भोपाल(देसराग)। नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर विधानसभा के मानसून सत्र की तारीख तय करने को कहा है। नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया है कि सत्र 20 दिनों से कम का ना हो।
नेता प्रतिपक्ष का मानना है कि विधानसभा सत्र की अवधि बेहद सीमित होने के कारण प्रदेश मैं जनता से जुड़ी समस्याओं और ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाती है, ऐसी स्थिति में सत्र की अवधि कम से कम 20 दिनों की हो। वैसे भी पिछले विधानसभा सत्रों को देखा जाए तो इस मामले में बेहद कंजूसी बरती गई है। नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि जबसे प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, सदन की बैठकों में निरंतर कमी आ रही है। और यह तब है जबकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी विधान मंडलों की बैठक साथ में 60 से 70 दिन किए जाने की सिफारिश कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे अपने पत्र में डॉक्टर गोविंद सिंह ने समय-समय पर हुए विधान मंडलों के पीठासीन और सचेतकों के सम्मेलनों का हवाला देते हुए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हिमाचल प्रदेश पीठासीन सम्मेलन में विधान मंडल की बैठकें 60 से 70 दिन का है जाने की सिफारिश की है। नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में कहा कि विधानसभा सत्र छोटा होने और बैठकों की संख्या कम होने के कारण जन समस्याओं और अन्य गंभीर मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाती है। उन्होंने कहा कि यह देखने में आ रहा है कि सरकार की मानसिकता बन गई है कि विधानसभा सत्र सिर्फ सरकारी कामकाज को निपटाने के लिए ही बुलाया जाए।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे अपने पत्र में डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि विधानसभा के पटल पर जांच आयोगों के प्रतिवेदन, लोकायुक्त के प्रतिवेदन और विश्वविद्यालय के प्रतिवेदनों पर कई सालों से चर्चा नहीं कराई गई है। यही नहीं प्रदेश में विभिन्न घटनाओं की जांच के लिए गठित सात न्यायिक जांच आयोग की जांच रिपोर्ट अब तक विधानसभा के पटल पर नहीं आई है। अपने पत्र में नेता प्रतिपक्ष ने इंदौर के पेंशन घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी जांच रिपोर्ट 15 सितंबर 2012 को ही शासन को सौंपी जा चुकी है। साथ ही मंत्रिपरिषद की उप समिति भी इसका परीक्षण कर चुकी है बावजूद इसके इसे पटल पर नहीं रखा गया है। ऐसी स्थिति में जांच आयोग का औचित्य ही समाप्त हो रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की है कि शिवराज सरकार ने मान्य परंपराओं को तोड़ते हुए विधानसभा सत्र बनाए जाने से पहले विपक्ष से चर्चा करना बंद कर दिया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे अपने पत्र में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने प्रदेश की ध्वस्त हो चुकी कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में ना सिर्फ इजाफा हुआ है बल्कि माफिया लगातार हावी हो रहे हैं। महिला अत्याचार और खास तौर पर महिलाओं और बालिकाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। सरकारी विभागों में रिक्त पदों की पूर्ति नहीं हो रही है, किसान आत्महत्या करने पर विवश हैं, ऐसे में जन असंतोष उपज रहा है। डॉ सिंह ने कहा कि किसानों को क्षतिपूर्ति मुआवजा वितरण में भिंड सहित प्रदेश में 800 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर हुआ है। यही नहीं पंचदश विधानसभा के विभिन्न सत्रों में माननीय सदस्यों द्वारा पूछे गए चार सौ प्रश्नों के उत्तर मार्च 2022 तक नहीं दिए गए जो की चिंता का विषय है। नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश के गंभीर हालात का जिक्र करते हुए पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव के बाद तत्काल विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग की है।