14 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है और इनमें ज्यादातर युवा ही हैं। जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के फॉरेन्सिक डिपार्टमेंट ने जो खुलासा किया है उसके मुताबिक कोरोना संक्रमण ने युवाओं की लाइफ को कम कर दिया है।
फॉरेन्सिक विभाग के हेड डॉ.विवेक अग्रवाल इस बारे में कहते हैं कि कोरोना ने युवाओं के हार्ट को कमजोर कर दिया है। बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों से युवाओं की लाइफ कम हो गई। दुनिया में कोई भी हमेशा रहने के लिए नहीं आता, लेकिन जिस तरह से एक के बाद एक युवाओं की मौत हो रही है, यह अपने आप में चिंता की बात है। बीते दो साल में कोरोना संक्रमण नें पूरी दुनिया को हिला दिया। इस संक्रमण ने हजारों लोगों की जान ले ली है। समझा जा रहा था कि अब कोरोना खत्म हो गया है और एक बार फिर जीवन सामान्य हो गया है। पर ऐसा नहीं है।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज के फॉरेन्सिक विभाग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कोरोना ने युवाओं के हार्ट को कमजोर किया है। इस संक्रमण के जकड़ में आने के बाद युवाओं का हार्ट बेहद ही कमजोर हो गया है। जिसके कारण वह दिल मे अधिक दवाब नहीं झेल पाता। लिहाजा अधिक दवाब पड़ने के कारण हार्ट फेल हो जाता है। फॉरेन्सिक विभाग के हेड डॉ.विवेक अग्रवाल बताते हैं कि जो ठीक ठाक हार्ट होता है, वह सामान्य दिनचर्या के लिए ठीक होता है। ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत नही पड़ती है पर जब व्यक्ति दौड़ता है या उसे हार्ट से अधिक काम लेना होता है, तब हार्ट को पम्पिंग एक्शन में ज्यादा मेहनत करनी होती है तो उस समय कमजोर हार्ट दवाब को सह नहीं पाता लिहाजा हार्ट फेल जाता है।
20 से 30 की उम्र में हॉर्ट फेल
डॉ. विवेक अग्रवाल की माने तो पहले हार्ट अटैक के केस 40 से 50 साल की उम्र में होते थे पर कोरोना संक्रमण के बाद अब युवा जिनकी उम्र 20 से 30 साल की होती है उनमें केस संख्या ज्यादा देखे जा रहे है। डॉ अग्रवाल ने बताया हाल ही में पुलिस भर्ती में दौड़ के दौरान जिन दो युवाओं की मौत हुई थी, उसकी वजह भी हार्ट फेल होना था जिसमें से की एक युवक की उम्र तो महज 21 साल थी।
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