ग्वालियर(देसराग)। अनुसूचित जनजाति की छात्राओं के लिए बने कन्या छात्रावास में रह रही करीब 50 छात्राओं के सामने मुश्किल यह है कि अब कहां जाएं। ग्वालियर के मयूर नगर क्षेत्र में एक निजी भवन में संचालित इस छात्रावास की छात्राओं को एक दूसरे छात्रावास में जबरिया शिफ्ट कर दिया गया, जहां पहले से ही करीब 150 छात्राएं रह रही हैं। अनुसूचित जनजाति वर्ग की छात्राओं को यह सजा छात्रावास प्रबंधन के खिलाफ आवाज उठाने पर मिली है।
दरअसल छात्रावास में अनियमितताएं और प्रबंधन द्वारा की जा रही मनमानी के खिलाफ जब यहां रहने वाली छात्राओं ने सीएम हेल्पलाइन में अपनी शिकायत दर्ज कराई तो छात्रावास की वार्डन रंजीता और उनके पति वीर सिंह जाटव ने इन छात्राओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। यही नहीं वार्डन के बचाव में आए अनुसूचित जनजाति विभाग के सहायक आयुक्त एच बी शर्मा ने इन छात्राओं के साथ अभद्र व्यवहार किया बल्कि जातिसूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया। छात्राओं की तरफ से अजाक थाने में एच बी शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए एक आवेदन भी दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि करीब एक हफ्ते से गरमाए इस मामले में जिला प्रशासन का रुख अब तक साफ नहीं हो पाया है और ना ही छात्राओं को किसी तरह की राहत मिली है।
मध्यप्रदेश में यह हालात तब हैं जबकि प्रदेश सरकार खुद को अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने का दावा करती है। दरअसल छात्रों को प्रताड़ित करने के लिए विभाग ने ग्वालियर के थाटीपुर क्षेत्र के मयूर नगर में स्थित निजी भवन में संचालित कन्या छात्रावास में रह रही करीब 50 छात्राओं को 20 मई को आधी रात के बाद जबरिया सीपी कॉलोनी में स्थित सरकारी भवन में संचालित कन्या छात्रावास में शिफ्ट कर दिया जहां पहले से ही 150 छात्रों में रह रही हैं। यहां इन छात्राओं के रहने के लिए जगह ही नहीं है। ऐसे में यह सभी 50 छात्राएं विरोध दर्ज कराते हुए वापस मयूर नगर के छात्रावास भवन में आकर रहने लगीं, अनुसूचित जनजाति विभाग ने इस भवन के मालिक से अनुबंध समाप्त कर लिया है और अब भवन मालिक इन छात्राओं पर भवन खाली कराने का दबाव बना रहा है।
लंबे समय से इस कन्या छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रही ममता जावरा जो झाबुआ से है और इस समय महिला आईटीआई से प्रशिक्षण ले रही हैं, बताती हैं कि सीपी कॉलोनी स्थित छात्रावास जहां उन्हें शिफ्ट किया गया है वहां एक पलंग पर तीन तीन छात्राओं को सोना पड़ रहा है ऐसे में वह कहां जाएं। इस बीच प्रबंधन की प्रताड़ना का शिकार बनी छात्राएं हर स्तर पर शिकायत कर चुकी हैं और कलेक्ट्रेट पर भी विरोध प्रदर्शन कर चुकी हैं लेकिन छात्राओं को किसी भी स्तर पर न्याय नहीं मिला है।