नजरिया
सोमेश्वर सिंह
दादर स्थित मुंबई का विशालतम शिवाजी पार्क तीन साल बाद अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा। ब्रिटिश जमाने के 1925 में बांम्बे म्युनिसिपल कारपोरेशन द्वारा स्थापित माहिम पार्क 28 एकड़ क्षेत्र में विस्तारित है। जिसे मराठा वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर 1927 में बदल का शिवाजी पार्क कर दिया गया। मराठा मानुष के श्रद्धा का केंद्र यह पार्क आजादी के पहले से लेकर आजादी के बाद तक अनेक राजनीतिक, सामाजिक आंदोलन का साक्षी रहा है। 1960 में प्रथक महाराष्ट्र राज्य के मांग का शंखनाद यहीं से किया गया था। इस पार्क में वीर शिवाजी महाराज की प्रतिमा 1966 में स्थापित की गई।
शिवाजी पार्क में मैंने 1983 की विश्व विजेता क्रिकेट टीम का नागरिक अभिनंदन देखा था। पहली बार बीएमसी में शिवसेना ने मेयर पद पर कब्जा किया। वहीं से उसके सत्ता की भूख जागृत हुई। शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे को मराठी मानुष से हिंदुत्व में परिवर्तन का नजारा मैंने इसी पार्क में देखा था। अटल बिहारी बाजपेई तथा ठाकरे के बीच पहली संयुक्त जनसभा मुंबई के इसी शिवाजी पार्क में हुई थी। उसी भगवान मिलन के बाद महाराष्ट्र में दोनों दल के संयुक्त सरकारे बनी। भाजपा का इतिहास रहा है कि जिस क्षेत्रीय दल के साथ उसने गठबंधन किया आहिस्ता आहिस्ता उस दल को निगल गई। जिससे उद्घव ठाकरे सचेत हो गए और उन्होंने भाजपा से रिश्ता फिलहाल खत्म कर दिया।
शिवाजी पार्क में प्रायः कोई ना कोई जलसा जुलूस चलते रहते हैं। अंबेडकर जयंती के सालाना जलसा में खचाखच अंबेडकर वादियों से भर जाता है कहीं तिल रखने की जगह नहीं रहती। शिवाजी पार्क के पास दादर में ही दरिया के किनारे भीमराव अंबेडकर की समाधि है। दिवंगत शिवसेना सुप्रीमो का अंतिम संस्कार शिवाजी पार्क में ही किया गया था। जहां उनकी समाधि बनी हुई है। भारत रत्न स्वरसम्राजी लता मंगेशकर की अंत्येष्टि भी यही हुई थी। शिवाजी पार्क के घरेलू क्रिकेट पिच पर प्रैक्टिस करते हुए अनेक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त क्रिकेट स्टार बने। अजीत वाडेकर, सुनील गावस्कर, विजय मांजरेकर, एकनाथ सोलकर, अजीत आगरकर से लेकर सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली, प्रवीण आमरे अजिंक्य रहाणे तथा पृथ्वी शा तक। क्रिकेट के कोच रमाकांत आचरेकर इसी मैदान में कोचिंग देते हुए अमर हो गए।
भारत का पहला टेनिस कोर्ट शिवाजी पार्क स्थित जिमखाना में 1927 में बनाया गया था। सैर सपाटा तथा मॉर्निंग वॉक के लिए यह सब से महफूज जगह है। पार्क के चारों तरफ लगभग एक किलोमीटर से ज्यादा लंबा वाकिंग ट्रेक बनाया गया है। जो सुबह और शाम बच्चे, बूढ़े, जवानों से भर जाता है। बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क तथा बूढ़ो के लिए आजी- आजोबा पार्क पृथक से बनाया गया है। युवा प्रेमी, युगल से लेकर नव दंपति तथा वरिष्ठ नागरिक इस पार्क के चारों तरफ बने बैठका में बैठकर परस्पर घंटों गुफ्तगू करते नजर आएंगे। देसी- विदेशी, पालतू तथा आवारा, यतीम कुत्तों का जमघट भी आपको यहां देखने को मिलेगा। पार्क के किसी भी पेड़ की छांव में अखबार को बिछौना बनाकर बेघर बार, घुमंतू लोग भी आराम फरमाते हुए देखे जा सकते हैं। एक तरह से यह पार्क यतीम आदमी और कुत्ता दोनों का आशियाना है।
पार्क के इर्द-गिर्द आवारा कुत्ते भी मजे में सोते हुए नजर आएंगे। वह आम कुत्तों की तरह मरियल नहीं पूरे हिष्टपुष्ट होते हैं। यतीम बच्चों की तरह कुत्तों को गोद लेते हुए मैंने लोगों को इसी बात में देखा है। वे बड़ी महंगी कार में सवार होकर नियमित रूप से पार्क आते हैं। टिफिन में किशम किशम के पकवान लेकर कार से उतरते हैं। सभी के चिन्हित स्थल है। आवारा कुत्ते जिन्हें गोद लेकर पालतू बना लिया गया है। अपने मालिक को बखूबी पहचानते हैं। बिना बुलाए या तू तू किए बिना ही मालिक के पास पहुंच जाते हैं। दुम हिलाते हैं। मालिक भी अपने कुत्तों को सहलाता है। मनुहार करता है। भरपेट खाना खिलाता है। इन कुत्तों को शौच क्रिया करने की पूरी आजादी है। कोई बंदिश नहीं है। पुलिस या म्युनिसिपल वाले जुर्माना भी नहीं कर सकते।
शिवाजी पार्क के पास ही नामचीन नेताओं, अभिनेताओं, क्रिकेट स्टार, गायको के रिहाइशी बंगले भी हैं। शिवसेना के मुख्यालय का कार्यालय भवन भी यहीं पर है। शिवाजी पार्क के गौरवशाली शतकीय इतिहास के छत्रछाया में आज भी यतीम मानुष और कुत्ते दोनों पलते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)