नगरीय निकाय के घमासान में संघ के दिग्गज ठोक रहे ताल
ग्वालियर(देसराग)। नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का पद भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सबब बन गया है। कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही सियासी दल के नेता अपनी पत्नियों के नामों को आगे कर महापौर पद की दावेदारी में जुट गए हैं। अलबत्ता भाजपा में तो नेताओं को पीछे छोड़ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी ही अपनी-अपनी पत्नी के लिए सियासी शतरंज के मोहरे बिठाने में जुटे हुए हैं।
यूं तो ग्वालियर नगर निगम में सालों से भाजपा का कब्जा रहा है और लंबे समय से महापौर का पद भी भाजपा के की ही खाते में आया है। पार्टी का दावा है कि इस बार भी नगर निगम परिषद में उसका ही कब्जा रहेगा और महापौर का पद भी उसके पास रहेगा। यह दावा धरातल पर कितना सार्थक होगा यह तो समय बताएगा, लेकिन पार्टी में जिस तरह हर रोज महापौर पद के लिए नए दावेदार सामने आ रहे हैं उसने पार्टी नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
महापौर पद के लिए भाजपा में मोटे तौर पर जिन नामों को लेकर चर्चा है, उनमें सबसे ऊपर पूर्व मंत्री माया सिंह का नाम है। इसके साथ ही पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता का नाम भी तेजी से सामने आया है। हालांकि भाजपा की ओर से इन नामों को लेकर अभी कोई संकेत नहीं मिले हैं। इसके साथ ही पार्टी नेताओं का कहना है कि महापौर पद के लिए प्रत्याशी कौन होगा? यह प्रदेश भाजपा तय करेगी। यूं तो भाजपा में ग्वालियर नगर निगम महापौर पद के लिए दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन हाल ही में एक नाम जिसने सियासत के धुरंधरों को चौंकाया है, वह है महिमा तारे का। महिमा तारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संचालित दैनिक समाचार पत्र स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे की पत्नी हैं। अतुल तारे को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर का वरदहस्त है। ऐसे में माना जा रहा था कि पार्टी में महिमा तारे की दावेदारी को मजबूती मिलेगी। लेकिन सूत्रों की माने तो दावेदारी के इस खेल में एक और नया पेंच आ गया है।
खबर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर ने महिमा तारे के सहारे अपनी पत्नी का नाम दावेदारी के लिए आगे कर दिया है। गुरु द्वारा अपनी पत्नी का नाम महापौर पद की दावेदारी के लिए आगे कर दिए जाने से चेले के इरादों को झटका तो लगा ही है, साथ ही अपनी पत्नी महिमा तारे को महापौर बनवाने का सपना भी टूटता नजर आ रहा है। क्योंकि खुद गुरु की पत्नी के दावे के बाद चेले की दावेदारी कितनी मजबूत रहेगी यह बड़ा सवाल है। यूं तो महिमा तारे महिला एवं बाल विकास विभाग की समिति में अशासकीय सदस्य भी हैं। यही नहीं अतुल तारे ने अपने गुरु के जरिए माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय का कुलपति बनने के लिए भी ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया था, लेकिन अंतिम समय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दखल के चलते उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। बहरहाल अब यह देखना दिलचस्प होगा कि महापौर पद की दावेदारी में जीत किसे मिलती है, अतुल तारे को या फिर प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर को?