ग्वालियर(देसराग)। नागरिक सहकारी बैंक में संचालक मंडल के लिए अब चुनाव कराने की नौबत आ गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैंकिंग क्षेत्र में कार्य कर रही संस्था नागरिक सहकारी बैंक में आमतौर पर आपसी सहमति से ही संचालक मंडल तय किया जाता रहा है, अर्थात सालों से इसी परम्परा का निर्वहन हो रहा है, लेकिन इस बार एक पक्ष को संघ के प्रमुख कर्ताधर्ता यानि प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर द्वारा संरक्षण दिए जाने की वजह से दो गुटों के बीच टकराव की स्थिति निर्मित हो गई है। यही वह वजह है कि अब संचालक मंडल के चुनाव कराना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मजबूरी हो गई है।
11 जून को संचालक मंडल के लिए चुनाव होना है। नागरिक सहकारी बैंक से जुड़े सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक बड़े पदाधिकारी की जिद के चलते चुनाव की नौबत आई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से नागरिक सहकारी बैंक के संचालक मंडल चुनाव के लिए जो पैनल तय किया गया है, उसमें एक महेंद्र कुमार अग्रवाल का भी नाम है। इसी नाम को लेकर विवाद बना हुआ था। दरअसल संघ से जुड़े पुराने स्वयंसेवकों का एक गुट नहीं चाहता था कि महेंद्र कुमार अग्रवाल नागरिक सहकारी बैंक के संचालक मंडल के लिए चुनाव लड़ें, इसी मुद्दे पर सुलह समझौते को लेकर तमाम बैठकों के दौर भी चले, लेकिन बात नहीं बन पाई।
सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि महेंद्र कुमार अग्रवाल को जिताने के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर की जिद आड़े आ गई और उनकी इस जिद ने चुनाव के हालात पैदा कर दिए। दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में दो पैनल आमने-सामने हैं और दोनों ही पैनल के उम्मीदवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं। ऐसे में जिस पैनल में महेंद्र कुमार अग्रवाल उम्मीदवार हैं, उस पैनल को संघ का अधिकृत पैनल बताया जा रहा है, जो कि समझ से परे है। इस लिहाज से दूसरा पैनल जिसमें महेंद्र कुमार अग्रवाल नहीं है, क्या संघ का पैनल नहीं है। जबकि पूरी संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संचालित है और इसमें जो भी कर्ताधर्ता हैं सभी लोग संघ से जुड़े हुए हैं। बताया जा रहा है कि दूसरा पैनल जिसमें महेंद्र कुमार अग्रवाल नहीं हैं, से जुड़े लोग महेंद्र कुमार अग्रवाल को छोड़ सभी नामों पर सहमत थे। लेकिन यशवंत इंदापुरकर नहीं चाहते थे कि महेंद्र कुमार अग्रवाल का नाम हटे ऐसी स्थिति में बीच का रास्ता निकालते हुए अंततः चुनाव कराने पर सहमति बनाई गई।
यहां गौरतलब तथ्य यह है कि संघ के दूसरे पैनल में एक नाम त्रिलोक चंद अग्रवाल का भी है। वह पूर्व में आर एस एस के अखबार स्वदेश के संचालक भी रहे हैं, उन्हें यशवंत इंदापुरकर से तालमेल न बैठ पाने की वजह से स्वदेश से रुखसत किया गया था। यह भी एक वजह है कि यशवंत इंदापुरकर ने बैंक के चुनाव में उनका नाम अपने यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पैनल में नही रखा। संघ के प्रांत कार्यवाह की मनमानी के चलते अंदरूनी तौर पर सभी कार्यकर्ता नाराज हैं। चूंकि अनुशासन के चलते और यशवंत इंदापुरकर की संघ में पकड़ के चलते सब चुप बैठे हैं। इसका खामियाजा नगर निगम चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।