बायोडाटा देने वालों का बीजेपी और कांग्रेस कार्यालय में लगा तांता
भोपाल(देसराग)। नगर निगम और पंचायत के चुनावों का ऐलान हो गया है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सियासी दलों के दफ्तरों में टिकट पाने के लिए उम्मीदवार अपनी-अपनी पार्टी के बड़े क्षत्रपों के समक्ष साष्टांग दंडवत की मुद्रा में नजर आने लगे हैं। कांग्रेस दफ्तर में जहां रोज 10 से 15 लोग अपने बायोडाटा और फॉर्म लेकर पहुंच रहे हैं, तो यही स्थिति भाजपा प्रदेश कार्यालय की भी है।
नगर निगम में इस बार आरक्षण के चलते कई वार्डों की स्थिति बदल गई है। जिन वार्डों में कांग्रेस के उम्मीदवारों की अच्छी पोजीशन थी, वह वार्ड कई जगह महिला आरक्षण के चलते महिला वार्ड हो गए हैं। ऐसे में कांग्रेस के पार्षदों ने अपने वार्ड के आस-पास के वार्डों में जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है।
टिकट किसको देना है कमलनाथ करेंगे फैसला
भोपाल में ही कई वार्डों में कांग्रेस के पूर्व पार्षद अपनी पत्नियों को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में ऐसे ही कई उम्मीदवार लगातार अपने बायोडाटा लेकर पहुंच रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस सचिव रामस्वरूप यादव का कहना है की सभी कार्यकर्ताओं की चाह होती है कि वह चुनाव लड़ें, लेकिन टिकट किसको दिया जाना है, यह पार्टी का फैसला होगा। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इस पर फैसला लेंगे। साथ ही जिला अध्यक्ष और जिलों के प्रभारियों से भी इस बारे में बैठकर चर्चा की जाएगी। जिसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
बायोडाटा देने पहुंच रहे बीजेपी उम्मीदवार
यही स्थिति भाजपा दफ्तर में भी नजर आती है। यहां पर कार्यकर्ताओं के बायोडाटा भाजपा कार्यालय प्रभारियों के टेबल पर साफ देखे जा सकते हैं। भाजपा में भी हर उम्मीदवार जो पार्षद या नगर पंचायत का चुनाव लड़ना चाहता है, वह अपने-अपने नेताओं के संपर्क के माध्यम से मिल रहा है। कई लोग पार्टी दफ्तर पहुंच कर कार्यालय प्रभारियों को अपने बायोडाटा दे रहे हैं।
भाजपा में हर कार्यकर्ता अहम
भाजपा प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी का कहना है कि बीजेपी संगठनात्मक पार्टी है। इसमें हर कार्यकर्ता की अहमियत है लेकिन टिकटों का फैसला पार्टी संगठन स्तर पर ही होता है। फिलहाल सभी के बायोडाटा लिए जा रहे हैं। हर व्यक्ति की चाह होती है कि वह चुनाव लड़े, लेकिन अंतिम फैसला संगठन को ही करना है। फिलहाल तो भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही कार्यालय में नगर निगम चुनाव में टिकट पाने वालों की भीड़ साफ तौर पर नजर आती है। इसमें वह लोग ज्यादा हैं जो पहले चुनाव लड़ चुके हैं और वार्ड के परिवर्तन या महिला वार्ड के चलते अपनी पत्नियों को चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं।