भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियां लगातार घाटे में चल रही हैं। इसकी बड़ी वजह है, यह कंपनियां अपने लाइन लॉस को कम नहीं कर पा रही हैं। घरेलू बिजली चोरी रोकने की जगह अब यह कंपनियां किसानों पर जरुर सबसे पहले शिकंजा कस रही है। इसके लिए कंपनियों द्वारा डिजिटल तकनीक अपनाने पर जोर दिया जा रहा है।
इस तकनीक से बिजली चोरी रोकने और वास्तविक खपत का बिल जारी करने की कवायद की जा रही है। इसके लिए कंपनी अब क्यूआर कोड तकनीक का सहारा लेने जा रही हैं, जिससे कि उपभोक्ता की वास्तविक खपत का पता लगाया जा सके। इस तकनीक से खपत का ही पता नहीं लगाया जा सकता है, बल्कि कृषि पंप के उपयोग करने वाले उपभोक्ता का पता ठिकाना भी ग्लोबल पोजिसनिंग सिस्टम में दर्ज होने की वजह से उस तक पहुंच आसान हो जाएगी। इसकी वजह से किसी भी समय पंप कनेक्शन की जांच की सुविधा मिल जाएगी। अभी पंप की जांच करना अभी बिजली कंपनी के लिए आसान नहीं रहता है। वजह है खेतों के बीच किस उपभोक्ता का कौन सा पंप है यह जानने के लिए स्थानीय लाइनमेन की मदद लेनी पड़ती है, इस कारण बिजली चोरी पकड़ना कठिन होता है।
जीपीएस लोकेशन दर्ज होने के बाद पंप की मोबाइल पर ही लोकेशन पता चल जाएगी। फिलहाल छिंदवाड़ा, कटनी समेत कुछ अन्य जिलों में क्यूआर कोड लगाने को काम किया जा रहा है। बिजली कंपनी ने पहले कृषि पंप उपभोक्ताओं
के लिए क्यूआर कोड प्रणाली लागू किया है। क्यू आर कोड मीटर पर चस्पा किया जा रहा है। जिससे मोबाइल पर उपलब्ध सॉफ्टवेयर पर स्कैन करने पर उपभोक्ता का पूरा ब्यौरा आसानी से मिल जाता है।
पहली दफा रीडिंग करने पर पंप का मौजूदा लोड, कनेक्शनधारी का नाम, पता, मोबाइल नंबर समेत पूरी कुंडली उसमें फीड की जाएगी। जिसकी पावती उपभोक्ता को देकर लाइन स्टाफ सबूत के तौर पर सेल्फी भी लेकर रखेगा। इस व्यवस्था में उपभोक्ता का सही लोड, नाम और ठिकाना दर्ज होगा। अगली बार जब उपभोक्ता के पंप तक पहुंचना होगा तो स्थानीय लाइनमेन की मदद लेने की जरुरत नहीं रह जाएगी। कोई भी अधिकारी जीपीएस की मदद से सीधे पंप कनेक्शन तक पहुंचकर स्थिति की जांच कर सकेगा। यदि अवैध तरीके से बिजली या लोड बढ़ा मिलता है उनके खिलाफ प्रकरण भी बनेगा। अभी कई उपभोक्ता कम लोड लेकर अधिक लोड वाला पंप संचालित करते हैं इस कारण बिजली विभाग के ट्रांसफार्मर पर अनियमित भार बढ़ता है और ट्रांसफार्मर भी खराब होते हैं।
घरेलू उपभोक्ता के लिए भी क्यूआर कोड
अभी कंपनियां कुछ उपभोक्ताओं के मीटर पर क्यूआर कोड चस्पा कर रही है आगे बिजली कंपनियां हर उपभोक्ता के मीटर में क्यूआर कोड चस्पा करेंगी। जब मीटर रीडर जाएगा तो एप पर कोड स्कैन करने पर ही उपभोक्ता की जानकारी खुलेगी। यदि घर का लोड अधिक है तो उसे जरूरत के हिसाब से बढ़ाया जाएगा। बिना कोड स्कैन किए उपभोक्ता का ब्योरा ही नहीं खुलेगा जिस वजह से रीडिंग नहीं हो पाएगी। बिजली कंपनी ने जबलपुर शहर और दमोह जिला को छोड़कर इस व्यवस्था को शेष सभी 19 जिलों में लागू किया है। क्यूआर कोड यदि खराब या फट जाता है तो उसे दोबारा चस्पा किया जाएगा।