भोपाल(देसराग)। मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा का केन्द्रीय संगठन पूरी तरह से प्रदेश में भाजपा के जनप्रतिनिधियों, सरकार व संगठन के कामकाज पर न केवल पैनी नजर रख रहा है, बल्कि समय-समय पर कई स्तर पर उनके कामकाज की समीक्षा भी कर रहा है। इसी क्रम में अब यह पहला मौका है जब स्वयं पार्टी अध्यक्ष खुद कामकाज की समीक्षा करने भोपाल आ रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एक जून को भोपाल में दो दिनी प्रवास के दौरान शिव के मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा करेंगे।
इस दौरान वे सांसद- विधायक सहित समस्त जनप्रतिनिधियों और प्रमुख कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को भी संबोधित करने वाले हैं। प्रदेश में सरकार के कामकाज की समीक्षा की शुरुआत इस साल के पहले हफ्ते में ही शुरू कर दी गई थी। पहली समीक्षा बैठक राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश द्वारा की गई थी। इसके बाद से लगातार यह क्रम जारी है। इस दौरान उनके द्वारा कोर ग्रुप की बैठक लेकर प्रदेश के सियासी हालात का जायजा भी लिया जाएगा। पार्टी नेताओं के मुताबिक विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिहाज से नड्डा का दौरा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद की मौजूदगी में जेपी नड्डा के प्रवास के संबंध में बैठक की गई। इसमें तय किया गया कि अगले एक महीने में भाजपा कार्यालय को खाली कर नए भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया जाए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा कार्यालय में हुई इस बैठक में पार्टी कार्यालय के नए भवन निर्माण के बारे में विचार किया गया। नेताओं ने नए भवन की लागत और डिजाइन को लेकर तीन कंपनियों द्वारा दिए गए प्रस्तुतीकरण को देखा। अब पार्टी एक प्रस्ताव को स्वीकार कर निर्माण के समय का आंकलन करेगी। संगठन ने फिलहाल आरटीओ भवन को किराए पर ले लिया है, जहां पार्टी कार्यालय को जल्द शिफ्ट किया जाएगा। इसके अलावा बैठक में पार्टी नेताओं ने पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा की। यह तय किया गया कि पार्षद स्तर पर युवाओं को टिकट दिया जाए। ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना से लेकर सभी हितग्राहियों से प्रत्यक्ष संपर्क किया जाए। निकाय चुनाव को प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने के चलते सभी विधायक और सांसदों को भी जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे निकाय के प्रत्याशी को जीत दिलाएं।
कोर ग्रुप के साथ कर चुके हैं बैठक
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी की बैठक 28 अप्रैल को नई दिल्ली स्थित पार्टी के दिल्ली कार्यालय में कर चुके हैं। इस बैठक का अधिकृत रूप से तो प्रमुख एजेंडा अगले साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर था, लेकिन बैठक में मंत्रिमंडल के पुर्नगठन के अलावा कई अहम मामलों पर भी चर्चा की गई थी। इसके अलावा सत्ता और संगठन में और बेहतर तालमेल के लिए किए जाने वाले उपायों पर भी चर्चा की गई थी। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर,प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल हुए थे। इस बैठक के लिए जो चार बिंदु तय किए गए थे , उसमें सबसे अहम बिंदु सियासी तौर पर मंत्रियों के परफार्मेन्स का भी शामिल था।
फिर चेताया जा सकता
सूबे के विधायकों व मंत्रियों के काम-काज पर अब तक कई बार और कई स्तर पर समीक्षा की जा चुकी है। जिसके बाद कामकाज और उनके व्यवहार को लेकर चेतावनी दी जा चुकी है इसके बाद भी उनकी कार्यप्रणाली में मंशानुरुप सुधार होता नहीं दिख रहा है। इसकी पूरी जानकारी नड्डा के पास पहले से मौजूद है। इसकी वजह से माना जा रहा है की पूरे फीडबैक के आधार पर इस बार ऐसे विधायकों व मंत्रियों को अंतिम बार चेताया जा सकता है। इसके बाद भी उनमें सुधार नहीं आया तो माना जा रहा है की उनके टिकटों पर भ्ज्ञी संकट खड़ा हो सकता है।
कई स्तर पर की जा चुकी है अब तक समीक्षा
सत्ता व संगठन में समन्वय से लेकर मंत्रियों के कामकाज की प्रदेश में सत्ता व संगठन स्तर पर कई बार की समीक्षा के बाद अलग-अलग कामकाज का आंकलन पहले ही किया जा चुका है। दरअसल कुछ मंत्रियों के कामकाज से सत्ता व संगठन दोनों ही खुश नहीं हैं। यह वे मंत्री हैं जो न तो विभाग की योजनाओं में तेजी ला पा रहे हैं और न ही मैदानी स्तर पर सरकार की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन कर पा रहे हैं। इसकी वजह है उनके द्वारा अपने विभाग पर पकड़ न बना पाना। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद कुछ मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाने के बारे में फैसला लिया जा सकता है। फिलहाल इस तरह के दो चार मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखने पर सहमति बन सकती है। माना जा रहा है कि अगर मंत्रिमंडल पुर्नगठन पर सहमति बन जाती है तो फिर अगले माह निकाय व पंचायत चुनाव के बाद करीब आधा दर्जन नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। जिन नए चेहरों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है उन्हें चुनावी दृष्टि से जातिगत और अंचल के समीकरणों के हिसाब से कसौटी पर खरा उतरना होगा। वैसे भी करीब आधा दर्जन भाजपा के ऐसे विधायक हैं, जो प्रदेश में सरकार बनने के बाद से ही मंत्री बनने के दावेदार बने हुए हैं।
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