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Thursday, Dec 7, 2023
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शिवराज सिंह का खिलौना ईवेंट और आंगनबाड़ियों का सच

नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह की कुपोषण पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग

भोपाल (देसराग)। बीते रोज भोपाल की सड़कों पर ठेला लेकर आंगनबाड़ियों के लिए खिलौने बटोरते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार के इस “ईवेंट” पर सवाल उठने लगे हैं।

सवाल यह है कि भांजे भांजियों के मामा के राज में क्या आंगनवाड़ियां मध्यप्रदेश को कुपोषण से मुक्त करने की दिशा में वाकई में काम कर रही हैं? बहरहाल नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने हाल ही में जारी इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मध्यप्रदेश में कुपोषण पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने मंगलवार को राजधानी भोपाल में कुछ आंगनबाड़ियों का औचक निरीक्षण भी किया। नेता प्रतिपक्ष ने इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए जो तथ्य सामने रखे वह वाकई चौंकाने वाले हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में संचालित 97 हजार 735 आंगनबाड़ियों में 32 हजार ऐसी हैं जिनमें टॉयलेट ही नहीं है। प्रदेश की 17 हजार आंगनबाड़ियों में पीने का पानी नहीं है। आंगनबाड़ियों कि इन हालात से समझा जा सकता है कि मध्यप्रदेश कुपोषण से कैसे मुक्त होगा। इसी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की 8000 आंगनबाड़ियां ऐसी है जहां बच्चों के खाने के लिए बर्तन भी नहीं है।

डॉक्टर गोविंद सिंह ने अपने बयान में कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश को कुपोषण को मुक्त करने की बात तो कहते हैं, लेकिन इतने सालों से वह कर क्या रहे हैं। यह तब है जबकि महिला एवं बाल विकास विभाग खुद मुख्यमंत्री के पास है। नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान ठेले पर खिलौने इकट्ठे कर रहे हैं, जबकि साल 2019-20 में 94 करोड़ रुपए से खरीदे गए खिलौनों का पता ही नहीं है।
अब बात करते हैं इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट की रिपोर्ट का जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में 8 लाख सात हजार 558 गर्भवती महिलाएं पंजीकृत हैं जबकि आंगनबाड़ियों में मात्र 9 हजार 558 महिलाएं ही आती हैं। इसी तरह धात्री माताएं सात लाख से ज्यादा पंजीकृत हैं जबकि लाभान्वित केवल 9 हजार हुई हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह का कहना है कि प्रदेश में महिला स्व सहायता समूहों को पोषण आहार की जिम्मेदारी देने के बजाय शिवराज सरकार ने पोषण आहार माफिया को यह जिम्मेदारी दी है।

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