ग्वालियर(देसराग)। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच पंचायत चुनाव में अभ्यर्थी और उसके प्रस्तावकों से बॉन्ड के रूप में जमा कराई जा रही धनराशि को लेकर चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
मुरैना जिले में पंचायत चुनाव में सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों और उनके प्रस्तावकों से जमानत राशि/बॉन्ड राशि के रूप में क्रमशः 40 हजार 60 हजार और 80 हजार रुपए जमा कराए जा रहे हैं। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि अगर चुनाव के दौरान अभ्यर्थी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है तो उक्त राशि जप्त कर ली जाएगी।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पंचायत चुनाव में लड़ने वाले क्या सभी आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं? दूसरा यह कि चुनाव वही लड़ पाएगा जिसकी हैसियत इतनी धनराशि जमा करने की है। ऐसे में दलित गरीब और वंचित चुनाव ही नहीं लड़ पाएंगे। दरअसल महिलाओं के लिए 50 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान है, ऐसी में कमजोर वर्ग की महिलाएं आर्थिक तंगी के चलते चुनाव लड़ने से वंचित हो जाएंगी। यह तब है जब संविधान महिलाओं को बराबरी का अधिकार देता है मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रशासन के इस आदेश पर कड़ा एतराज जताया है। माकपा ने कहा कि यह संविधान विरोधी कदम है और यह कदम गरीब, दलित और महिलाओं को पूरी चुनाव प्रक्रिया से बेदखल करने का षड्यंत्र है।
दरअसल ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसका नाम मतदाता सूची में है, वह चुनाव लड़ सकता है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अशोक तिवारी ने बताया कि उनकी पार्टी की तरफ से इस मामले में कलेक्टर को ज्ञापन भेजा गया है। वही पार्टी की ओर से राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर इस मामले में ध्यान आकर्षित कराया है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस मामले में राज्य निर्वाचन आयुक्त से कहा है कि इस तरह की बॉन्ड राशि आपराधिक पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों से ही लिया जाना उचित है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने जनहित में बॉन्ड/जमानत राशि दलित, पिछड़े और वंचित तथा महिला अभ्यर्थियों की माफ किए जाने की मांग की है। पार्टी के मुताबिक यह राशि तहसील कार्यालय की जगह पुलिस थाने में जमा कराई जा रही है और इसके एवज में एक हस्तलिखित रसीद दी जा रही है।