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Thursday, Dec 7, 2023
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राज्यसभा की दूसरी सीट पर पवैया का नाम लगभग तय

ग्वालियर/भोपाल(देसराग)। मध्यप्रदेश से अगले महीने खाली हो रही राज्यसभा की 3 सीटों के लिए कांग्रेस की ओर से अपने नाम की घोषणा कर दी गई है , जबकि शेष दो सीटों के लिए भाजपा द्वारा एक पर कविता पाटीदार के नाम की घोषणा कर दी गई है। वहीं दूसरी सीट पर हिंदूवादी नेता और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का नाम लगभग तय कर लिया गया है। नामाकंन पत्र जमा करने में अब दो दिन का ही समय रह गया है।
इस बीच प्रखर हिंदूवादी चेहरा पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का नाम दिल्ली भेज दिया गया है । उनके नाम की घोषणा भी दिल्ली से ही की जाएगी। पवैया के पास फिलहाल महाराष्ट्र के सह प्रभारी का दायित्व है, राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहने के कारण उनकी पहचान कट्टर हिंदुत्व चेहरे की है। इसके अलावा ग्वालियर-चंबल की राजनीति में भी उनका प्रभाव माना जाता है। बताया जा रहा है कि ग्वालियर-चंबल अंचल में पार्टी के अंदर संतुलन बनाने के लिए पवैया को राज्यसभा भेजने की तैयारी की गई है। वैसे भी उन्हें स्थानीय राजनीति में महल विरोधी माना जाता है।
यही वजह है कि सिंधिया को भाजपा के कोर ग्रुप में शामिल किया गया तो उसमें भी पवैया को भी जगह दी गई है।उल्लेखनीय है कि मप्र के कोटे से राज्यसभा में अभी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (ओडिशा) और एल मुरूगन (तमिलनाडु) प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
तन्खा भरेंगे नामाकंन
पूर्व सीएम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश से राज्यसभा के उम्मीदवार विवेक तन्खा के नाम का ऐलान करने के साथ ही तय कर दिया है कि वे सोमवार को नामाकंन फार्म जमा करेंगे। इससे तय हो गया है कि विवेक तन्खा एक बार फिर राज्यसभा में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करेंगे। नाथ ने कहा कि पार्टी हाईकमान ने मध्य प्रदेश से विवेक तन्खा के नाम पर मुहर लगाई है। एमपी में राज्यसभा की 3 सीटें खाली हो रही है। जिसमें 2 सीटें बीजेपी की है और 1 सीट कांग्रेस की है। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का कार्यकाल 29 जून 2022 को समाप्त हो जाएगा। ऐसे में विवेक तन्खा को लेकर पार्टी के अंदर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन कमलनाथ ने सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए तन्खा को राज्यसभा भेजने की घोषणा की है।
गौरतलब है कि तन्खा कांग्रेस के उन असंतुष्ट नेताओं में शामिल रहे हैं, जो ग्रुप 23 के माध्यम से कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती देते रहे हैं, लेकिन तन्खा ने कभी भी पार्टी नेतृत्व के प्रति तल्खी नहीं दिखाई, जिसका उन्हें फायदा मिला। कांग्रेस के बदले हुए समीकरणों में भी तन्खा जैसे कानूनविद् की पार्टी को जरूरत थी। मनमोहन सिंह सरकार में कानून मंत्री रहे कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दी, ऐसे हालात में कांग्रेस तन्खा को नहीं छोड़ सकती थी। चाहे कानूनी विवाद हों या प्रियंका गांधी वाड्रा के निज सचिव की गिरफ्तारी का मामला हो, सुप्रीम कोर्ट में तन्खा ने ही कांग्रेस का मोर्चा संभाला है। तन्खा कश्मीरी पंडित भी हैं, जाहिर है कांग्रेस कश्मीर में भी तन्खा का उपयोग करेगी। यही वजह है कि तन्खा को उनके धैर्य का प्रतिफल मिला।

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